कैप्टन द्वारा पुस्तकों के मुद्दे पर विपक्ष की कड़ी आलोचना    

चंडीगढ़, 30 अप्रैल (अ.स.): इतिहास की स्कूली पुस्तकों में सिख गुरुओं बारे जानकारी के मुद्दे पर विरोधी गुट का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने आज उनके दोषों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने विरोधी गुट को बेहद संवेदनशील और धार्मिक भावनाओं के साथ जुड़े इस मुद्दे पर राजनीतिक खेल के प्रांत के हितों को नुक्सान पहुंचाने खिलाफ चेतावनी भी दी। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के बेबुनियाद बयानों, जिनके साथ राज्य की शांति व भाईचारा गड़बड़ा सकता है, हेतु कड़ी अलोचना की। मुख्यमंत्री ने इस संबंधी तथ्यों की पुष्टि किए बगैर सरकार को बदनाम करने वाली इस मुहिम में शामिल होने के लिए आम आदमी पार्टी की भी निंदा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में अकाली शासन समय इन कोर्सों को एन.सी.ई.आर.टी. सिलेबस अनुसार पुन: तैयार करने का फैसला किया गया था और उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे पर मुकम्मल चर्चा में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को भी शामिल किया गया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि 9वीं से 12वीं कक्षा के इतिहास के सिलेबस को पुन: तैयार करने और अंतिम रूप देने के लिए चर्चा के लिए 9 जनवरी, 2014 को माहिरों की एक कमेटी कायम करने का प्रस्ताव रखा था। इस विषय पर चर्चा के लिए इस कमेटी ने कई बैठकें कीं और डायरैक्टर (सहायक प्रोफैसर एन.सी.ई.आर.टी.) से जानकारी भी ली। मार्च 2014 में यह सिलेबस बोर्ड की वैबसाईट पर अपलोड कर दिया गया था। वर्ष 2015 में 9वीं कक्षा के सिलेबस कोअंतिम रूप दिए जाने के बाद शिरोमणि कमेटी ने इतराज़ किया था। इस दौरान अन्य कक्षाओं के लिए कोर्स पर सहमति नहीं बनी थी। सिलेबस को पुन: बनाने के बाद वर्ष 2016 में बोर्ड द्वारा 9वीं और 10वीं कक्षा के लिए किताबें प्रकाशित कराईं गईं थीं और 11वीं-12वीं श्रेणी के लिए किताबें वर्ष 2018 में छपवाने बारे फैसला किया गया था। 
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की सत्ता संभालने के बाद उनकी सरकार ने इतिहास के विषय को पुन: तैयार करने के लिए विचार-चर्चा के लिए मार्च 2017 में शिरोमणि कमेटी को लिखा था। इसके बाद शिरोमणि कमेटी ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रोफैसर परमवीर सिंह को तैनात किया था, जिसने इस मामले पर विचार करने के लिए सभी बैठकों में हिस्सा लिया था। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने स. लौंगोवाल की अपने राजसी हितों के लिए इस मामले बारे जान-बूझ कर असल तथ्य छुपाने के लिए आलोचना की। मुख्यंत्री ने कहा कि विरोधी गुट और शिरोमणि कमेटी द्वारा गलत ढंग से प्रचार किए जा रहे हैं। इस मामले में उनकी सरकार ने हर एहतियात रखी ताकि जो सिख धर्म के इतिहास को खोरा न लगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके द्वारा अपने दोषों की प्रोढ़ता के लिए 11वीं कक्षा की इतिहास की जो किताब में उदाहरणों पर हवाले दिए जा रहे हैं वह तो अभी प्रकाशित भी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके द्वारा इतिहास की किताबों में सिख गुरुओं बारे चैप्टर गायब होने के लगाए जा रहे दोष असल में कोरे झूठ हैं, जिसको वह दुष्ट प्रचार द्वारा सच बनाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पुन: तैयार किए सिलेबस में सिख गुरुओं बारे मुकम्मल इतिहास को बगैर किसी कांट-छांट के शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि 11वीं व 12वीं कक्षा में सिख इतिहास बारे चैप्टरों और सामग्री को सगल व सरल रूप में शामिल किया गया है ताकि जो याद करना आसान रहे। उन्होंने बताया कि सिलेबस को पुन: तैयार करने के बाद अब 11वीं कक्षा में श्री गुरु नानक देव जी से श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी तक सभी काल और चार साहिबजादों की शहीदी बारे पढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि असल में उन्होंने निजी सुझाव पर 10वीं कक्षा के इतिहास के विषय में अब सारागढ़ी की जंग और प्रसिद्ध सिख जरनैल शामिल सिंह अटारीवाला बारे जानकारी शामिल की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने निजी तौर पर 11वीं व 12वीं कक्षाओं के पुराने और नए सिलेबस को मंगवा कर देखा है और इन को देखने के बाद स्पष्ट पता लगता है कि नए सिरे से सिलेबस तैयार करने की प्रक्रिया दौरान सिख इतिहास या सिख गुरुओं बारे एक भी जानकारी नहीं हटाई गई। उन्होंने बताया कि किताबों की छपाई को प्राईवेट प्रकाशकों से छपने की बजाए अब सरकार ने सिख इतिहास और संस्कृति बारे सारी जानकारी यकीनी बनाने के लिए किताबों की छापी का कार्य पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को सौंप दिया है, जो कि पहले इस प्रक्रिया में शामिल नहीं था।