रोका जा सकता है डायबिटीज को


डायबिटीज भारत में एक रोग का जाना पहचाना नाम है जिसे लोग शुगर की बीमारी, मधुमेह, शक्कर की बीमारी आदि के नाम से जानते हैं, जिससे खानपान से प्राप्त ग्लूकोज शरीर में एकत्र होने लगता है जो अधिकता की स्थिति में मूत्र के माध्यम से बाहर निकलने लगता है।
भूख, प्यास अधिक लगना, पेशाब में शुगर जाना, उसमें चींटी आना, शरीर में खुजली, घाव न भरना, पेशाब अधिक होना, वजन का अचानक घटना बढ़ना, त्वचा शुष्क व सुगंधित होना, आंखों में किरकिरी इसके प्रचलित लक्षण माने जाते हैं। लक्षणों की अधिकता की स्थिति में शुगर संभावित होती है जो रक्त व पेशाब की दो-तीन बार जांच से स्पष्ट होता है।
डायबिटीज प्रकार व कारण
डायबिटीज तीन प्रकार की होती है। टाइप वन श्रेणी के शुगर में भोजन से प्राप्त ग्लूकोज को पचाने के लिए बाहरी इंसुलिन जरूरी होता है जो डॉक्टर के अनुसार मरीज को इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। भारत के शुगर मरीजों में से 10 प्रतिशत इसी श्रेणी के है। टाइप टू श्रेणी की डायबिटीज को जीवनशैली एवं खानपान में सुधार कर या दवा लेकर नियंत्रित किया जा सकता है। 85 प्रतिशत मरीज इस श्रेणी के हैं।
ब्लडप्रेशर, हृदय रोग एवं मोटापाग्रस्त व्यक्ति डायबिटीज टू श्रेणी का बन जाता है। यह सब लापरवाही की वजह से होता है जिसे चाहें तो बड़ी सरलता से रोका व काबू में किया जा सकता है।
डायबिटीज को काबू में करने व रोकने का उपाय -
षप्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम, तेज चाल चलें या सायकिल चलाएं।
षवजन अधिक है तो उसे घटाएं। सामान्य माप से इसे कुछ कम रखें।
षब्लड प्रेशर, हृदय रोग को काबू में रखें।
षवसीय खानपान से बचें, कोलेस्ट्राल नियंत्रित रखें।
षमीठी चीजों एवं शर्करा बढ़ाने वाली वस्तुएं अत्यन्त कम लें।
षभोजन में सूप, सलाद व रायता लें।
षतली भुनी चीजें, जंक फूड, फास्ट फूड, डिब्बा बंद, बोतल बंद, वस्तुओं का सेवन न करें। कोल्ड डिं्रक्स, जूस कदापि न लें।
षसलाद, सब्जी व रेशेदार चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं।
षबैठे ठाले समय न बिताएं। आलस न करें। कुछ न कुछ श्रम करते रहें।
षपैदल चलें, लिफ्ट की बजाय सीढ़ी का उपयोग करें।
षनींबू, संतरा, मौसम्मी लें। एक सेब, एक फांक पपीता से ज्यादा न लें। पका केला, पका आम, पका कद्दू न खाएं।
षमैदा, पालिश चावल या उससे बनी वस्तुओं का सेवन न करें। दलिया, रवा, साबुत अनाज, अंकुरित अनाज, दाल उपयोग करें।
षतनाव, निराशा, हताशा, अवसाद को पास न आने दें। चुस्त-दुरूस्त, हंसमुख, उत्साही, आशावादी व कर्मठ रहें। काम करने में तत्पर रहें।  (स्वास्थ्य दर्पण)
-सीतेश कुमार द्विवेदी