चीनी कम्पनियों ने पी.बी.एस. प्रणाली का लिया सहारा

लुधियाना, 16 अप्रैल (पुनीत बावा): भारतीय उद्योगों को हर पक्ष से तबाह करने वाले चीन ने अब भारत के साइकिल  उद्योगों को तबाह करने के लिए पब्लिक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली का सहारा लिया है, जिसके तहत चीनी कम्पनियों ने भारत के विभिन्न शहरों में यह प्रणाली चालू करके चीन में नकारा पड़े सवा करोड़ से अधिक साइकिलों को भारत भेज रहा है, जिसका कार्य शुरू हो चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन में 2014 में ओफो व मोबाइक नामक कम्पनियों द्वारा पब्लिक बाईक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली शुरू की थी, जिसके बाद 8 अन्य कम्पनियां इस प्रणाली के साथ जुड़ गईं। चीन की कम्पनियों ने डाकलैस टैक्नालोजी को अपनाया, जिस के तहत इंटरनैट के साथ एक स्मार्ट फोन, आन लाईन भुगतान सुविधा व आर.एफ.आई.डी. चिप व आप्रेशन स्टैप ज़रूरी रखे गए थे। चीन में यह प्रणाली लागू होने के बाद पी.बी.एस. प्रणाली में साइकिल देने के लिए बड़ी संख्या में कम्पनियों ने साइकिलों का उत्पादन किया गया। जून 2017 तक चीन में 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ता शहरी क्षेत्रों से जुड़ गए, जिसमें 90 फीसदी कार्य ओफो व मोबाइक के पास आया। साइकिलों की भरमार होने के कारण लोगों ने शहरों में खाली जगहों, सड़कों के किनारे व अन्य जगहों पर साइकिल खड़े करने शुरू कर दिये, जिस कारण लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। चीनी सरकार ने इस समस्या के हल के लिए इसको रैगूलेट करने का फैसला किया।
पी.बी.एस. प्रणाली द्वारा चीन में जो साइकिल ढेरों के रूप में पड़े हैं वे अब नाकारा हो रहे हैं, उन साइकिलों को अब भारत के विभिन्न शहरों में ओफो व मोबाइक कम्पनियों द्वारा लाया जा रहा है, चीनी कम्पनियों ने लाखों साइकिलें थोड़े ही समय में भेजने का फैसला किया है। पब्लिक बाइक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली के तहत देश के कोयंबटूर व पुणे में 5 हज़ार साइकिल आ चुके हैं, जबकि यह प्रणाली बंगलूरू, श्रीनगर, चंडीगढ़, गुवाहाटी, मैसूर, भोपाल आदि शहरों में भी चालू की जा रही है। चीनी कम्पनियों द्वारा पब्लिक बाइक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली को देश के 100 स्मार्ट शहरों में लागू करने का फैसला किया गया है, जिसके तहत वह चीन के नाकारा साइकिल व पुराने साइकिल को पुन: चलने योग्य बना कर भारत में भेजने की तैयारी में है। चीन की कम्पनियों द्वारा भारत में पी.बी.एस. प्रणाली का सहारा लेकर साइकिल भेजने से दुनिया के नम्बर 2 साइकिल उत्पादन करने वाले भारत के 40 हज़ार साइकिल उद्योगों के 10 लाख श्रमिक सड़कों पर आ जाएंगे। भारतीय साइकिल उद्योग जो हर वर्ष 1 करोड़ 65 लाख साइकिल तैयार करके 6 हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार करता है, वह कारोबार में बुरी तरह तबाह हो जाएगा। देश के 11 करोड़ साइकिल उपभोक्ताओं पर भी इसका असर पड़ेगा। देश की साइकिल निर्माता कम्पनियों व संगठनों द्वारा संघर्ष करने का ऐलान : ऐवन  साइकिल में आज देश की साइकिल कम्पनियों की एक बैठक आल इंडिया साइकिल मैनुफैक्चज़र् एसोसिएशन, यूनाईटिड साइकिल एंड पार्ट्स मैनुफैक्चज़र् एसोसिएशन, फैडरेशन आफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल आर्गेनाईजेशन व जी. 13 साइकिल फोर्म की शमूलियत में हुई, जिस में ओंकार सिंह पाहवा एवन साइकिल, एस.के. राय हीरो साइकिल, के.के. सेठ नीलम साइकिल, गौरव मुंझाल हीरो इकोटैक, इंद्रजीत सिंह नवयुग प्रधान यू.सी.पी.एस.ए., प्रदीप कुमार वधावन सीनियर उपप्रधान, गुरमीत सिंह कुलार प्रधान फिको, मनजिन्द्र सिंह सचदेवा, प्रधन बराडो, यू.के. नारंग, हरमोहिन्द्र सिंह पाहवा (दोनों जी. 13), के.बी. ठाकुर महासचिव एकमा, जी.डी. कपूर एवन साइकिल ने कहा कि वे पी.बी.एस. प्रणाली के विरोधी नहीं हैं, परन्तु इस प्रणाली द्वारा चीनी नकारा साइकिलों को भारत में लाकर भारतीय साइकिल उद्योगों को तबाह करने की नीति के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार चीन से आने वाले साइकिलों पर 60 फीसदी तक आयात ड्यूटी लगाई जाए ताकि वे भारतीय उद्योगों को तबाह न कर सकें। उन्होंने ऐलान किया कि यदि केन्द्र सरकार ने उनकी प्रार्थना न की तो वह संघर्ष शुरू करेंगे।