सीमा पार ढह रहा शेर-ए-पंजाब का समर पैलेस

अमृतसर, 3 मई : पाकिस्तान के शहर गुजरांवाला के कस्बा रसूल नगर में स्थापित शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के समर पैलेस (गर्मीयों के महल) को पाकिस्तान पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षित इमारत घोषित किए जाने के बावजूद विभाग द्वारा इस स्मारक की कोई खबर नहीं ली जा रही है, जिसके चलते यह विरासती स्मारक खंड्हर का रूप ले चुका है और कभी भी आलोप हो सकता है। फैसलाबाद से विरासत प्रेमी नासिर ढिल्लों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उक्त विरासती व ऐतिहासिक स्मारक के रख-रखाव और नव-निर्माण के लिए पाकिस्तान पुरातत्व विभाग द्वारा मांग की गई है। इतिहास प्रसिद्ध तोप जमजमा, जिसको भंगियों की तोप भी कहा जाता है, का भी रसूल नगर के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है। जमजमा तोप वर्ष 1764 में लाहौर पर कब्ज़े के दौरान स. चढ़त सिंह शुक्रचकिया के हिस्से आई थी। उनसे यह तोप एक युद्ध के दौरान चट्ठियों ने छीन ली और वह उसको रसूल नगर ले गए। रसूल नगर को महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी गर्मियों की राजधानी बनाया और अपने गर्मियों के निवास के लिए आलीशान बारादरी और महल का निर्माण करवाया। नासिर ढिल्लों ने बताया कि महाराजा रणजीत सिंह के महल के बाहर माथे पर आज भी एक पत्थर का टुकड़ा लगा हुआ है, जिस पर समर रैज़ीडैंस आफ महाराजा रणजीत सिंह वर्ष 1830 से वर्ष 1837 लिखा हुआ है। रख-रखाव की कमी के कारण गांव के खेतों में लड़खड़ाती इस डेढ़ मंजिला इमारत की सभी छतें ढह चुकी हैं और दीवारों में भी भारी दरारें हैं। गांव के लोगों द्वारा लम्बे समय से इस इमारती धरोहर के अन्दर-बाहर पशु बांधे जा रहे हैं और दीवारों पर उपले लगाए जा रहे हैं। नासिर ढिल्लों के अनुसार रसूल नगर की इस बारादरी से थोड़ी दूरी पर दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध से सम्बन्धित स्मारक मौजूद है। इसी मुकाम पर 22 नवम्बर 1848 को ईस्ट इंडिया कम्पनी के अंग्रेज सेनापति लार्ड हुगगफ और स. चतुर सिंह अटारी व उसके पुत्र राजा शेर सिंह अटारी की सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में 14 लाईट ड्रेगंस के 16 अंग्रेज़ी फौजी मारे गए, 64 घायल हुए और 10 अंग्रेज़ सिपाही लापता हो गए, परन्तु इस युद्ध में शहीद या घायल होने वाले सिख सिपाहियों की संख्या की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली।