बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाने की सिफारिश

नई दिल्ली, 18 अप्रैल (वार्ता): विधि आयोग ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सरकारी संस्था मानने और इसे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने अपनी 275वीं रिपोर्ट विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद को सौंपी, जिसमें उसने कहा है कि बीसीसीआई सरकार के एक अंग के तौर पर काम करता है, इसलिए इसे आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए।   आयोग ने कहा है कि बीसीसीआई को कर की छूट और भूमि अनुदानों के तौर पर संबंधित सरकारों से अच्छा खासा वित्तीय लाभ मिलता है। इसलिए इसे सरकार के अंग के तौर पर माना जाना चाहिए। विधि आयोग का कहना है कि जब देश के अन्य खेल संघ आरटीआई के तहत आते हैं तो फिर बीसीसीआई को इससे बाहर क्यों रखा जाये? आयोग की 275वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीआई ही नहीं, बल्कि क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था की शर्तों को पूरा करने वाले राज्य क्रिकेट संघों को भी आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए।   रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के रूप में काम करता है। बोर्ड के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में कहा गया है कि बीसीसीआई का कार्य एवं उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीमों का चयन करने के अलावा देश में क्रिकेट खेल पर नियंत्रण, गुणवत्ता में सुधार और नीतियां आदि तैयार करना है।  इतना ही नहीं लोकसभा में केंद्र सरकार ने भी बीसीसीआई को एनएसएफ करार दिया है, ऐसी स्थिति में किसी भी संशय को दूर करने के लिए सरकार को खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर इस क्रिकेट बोर्ड को एनएसएफ की सूची में शामिल करना चाहिए।