उत्तम स्वास्थ्य हेतु जरूरी हैं खेल


एक कहावत है ‘जितने ज्यादा खेल के मैदान, उतने कम अस्पताल।’ इस कहावत में खेल के मैदान एवं अस्पताल में जो संबंध दर्शाया गया है, वह संबंध सरल एवं स्वाभाविक है।
स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिये संतुलित आहार, स्वच्छ वातावरण एवं व्यायाम अत्यन्त आवश्यक हैं परन्तु आज के युग में शहरों एवं महानगरों में खेल के मैदान की बात तो अलग है, खुले मैदानों का होना भी दुर्लभ होता जा रहा है।
खेलों की उपेक्षा:- हमारे जीवन में खेलों का इतना अधिक महत्त्व होने के बावजूद हमारी शिक्षा प्रणाली में आज तक खेलों के प्रति उपेक्षा ही देखने को मिलती है। देश के 4० प्रतिशत शिक्षण संस्थानों में खेल के मैदानों का अभाव है। 6० प्रतिशत में अगर खेल के मैदान हैं भी तो उसकी उचित देखभाल नहीं की जाती। खेल सुविधाओं का सीधा असर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके लिये जरूरी है कि उपेक्षा छोड़ विकास के अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिए।
पहला सुख निरोगी काया:- इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि स्वस्थ शरीर के निर्माण में खेलों का काफी योगदान होता है। स्वस्थ शरीर के महत्त्व को सदियों पूर्व हमारे पूर्वजों ने भी समझा था। हजारों वर्ष पूर्व यूनानी भी ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क’ होता है, में विश्वास रखते थे। इसी को आधार मानकर उन्होंने अपनी शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया। इस महत्त्व को हमें भी समझ कर इस दिशा में कुछ करना होगा। यदि शरीर स्वस्थ होगा तो प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति होगी।
यदि खेल के मैदान अधिक मात्रा में हों तो जनसाधारण के लिये उनका उपयोग करना आसान हो जाता है। कबड्डी, दौड़, खो-खो, फुटबाल आदि भारतीय खेल व्यायाम की दृष्टि में भी पूर्ण हैं जिनके लिये मैदानों का होना अनिवार्य है। (स्वास्थ्य दर्पण)
-उदय चन्द्र सिंह