पंजाबी लेखक सभा कैलगरी की बैठक कहानी विधा को समर्पित रही

कैलगरी, 19 अप्रैल (जसजीत सिंह धामी): पंजाबी लेखक सभा कैलगरी की बैठक शुरू करते हुए सभा के सचिव रणजीत सिंह ने प्रधानगी मंडल में बैठने के लिए सभा के प्रधान बलजिन्दर संघा, कहानीकार दविंदर मल्हांस व नावलकार और कहानीकार गुरचरन कौर थिंद को आह्वान किया। इस समय बिछड़ी आत्माओं को श्रद्धांजलि भेंट की गई। त्रिलोचन सैंभी ने भगत सिंह के शहीदी दिवस को याद करते हुए महिन्द्र शूमल की लिखी भगत सिंह की घोड़ी ‘मेरा वीर भगत सिंह खातर देश दी’ अपनी बुलंद आवाज़ में सुनाई। सरूप सिंह मंडेर ने खालसा पंथ की साजना दिवस की बधाई देते हुए धार्मिक गीत ‘दानी सिर दे पंज प्यारे’ और ‘खालसा रहित’ साझे किए। इसी लड़ी में कोषाध्यक्ष मंगल चट्ठा ने बाबा बुल्ले शाह का कलाम व लखविंदर जौहल ने जगदीश कौर की रचना ‘पंथ सजाया’ हैठ सुनाई। परमिन्दर रमन ने खूबसूरत गज़ल, हरनेक बधनी ने अच्छा संदेश देती नज़म ‘मेरी कविता मैंनूं कहिंदी है’, जोरावर बांसल ने ‘दसवंध’ व जोगिन्दर सिंह संघा ने नशों पर निशाना साधते हुए कहानी सुनाई। हरीपाल ने आसिफा बारे कई सवालिया चिन्ह खड़े करता लेख पढ़ा जो इतने दु:ख भरे शब्दों में था, जिसने सभी को भावुक कर दिया। गुरचरन कौर थिंद ने नावल ‘जगदे बुझदे जुगनूं’ पर गोष्ठी व गुरु अंगद देव कालेज में कनाडा की जिंदगी पर विचार चर्चा हुई शामिल है। दविंदर मल्हांस ने कहानीकार जतिन्दर हांस बारे दिलचस्प शब्द चित्र पढ़ा। जिसमें उनकी लिखतें, स्वभाव व तज़ुर्बों का जिक्र था। रचनाओं के अगले दौर में मनमोहन सिंह बाठ ने गीत ‘जीय करदा इस दुनियां नूं’ हरकीरत धालीवाल ‘मैं शायर नहीं’ कविता सरबजीत  उप्पल ने ‘टप्पे’ व तरलोक चुघ ने हास्य भरपूर चुटकलों से हाज़री लगवाई।  इस अवसर पर बलबीर गोरा, सुखपाल परमार, नछत्तर पुरबा, गुरलाल सिंह रूपालो, जतिन्दर कौर रूपालो, गुरपाल रूपालो, गुरिन्दरपाल बराड़, गुरबचन बराड़, महिन्दरपाल सिंह पाल उपस्थित थे। अंत में अध्यक्ष बलजिन्दर संघा ने आए हुए गणमान्यों का धन्यवाद किया।