चीफ जस्टिस के खिलाफ विपक्ष ने दिया महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस

नई दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) : कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने आज प्रधान न्यायाधीश पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया और कहा कि ‘संविधान और न्यायपालिका की रक्षा’ के लिए उनको ‘भारी मन से’ यह कदम उठाना पड़ा है। महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं। इन दलों ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाया और कहा कि इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है और न्यायाधीश बीएच लोया मामले से भी इसका कोई संबंध नहीं है। 
नायडू को महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सभापति से पिछले सप्ताह ही समय मांगा था लेकिन वह पूर्वोत्तर दौरे पर थे और समय नहीं मिल पाया। ऐसे में आज समय मिला जिसके बाद नायडू को यह नोटिस दिया गया। आज़ाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाभियोग प्रस्ताव के लिए 50 सदस्यों की ज़रूरत होती है। इस प्रस्ताव पर सात पार्टियों के कुल 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से सात का कार्यकाल पूरा हो रहा है।’’ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘हम भी चाहते थे कि न्यायापालिका का मामला उसके भीतर सुलझ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमें भारी मन से ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि संविधान और एक संस्था की स्वतंत्रता और स्वायत्तता का सवाल है।’’ उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ पांच आरोपों का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर विपक्षी दलों ने यह नोटिस दिया है। इससे पहले संसद भवन में विपक्षी दलों के नेताओं की इस मुद्दे पर बैठक हुई जिसमें कांग्रेस नेता आजाद, कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला, भाकपा के डी. राजा और राकांपा की वंदना चव्हाण ने हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक पहले प्रधान न्यायाधीश के महाभियोग के पक्ष में थे, लेकिन बाद में इस मुहिम से अलग हो गए। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु की जांच के लिये दायर याचिकायें खारिज किये जाने के अगले ही दिन महाभियोग का नोटिस दिया गया है। महाभियोग का नोटिस देने के लिए राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्यों जबकि लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर की ज़रूरत होती है।