पाकिस्तान में राजनयिक से नहीं मिल पाए सिख तीर्थ यात्री

नई दिल्ली, 15 अप्रैल (वार्ता, उपमा डागा पारथ) : भारत ने तीर्थयात्रा के लिए पाकिस्तान गए सिख जत्थे को वहां स्थित भारतीय राजनयिकों और दूतावास की टीम से नहीं मिलने देने के पाकिस्तान के कदम को विएना संधि का उल्लंघन एवं ‘कूटनीतिक अशिष्टता’ करार देते हुए इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने आज यहां जारी वक्तव्य में कहा कि करीब 1800 सिख यात्रियों का जत्था धार्मिक स्थलों के भ्रमण सम्बन्धी द्विपक्षीय समझौते के तहत 12 अप्रैल से पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। वक्तव्य के अनुसार यह स्थापित परंपरा रही है कि भारतीय उच्चायोग की वाणिज्य एवं प्रोटोकाल टीम इन यात्राओं के दौरान भारतीय तीर्थयात्रियों के साथ रहती है। यह टीम मैडीकल सहायता या परिवार को किसी तरह की आपात स्थिति में मदद करती है। इस बार इस टीम को भारतीय सिख तीर्थयात्रियों से नहीं मिलने दिया गया। टीम को सिखों के जत्थे के 12 अप्रैल को वाघा रेलवे स्टेशन पहुंचने पर उनसे नहीं मिलने दिया गया। इस टीम को 14 अपैल को गुरुद्वारा पंजा साहिब में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई जबकि सिख जत्थे का टीम से इस गुरुद्वारे में मुलाकात का कार्यक्रम था। इस तरह उच्चायोग को भारतीय नागरिकों के प्रति प्रोटोकाल ड्यूटी करने तथा मूलभूत सेवाएं मुहैया कराने से रोका गया। वक्तव्य के अनुसार पाकिस्तान में तैनात भारतीय उच्चायुक्त को इवैकुई ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड के अध्यक्ष ने गुरुद्वारा पंजा साहिब आने का निमंत्रण दिया था लेकिन गुरुद्वारा जा रहे उच्चायुक्त को रास्ते में ही सुरक्षा कारणों का हवाला देकर वापस लौटने को कहा गया। उच्चायुक्त को वैशाखी के अवसर पर भारतीय जत्थे का स्वागत करना था लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकों से मिले बगैर ही वापस लौटने पर मज़बूर कर दिया गया। वक्तव्य में कहा गया है कि भारत ने इस राजनयिक अशिष्टता के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम 1961 की वियना संधि के साथ-साथ 1974 की धार्मिक स्थलों के भ्रमण सम्बन्धी द्विपक्षीय प्रोटोकाल तथा 1992 की उस आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है जो भारत और पाकिस्तान में राजनयिक/वाणिज्य दूतावास कर्मियों के साथ बर्ताव को लेकर है और दोनों देशों ने हाल ही में इसकी एक बार फिर पुष्टि की है।