अंध-विश्वासों की गाथा

बहुचर्चित एवं अनेक विवादों में घिरे रहे संत बापू आसाराम को एक अवयस्क लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में उम्र भर के लिए कैद की सज़ा सुनाई गई है। लगभग विगत पांच वर्षों से आसाराम जेल में नज़रबंद था। इस सज़ा के साथ एक बार फिर यह सिद्ध हुआ है कि आजकल अधिकतर साधु-संतों के डेरों में सब-कुछ अच्छा नहीं है। कई आश्रम एवं डेरे तो भगवान के इस नाम पर न केवल लोगों में अंध-विश्वास पैदा करते हैं अपितु अनेक प्रकार से उनका शोषण भी करते हैं। ऐसा घटनाक्रम आज से ही नहीं अपितु सदियों से ही इस देश में होता आया है। तंत्र-मंत्र एवं अंध-विश्वासों में आज अधिकतर भारतीय ग्रस्त हैं। इस बात का लाभ पाखंडी किस्म के लोग उठाने का यत्न करते हैं। इसीलिए आजकल ज्योतिषियों, धागा-तावीज़ करने वालों का बोलबाला है तथा इस संबंध में भांति-भांति के समाचार भी प्रकाशित होते रहते हैं। लोग अपनी मानसिक तृप्ति के लिए ऐसे जाल में फंस जाते हैं परन्तु आश्चर्य की बात होती है कि ऐसे पाखंडी संतों, साधुओं के बेनकाब होने के बावजूद लोगों के मन में से अंध-विश्वास का अंधकार दूर नहीं होता। बापू आसाराम ने कुछ दशक में ही अपनी एक बहुत बड़ी सल्तनत खड़ी कर ली थी। देश एवं विदेश में उसके 400 आश्रम चल रहे थे। बापू की उम्र तो चाहे बढ़ती जा रही थी, परन्तु उसकी लालसाओं का घेरा भी उसी प्रकार बढ़ता जा रहा था। वह प्रत्येक दृष्टि से समृद्ध एवं धनी बन गया था। शायद इसी कारण वह अपने लक्ष्य से भी पूर्णतया भटक चुका था, परन्तु अब दंडित होने के बाद भी उसके लाखों श्रद्धालु यह मानने को तैयार नहीं हैं। कुछ वर्ष पहले उसके कुछ आश्रमों में जादू-तंत्र एवं काले इल्म का भी बोलबाला रहा। उसके एक कथित आश्रम के निकट दो बच्चों के शव भी मिले थे जोकि उसी आश्रम में रहते थे। इसके लिए भी आश्रम के प्रबंधकों को दोषी ठहराया गया था तथा इस केस में उसके चार अनुयायियों को गिरफ्तार भी किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 2013 में उसे राजस्थान में 16 वर्षीय एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद सूरत की दो बहनें भी खुलकर सामने आई थीं, जिन्होंने आसाराम से सम्बद्ध आश्रमों में उसकी ओर से शारीरिक शोषण किए जाने के आरोप लगाए थे। आसाराम का एक लड़का भी है। उसके संबंध में भी ऐसा ही प्रभाव बना हुआ है। उसका नाम नारायण साईं है तथा उसके विरुद्ध भी इस प्रकार के अनेक केस चल रहे हैं जिनमें आश्रमों के लिए ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के मामले भी शामिल हैं। पिछले दशक में बापू आसाराम जैसे अनेक चर्चित संतों के ऐसे कारनामे सामने आए हैं जिनके कारण उनमें से अधिकतर संत या तो जेलों में नज़रबंद हैं अथवा उन पर मुकद्दमे चल रहे हैं। इसी प्रकार का एक संत चंद्रा स्वामी भी था जिसका प्रत्यक्ष सम्पर्क उस समय के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव तक भी था। अपनी ज़िन्दगी में उस पर हथियारों की सप्लाई एवं हवाला कांड के अनेक आरोप लगते रहे तथा उम्र भर वह विवादास्पद बना रहा, परन्तु इतना कुछ होने पर भी उसकी ताकत कम नहीं हुई थी। इसी प्रकार एक नौजवान संत नित्यानंद स्वामी का नाम भी सामने आया था, जिसके अश्लील सीडी स्कैंडल ने देश भर में चर्चा पैदा कर दी थी। उसे गिरफ्तार भी किया गया था। जब बैंगलोर स्थित उसके आश्रम पर छापा मारा गया तो अनेक प्रकार की अश्लील सामग्री एवं गांजा आदि भी वहां से मिला था। स्वामी प्रेमानंद भी एक समय ऐसे ही प्रसिद्ध हुआ था जिसे बाद में 13 लड़कियों के साथ दुष्कर्म का आरोपित पाया गया था। यह संत सदैव लोगों को बेवकूफ बनाता रहा तथा अपने पेट में से शिवलिंग निकालने एवं हाथों में से भभूति निकालने के लिए प्रसिद्ध था। इसी प्रकार का एक और स्वामी भीमानंद भी हुआ है, जिसने अपने आश्रम को यौन का अड्डा बना रखा था। बाद में यह पता चला था कि उसके आश्रम के सैक्स केन्द्र में 600 के लगभग लड़कियां शामिल थीं। इसी प्रकार सिरसा का बाबा गुरमीत राम रहीम भी दो लड़कियों के साथ  दुष्कर्म करने के मामले में 20 वर्ष की सज़ा भोग रहा है। ऐसे घटनाक्रम से यह सिद्ध हो जाता है कि देश में सभी तरफ पाखंड का प्रसार आज भी हुआ पड़ा है। अंध-विश्वासों में ग्रस्त लोग इन आश्रमों में शरण लेते हैं। कई बार तो यह देख कर आश्चर्य होता है कि ऐसे आश्रमों में लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इससे यह प्रभाव भी मिलता है कि जैसे पूरा देश ही ऐसे छल-कपट के चक्कर में फंस गया हो। बापू आसाराम की वास्तविकता अंध-विश्वास में फंसे ऐसे कितने लोगों की समझ में आएगी, इस संबंध में निश्चित रूप में अभी भी कुछ भी नहीं कहा जा सकता, परन्तु समझदारों लोगों को ऐसे संतों के विरुद्ध उदाहरण देने के लिए अनेक मिसालें अवश्य मिल सकती हैं।

-बरजिन्दर सिंह हमदर्द