बचपन.......

हंसता गाता झूमता बचपन
धरती जैसा घूमता बचपन
सूरज जैसा चमकता बचपन
सिक्के जैसा खनकता बचपन।
छोटी-छोटी बातों पर अड़ना
छीनना झपटना रोना-लड़ना
फिर हंसना और गले मिलना
कहां मिलेगा ऐसा भोलापन।
दुनियादारी से बेसमझ बचपन
जाने न कोई चालाकी-कपटपन
हर एक से जताए अपनापन
कहां मिलेगा ऐसा सच्चापन।
सुर नहीं जानता फिर भी गाता
कुछ नहीं जानता फिर भी इतराता।
बोल नहीं सकता फिर भी बतलाता। 
मासूम सौम्य मधुर-सा पागलपन। 
तितलियों के पीछे भागता बचपन 
दिन में सोता, रातों को जागता बचपन।
बस, एक ‘टॉफी’ से मानता बचपन
भागते-भागते थक कर हांफता बचपन।
बचपन, बचपन-ए-बचपन। तुझे सलाम
‘आबा’ हर कोई याद करेगा अपना बचपन
जब आ जाएगी, उसकी उम्र पचपन।

— अमन शर्मा आबा
म.न. बी-896, संतोखपुरा, 
नज़दीक मैट्रो अस्पताल, जालन्धर
-मो: 9463726792