परिवार में औरत की भूमिका

एक औरत के कई रूप हैं और उसका हर रूप अपने आप में खास और अनमोल है। हमारी संस्कृति को कायम रखने में औरत का बहुत बड़ा योगदान है। जरा सोचिये, दादी मां की कहानियों के बिना, मां के प्यार दुलार के बिना, पत्नी के जीवन भर के साथ के बिना हमारी ज़िंदगी कैसी होती? बहन की प्यार भरी छेड़छाड़, एक बेटी की प्यार भरी देखभाल, इसके बिना हमारा जीवन कितना नीरस होता। औरत ही सब में प्यार और खुशी बांटती है, सब का ध्यान रखती है। क्या हम सोच सकते हैं कि औरत के बिना हमारा परिवार कैसा होता? भगवान ने औरत को जननी होने की अनमोल देन और खास ज़िम्मेदारी दी है—
केवल औरत में जन्म देने की सामर्थ्य है। संसार को नई जान की दात केवल औरतें ही बख्श सकती हैं। सबको प्यार देना—यह खूबी, यह शक्ति औरत में तब उभर आती है, जब मां बनती है। मां बनना, यह औरत को भगवान का वरदान है, ऐसा कहना मदर टेरेसा का है। मां की समस्या के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है। स्त्री अपनी जान को खतरे में डाल कर बेहद शारीरिक पीड़ा को सहकर, दिली खुशी से अपने बच्चों को जन्म देती है। 
बच्चों की देखभाल करते हुए वह अपने आराम के बारे में नहीं सोचती। वह बेगरज़ होकर अपनी ज़िम्मेवारियां निभाती है। ज़रूरत पड़ने पर खुद भूखी रहकर अपने बच्चों का पेट भरती है। बच्चों को चोट लगने पर बड़े प्यार और दुलार से मरहम पट्टी करती है। थकान की परवाह किए बगैर वह अपने बच्चों की हर ज़रूरत का ध्यान रखती है। मां के प्यार में उसका स्वार्थ नहीं छलकता। भगवान हर जगह नहीं जा सकता, इसलिए उसने मां को बनाया। (एक यहूदी कहावत)। जैसे कि नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा है कि बच्चे के भाग्य का निर्माण उसकी मां ही करती है। औरत सहज ही अपने घर में प्यार, अपनापन, साफ-सफाई और सुखद माहौल पैदा करती है और वही हमें दुनिया के तौर-तरीकों से वाकिफ कराती हैं। एक सच्चे साथी के रूप में औरत ही अपने पति का साथ निभाती है और सुख-दुख में वफादारी उसका साथ देती है। वह न केवल अपने माता-पिता को प्यार देती है, बल्कि अपने पति के परिवार को भी प्रेम की डोरी में भी बांध लेती है। बच्चों ले लेकर बूढ़ों और बीमारों तक सभी की प्रेम और प्यार से देखभाल करती हैं। 
 एक औरत के लिए समय के सच को समझना ज़रूरी है, उसको अपनी सोच को समय के समकक्ष बनाना चाहिए। अगर हमारी सोच के बर्तन में नकारात्मक विचार होंगे तो समझ जाओ कि हम अपनी ज़िंदगी की सफलता में उल्ट दिशा की ओर चल रहे हैं। अपनी सोच में आप अच्छे विचारों के बीज बोयें। समय पाकर आपको इसका फल ज़रूर मिलेगा। स्वयं सुखी होने के चक्कर में दूसरों को दु:ख पहुंचाओगे तो आप के सुख की उम्र लम्बी नहीं होगी। सफलता बड़ी नहीं होती, लेकिन सफलता प्राप्त करने वाले लोग सचमुच बड़े होते हैं। अपनी किसी कमी को पूरा करने का यत्न न करना ही हमारी सबसे बड़ी कमी है। हिम्मत बनाती है सोच निभाती है। 
परिवार चाहे छोटा हो या बड़ा एक औरत के बिना हमेशा अधूरा रहता है। परिवार में खुशियों का माहौल हो या दु:ख-दर्द औरत की एक अपनी अहम भूमिका होती है। लेकिन कभी-कभी परिवार के कुछ सदस्य उस भूमिका का कोई मान नहीं रखते। 
औरत का कोई भी रूप हो चाहे वह बहू हो या बेटी, भाभी हो या नानी, दादी, मान-सम्मान सभी के लिए महत्वपूर्ण है। घर में औरत की शुरूआत एक छोटी सी बच्ची से होती हैं जो पूरी तरह से शिक्षा का अधिकार रखती है और उसका भविष्य आपके सहयोग से उज्जवल बन सकता है। औरत घर की शांति और खुशहाली की कुंजी है। असल में औरत ही घर को बनाती है ‘परिवार में, समाज में और संसार में औरत का योगदान अमूल्य है। उसके बिना हमारे जीवन में पूर्णत: नहीं आ सकती और न ही जीवन खुशहाल बन सकता है।

—राम प्रकाश शर्मा, जालन्धर
मो. 90419-19382