बैसाखी पर शहीद ऊधम सिंह के पैतृक घर तथा यादगारों पर छाया रहा सन्नाटा

सुनाम ऊधम सिंह वाला, 13 अप्रैल (रूपिन्द्र सिंह सग्गू): 13 अप्रैल, 1919 बैसाखी वाले आज के दिन सुनाम के नौजवान तथा राष्ट्रीय शहीद ऊधम सिंह को उनकी जिंदगी का असल उद्देश्य दिया था तथा 21 वर्ष के बाद माईकल अडवायर को गोलियां मार कर शहीद ने अपने उद्देश्य को पूरा किया था। लेकिन आज यहां बहुत ही अफसोस की बात है कि आज के दिन इस महान शहीद को किसी ने याद करना भी उचित नहीं समझा तथा शहीद को उसके शहर के लोगों तथा प्रशासन ने भुला दिया। आज वैसाखी वाले दिन शहीद के पैतृक घर तथा सभी यादगारों पर सन्नाटा छाया रहा। यहां याद रहे कि 13 अप्रैल, 1919 अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए रक्त कांड में हजारों की संख्या में एकत्रित हुए भारतीयों को ब्रिटिश हकुमत द्वारा गोलियां चलाकर शहीद कर दिया गया था तथा उस समय उपस्थित रहे सुनाम के राष्ट्रीय शहीद ऊधम सिंह के मन में इस दर्दनाक घटना का ऐसा असर हुआ कि शहीद ने इसका बदला लेने का प्रण किया तथा इस रक्त कांड का बदला भी शहीद ऊधम सिंह ने 21 वर्ष बाद माईकल अडवायर को लंदन में गोलियां मार कर लिया। लेकिन आज के दिन शहीद के पारिवारिक सदस्यों तथा शहर निवासियों को प्रशासन द्वारा याद करना भी उचित नहीं समझा। इस अवसर पर पुलिस के पूर्व एस.एस.पी. तथा पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक स. हरदेव सिंह धालीवाल ने कहा कि 13 अप्रैल का दिन शहीद ऊधम सिंह लिए बहुत ही अहम दिन है तथा वैसाखी वाले दिन राष्ट्रीय शहीद ऊधम सिंह को उनकी जिंदगी का असल उद्देश्य मिला था। उन्होंने कहा कि शहीद के मन में जलियांवाला बाग की घटना का इतना गहरा असर हुआ कि उसने इस घटना का बदला लेने का प्रण उसी जलियांवाला बाग की मिट्टी को अपने माथे से लगाकर किया। उन्होंने कहा कि शहीद ने इस रक्त कांड का बदला लेने के बाद ब्रिटिश हकुमत की भारत विरोधी नीतियों की भी जमकर निंदा की थी। उन्होंने कहा कि जैसे शहीद के शहीदी तथा जन्म दिन की याद किया जाता है उसी तरह शहीद को आज के दिन याद करना प्रशासन द्वारा यकीनी बनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर शहीद ऊधम सिंह के वारिस खुशी नंद, हरदयाल सिंह, शाम सिंह, मलकीत सिंह, गुरमीत सिंह आदि ने कहा कि आज के पवित्र दिन भी शहीद को याद करना चाहिए, इसके अलावा विदेशों में पड़ी यादगारों को भी भारत लाया जाए तथा यह मांग उनकी ओर से गत कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन अभी तक उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई।