सुरक्षित है अमृतसर की धरती पर निर्मित किया गया पहला घर


अमृतसर, 24 अप्रैल (सुरिन्द्र कोछड़) : अमृतसर की धरती पर नगर आबाद होने के समय निर्मित किया गया पहला घर अर्थात् रिहायश स्थान गुरुद्वारा गुरु का महल के रूप में शहर के गुरु के बाजार के साथ लगती गली के अंदर अपनी शान कायम रखे हुए है। शहर बसाने तथा अमृत सरोवर से संतोखसर की सेवा शुरू की गई तो चौथे पातशाह गुरु रामदास जी महाराज के निवास के लिए संगत के लिए पहले छपरियां, फिर कच्चे मकान तथा बाद में पक्का मकान निर्मित किया गया। गुरुद्वारा गुरु के महल में तबदील हो चुके उक्त पवित्र स्थान पर गुरु रामदास जी, गुरु अर्जुन देव जी तथा छठे पातशाह गुरु हरगोबिन्द साहिब निवास करते रहे। इसी स्थान पर गुरु हरगोबिन्द साहिब के साहिबजादों, गुरु तेग बहादुर साहिब, श्री सूरज मल जी, श्री अणी राय जी तथा बाबा अटल राय जी सहित बीबी वीरो जी का जन्म हुआ। इस स्थान के पास ही गुरु बाजार के कोने में गुरुद्वारा चुरसती अटारी भी मौजूद है। छठे पातशाह उस स्थान पर बैठकर संगत को दर्शन दिया करते थे।
बताया जाता है कि सिख प्रदेश समय मौजूदा गुरुद्वारा गुरु का महल के स्थान पर पुरानी मुगलशाही ईंटों तथा चूने का बना गुरुद्वारा मौजूद था। गुरुद्वारा साहिब की इमारत काफी छोटी थी तथा अंदर प्रकाश स्थान, लंगर घर, पुराना कुआं तथा रिहायशी कमरे थे। इस स्थान के आसपास बहुत कम रिहायशी आबादी थी। वर्ष 1978 में संगत की मांग पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस स्थान की कार सेवा बाबा सेवा सिंह आनन्दपुर साहिब वालों द्वारा शुरू करवाई। गुरुद्वारा साहिब के इर्द-गिर्द बनी लगभग 91 दुकानों तथा मकान खरीद कर चौक की तरफ से गुरुद्वारा गुरु के महल तक खुली सड़क बना दी गई। इस स्थान पर नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर जी का जन्म होने के कारण कार सेवा के दौरान पांच प्यारों द्वारा यहां नौ मंजली गुरुद्वारा की इमारत निर्मित किए जाने के लिए नींव रखवा कर निर्माण शुरू करवाया गया। मौजूदा समय बाबा लाभ सिंह आनन्दपुर साहिब वालों की अगुवाई में भाई वाहेगुरु सिंह की देख-रेख में दीवान हाल, जोड़ा घर तथा लंगर भवन की कार सेवा जारी है।
गुरुद्वारा गुरु के महल के सेवादार स. गुरविन्द्र सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे की पुरानी इमारत को संगमरमरी भोरा साहिब का रूप दे दिया गया है तथा गुरु साहिब के घर में बनाए ऐतिहासिक कुएं का पानी सूख जाने पर उसके बाहर भी संगमरमर की सेवा करवा दी गई है। उन्होंने बताया कि गुरुद्वारा साहिब में गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश तथा शहीदी गुरुपर्व सहित प्रत्येक रविवार को दीवान सजाए जाते हैं।