पुस्तकों से दिनों-दिन दूर होता जा रहा युवा वर्ग

चूंकि पुस्तकें ज्ञान का अथाह भंडार हैं फि र भी युवा वर्ग पुस्तकों से बेहद दूर होता चला जा रहा है । यह एक गंभीर मामला है, विचारणीय विषय है । इस बात पर चिंतन अवश्यमेव होना चाहिए । यह तो सर्वविदित है कि पुस्तकें हमारी सर्वश्रेष्ठ एवं विश्वसनीय साथी रही हैं । इनसे हमें जीवन उपयोगी जानकारी मिलती है। हमारे ज्ञान में भरपूर बढ़ौतरी होती है । पुस्तकों के महत्व के बारे में महान् देशभक्त एवं विद्वान लाला लाजपत राय ने कहा था ‘मैं पुस्तकों का नरक में भी स्वागत करूंगा। इनमें ऐसी ताकत है जो नरक को भी स्वर्ग बनाने की क्षमता रखती है।
ऐसी क्या बात है कि युवा पीढ़ी पुस्तकों से कोसों दूर भाग रही है , युवा पुस्तकें पढ़ने में रुचि क्यों नहीं ले रहे? वर्तमान समय की यह सबसे बड़ी त्रासदी कही जा सकती है। निस्सन्देह विज्ञान रोजाना नई-नई खोजें कर रहा है । ऐसे में वैज्ञानिकों ने लोगों की जीवनशैली ही बदल कर रख दी है । इसमें भी कोई दो राय नहीं कि युवा जीवन का प्रत्येक किला फ तेह कर लेना चाहता है । मोबाइल फोन की खोज के जहां पर्याप्त लाभ हैं वहां इसकी बहुत-सी हानियां भी हैं । पुस्तकों को छोड़कर वह मोबाइल का दास बनकर रह गया है । इसीलिए आज का नौजवान किताबों का अध्ययन करने की अपेक्षा मोबाइल फोन आदि में सोशल मीडिया पर अपना अधिकांश समय यूं ही व्यतीत कर रहा है  है । ऐसे में उनके पास पुस्तकें पढ़ने का समय ही नहीं है। कितनी दुखद बात है। अफ सोस होता है युवा वर्ग की शोचनीय सोच पर ।
नौजवान गैर-ज़रूरी कामों में संलिप्त है । वर्तमान के साथ-साथ वह अपना भविष्य भी अन्धकारमय बना रहा है । बढ़िया जीवनोपयोगी पुस्तकें पढ़ने के लिए उसके पास समय ही नहीं है । पुस्तकें पढ़कर युवा वर्ग महान् विद्वान लोगों से सही व उचित सेध प्राप्त कर सकते हैं। 
संसार में जितने भी महापुरुष, नेता, देशभक्त व क्रान्तिकारी हुए हैं, इन सबने पुस्तकों को अपना अभिन्न साथी बनाया हुआ था । अत: एक बढ़िया पाठक के साथ-साथ वे एक अच्छे साहित्यकार भी बने । इनके जीवन से प्रेरणा लेकर नौजवान जीवन के क्षेत्र में कहीं आगे अग्रसर हो सकते हैं । हां, इसके लिए इन्हें अपने भीतर से ही पुस्तकें पढ़ने में अभिरुचि उत्पन्न करनी होगी । पुस्तकों का हमारे पास पर्याप्त भंडार है । प्रत्येक विषय पर आधारित बढ़िया से बढ़िया पुस्तक उपलब्ध है । कविता, कहानी, उपन्यास एवं निबन्ध पढ़कर जिंदगी का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। पुस्तकों को पढ़कर कोई भी नौजवान एक अच्छा लेखक, विद्वान एवं एक अच्छा वक्ता बनने में कामयाब हो सकता है । इसके लिए एक अच्छे प्रयास की आवश्यकता है । कौन करेगा प्रयास, आखिर किसी को तो पहल करनी ही होगी ।     नि:सन्देह स्मार्टफोन पर ई.पुस्तकें काफी मात्रा में उपलब्ध हैं। इनसे आवश्यकता पड़ने पर किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त की जा सकती है पर छपी हुई पुस्तकों का अपना ही अलग महत्व है । हमारी युवा पीढ़ी को उत्कृष्ट विचारों से युक्त पुस्तकों के प्रचार व प्रसार से एक नया रास्ता दिखाया जा सकता है । अगर हम अपने युवा वर्ग को उन्नति की ओर अग्रसर ले जाना चाहते हैं तो उन्हें बढ़िया पुस्तकें पढ़ने को कहा जाए। उन्हें यह बताना होगा कि पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान को हमसे कोई भी छीन नहीं सकता चाहे कोई चोर-डाकू हमारे हाथों से कुछ भी छीन कर ले जा सकता है ।बेहद अफ सोसजनक बात है कि आज का नौजवान भटक चुका है । उसकी मानसिकता भ्रष्ट हो चुकी है । वह अपने ही भंवर जाल में फं स कर रह गया है। उसके मन में एक ही तालाब का मेंढ़क बनने की मन में लालसा है। बाहरी दुनिया में क्या हो रहा है। इस बात से उसका तनिक भी लेना-देना नहीं। वह नशे की दलदल में फंसकर अपना अनमोल जीवन बर्बाद कर रहा है। पुस्तकें पढ़कर वह नशे से बच सकता है । वह अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकता है। राष्ट्र के युवा कर्णधारों को अच्छा नागरिक, नेक इन्सान एवं विद्वान बनाने हेतु उन्हें अच्छी पुस्तकें पढ़ने को उत्साहित करना होगा। समय की मांग के दृष्टिगत आम जनमानस के साथ ही केन्द्रीय एवं राज्यों की सरकारों को एक अथक प्रयास करना होगा । पुस्तकालयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए । शराब के ठेकों को बंद कर गांव-गांव व शहर-शहर पुस्तकालय स्थापित करना एक कारगर कदम साबित होगा। इससे ही नौजवानों को एक नई दिशा मिलेगी । एक बात यहां लिखनी जिक्रयोग्य है कि पुस्तकें महज पुस्तकालय में धूल न चाटती रहें। युवाओं को इस ओर ले जाना होगा। पुस्तक मेलों में युवाओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। 
पुस्तकों की गुणवत्ता बरकरार रखी जाए । इस बात पर बल दिया जाए कि पुस्तकें युवाओं के जीवन का आधार बनें । पुस्तकें अश्लीलता लिए न हों। पुस्तकें उन्हें  देशभक्ति का पाठ पढ़ाएं । पुस्तकों के अभाव में युवाओं का जीवन अधूरा है । दरअसल, पुस्तकें एवं युवा एक-दूसरे के पूरक हैं । आओ, हम नये सूरज का निर्माण करें । युवा हैं तो राष्ट्र है । इनमें आज और अभी से पुस्तकें पढ़ने का शौक पैदा करें। इसमें ही इनकी व राष्ट्र की भलाई है ।

—धर्मकोट जिला मोगा-142042 (पंजाब)