तक्षशिला  दुनिया का पहला विश्वविद्यालय

भारत में दुनिया के पहले विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना सातवीं शती ईसा पूर्व हो गयी थी। और यह समय नालंदा विश्वविद्यालय से लगभग 1200 वर्ष पहले था। ‘तेलपत्त’ और ‘सुंसीमजातक’ में तक्षशिला को काशी से 2000 कोस दूर बताया गया है। जातकों में तक्षशिला के महाविद्यालय की भी एक नहीं बल्कि अनेकों बार चर्चा हुई है। और यहां अध्ययन करने के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी आते थे और भारत के ज्ञात इतिहास का यह सर्वप्राचीन विश्वविद्यालय था और इस विश्वविद्यालय की एक अति विशेष बात यह थी कि इस विश्वविद्यालय में राजा और रंक सभी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार होता था। तक्षशिला विश्वविद्यालय में धनुर्वेद तथा ‘वैद्यक’ तथा अन्य विद्याओं की ऊंची शिक्षा दी जाती थी। और जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसके बारे में कहा जाता है कि श्रीराम जी के भाई श्री भरत जी के पुत्र तक्ष जी ने उस नगर की स्थापना की थी। यह विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10,500 से भी अधिक छात्र अध्ययन करते थे। यहां 60 से भी ज्यादा विषयों को पढ़ाया जाता था। एक बड़ी बात यह थी कि यहां तक्षशिला विश्वविद्यालय में धनी (अमीर) तथा निर्धन दोनों ही तरह के छात्रों के अध्ययन की बड़ी अच्छी व्यवस्था थी। सुप्रसिद्ध विद्वान, चिंतक, कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री चाणक्य जी ने भी अपनी शिक्षा यहीं पूर्ण की थी। उसके बाद यहीं पर शिक्षण का कार्य करने लगे और यहीं पर उन्होंने अपने अनेक ग्रंथों की रचना भी की। तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थिति ऐसे स्थान पर थी, जहां पूर्व और पश्चिम से आने वाले मार्ग (रास्ते) आपस में मिलते थे । चतुर्थ शताब्दी ई.पू. से ही इस मार्ग से भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमण होने लगे। विदेशी आक्रमणकारियों ने इस विश्व विद्यालय को बहुत ही नुक्सान पहुंचाया और अंतत: छठवीं शताब्दी में यह आक्रमणकारियों  ने अपने हमलों से इसे पूरी तरह नष्ट ध्वस्त ही कर दिया। आजकल तक्षशिला पाकिस्तान में है। 

— डी.आर.बंदना