अखिलेश के समर्थन हेतु परिवार हुआ एकजुट

उप-चुनाव में मिली जीत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का परिवार उनके समर्थन में उतर आया है। पिता मुलायम सिंह यादव लम्बे समय के बाद लोकसभा अधिवेशन में लाल टोपी में नज़र आए थे। अखिलेश के अनुसार, परिवार द्वारा मायावती से गठबंधन को स्वीकृति दी जा चुकी है और एकता के प्रयासों के तहत ही लम्बे समय के बाद शिवपाल यादव द्वारा पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव से मुलाकात की गई ताकि उस लड़ाई को खत्म किया जाए, जिसकी कीमत 2017 के विधानसभा चुनावों में चुकानी पड़ी थी। 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व परिवार अपनी दूरियों को खत्म कर एकजुट होने के लिए तैयार है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के इन चुनावों में राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन में अहम भूमिका निभानी है। माना जाता है कि शिवपाल यादव को पार्टी में अहम पदों पर सुशोभित किया जाएगा।
उत्तेजक मुद्दों पर राजनीति
2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान बड़ी संख्या में दलितों की गिरफ्तारी के बाद भाजपा के दलित सांसदों में असंतोष दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। भाजपा सांसदों को अपने-अपने क्षेत्रों में दलितों का सामना करने की चिंता सता रही है। इस सूची में इटावा के सांसद अशोक कुमार दोहरे, बहराइच के सांसद सवित्री बाई फूले, राबर्टगंज से छोटे लाल खरवाह और अब बिजनौर से डा. यशवंत दलितों के साथ पार्टी में हो रहे व्यवहार के प्रति शिकायत कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रधान लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने खुलेआम उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरठ में भारत बंद और फ्लैग मार्च के दौरान बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया गया। समाजवादी पार्टी के ज़िला प्रधान राजपाल सिंह ने दावा किया कि चाहे सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के मुकद्दमों को वापस ले रही थी परन्तु यह बेकसूर दलितों को गिरफ्तार भी कर रही थी।
दिग्विजय की यात्रा
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा यात्रा पर लगभग छ: माह का समय लगाया, जिसको वह ़गैर-राजनीतिक बताते हैं। पैदल 3200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने के बाद उन्होंने अपनी यात्रा 9 अप्रैल को नदी के बरमन घाट पर समाप्त की। इससे पूर्व, 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर ने साढ़े पांच माह तक पैदल भारत की यात्रा की थी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया और सुरेश पचौरी, प्रांतीय कांग्रेस प्रधान अरुण यादव सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता और उनके समर्थक यात्रा पूरी होने पर घाट पहुंचे थे। दिग्विजय सिंह की यह धार्मिक यात्रा 230 विधानसभा सीटों में 110 से होकर गुज़री। वह सिर्फ अपने समर्थकों के आधार पर ही नहीं बल्कि लोगों के मनों से भी जुड़े। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे कमलनाथ, ज्योतिरादित्यि सिंधिया, अजय सिंह और अरुण यादव द्वारा अलग-अलग स्थानों पर उनके साथ यात्रा की गई और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा दिग्विजय की यात्रा पूरी होने पर उनको बधाई भी दी गई। दिग्गी राजा ने स्वयं को मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, जिन्होंने गत वर्ष पांच माह लम्बी नर्मदा सेवा यात्रा की थी, के साथ सीधी टक्कर की स्थिति में ला दिया है। अलग बात यह है कि शिवराज चौहान द्वारा यात्रा के  लिए हैलीकाप्टर का प्रयोग भी किया गया था।
त्रिवेन्द्र की मुश्किलें
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की समस्याएं हर दिन बढ़ती ही जा रहीं हैं। उनके अपने साथी ही ऐसा माहौल बना रहे हैं कि वे एक कमज़ोर मुख्यमंत्री हैं, जो अफसरशाही को नियंत्रण में नहीं रख सकते परन्तु रावत सचिवलय के भीतर भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं। मैडीकल कालेजों द्वारा फीस में बढ़ौतरी के फैसले को उन्होंने बहुत ही कारगर ढंग से वापिस करवाया। परन्तु विरोधी उनके विरुद्ध अभियान चला रहे हैं कि उनके नियंत्रण में कुछ नहीं।
भाजपा की चिंता
नए चुने गए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रभारी अशोक गहलोत की संस्थागत समर्थाओं से अवगत होने के कारण भाजपा नेताओं द्वारा चिंता व्यक्त की जा रही है। उन्होंने अपनी समर्था को राजस्थान की पिछले विधानसभा चुनाव और गुजरात में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव में साबित भी कर दिया है। वास्तव में, कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी उनकी सादगी और संस्थागत कुशलता से प्रभावित हैं और राजस्थान में भाजपा की हार से बढ़ी आंतरिक फूट के बाद राहुल चाहते हैं कि वह राज्य में कांग्रेस को एकजुट करें।