रेत खनन के बारे में कैबिनेट सब कमेटी ने रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी

चंडीगढ़, 7 मई (अ.स.) : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा रेत खनन के बारे में व्यापक व कारगर नीति बनाने के लिए कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को सौंप दी है। स. सिद्ध जो इस कमेटी के प्रमुख थे, ने आज पंजाब भवन में मुख्यमंत्री को यह रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट सौंपने के बाद प्रैस के नाम जारी बयान में स. सिद्ध ने कहा कि कमेटी द्वारा की बैठकों और फील्ड दौरों में पता चला कि पंजाब में रेत के आने वाले 100 वर्षों और बजरी के 170 वर्षों के भण्डार मौजूद हैं। कमेटी ने रेत की कीमत 1000 रुपए प्रति 100 क्यूबिक फीट करने की सिफारिश की है। एक ट्राली की क्षमता 100 क्यूबिक फीट होती है, जिसका भार 4 टन होता है। स. सिद्ध ने कहा कि कैबिनेट सब कमेटी ने यह पता लगाया है कि पंजाब में इससे पूर्व रेत की कोई कीमत तय नहीं की थी और आपूर्ति की भी कमी थी। सप्लाई टूटने से रेत की कीमतें आसमान छूने लगीं, जिस कारण लोगों को महंगी कीमतों पर रेत मिलता  था। उन्होंने कहा कि कैबिनेट सब कमेटी द्वारा अब पंजाब में रेत और बजरी के मौजूद भण्डारों को देखते हुए रेत का भाव कम करके एक तय कीमत पर निश्चित करने की सिफारिश की जा रही है। सिफारिशों के अनुसार सप्लाई की भी कमी नहीं रहेगी और लोगों को एक तय कीमत पर रेत मिलेगा, जोकि पहले से काफी कम कीमत पर मिलेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 फुट गहरे एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 32 लाख टन रेत निकल सकता है। इस तरह पंजाब में 575 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में कुल 184 करोड़ टन रेत के भण्डार मौजूद थे। दरियाओं में प्रत्येक वर्ष रेत निकालने से दरियाओं में पहाड़ों से और रेत आ जाती है।  पंजाब में प्रति वर्ष रेत की मांग 2 करोड़ टन है। इस तरह पंजाब के पास आने वाले 91 वर्षों के लिए रेत का भण्डार मौजूद है। स. सिद्ध ने आगे बताया कि बजरी के स्टाक का पता लगाने के लिए क्रशरों का दौरा करने के उपरान्त कमेटी को यह पता लगा कि कण्डी क्षेत्र में 30 किलोमीटर तक के क्षेत्र में छोटे पथरीले टिब्बे हैं और जिनका कुल 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बनता है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 30 फुट गहराई तक तीन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में 1 करोड़ टन भण्डार मौजूद है, जोकि पंजाब की एक वर्ष की मांग पूरी कर सकते हैं। इस प्रकार 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पड़े 170 करोड़ टन के भण्डार पंजाब की आने वाले 170 वर्ष की मांग पूरी कर सकते हैं।