कई वर्षों से आंगनवाड़ी वर्करों व हैल्परों को सरकारों ने किया नज़रअंदाज़


चंडीगढ़, 8 मई (अजायब सिंह औजला) : केन्द्र सरकार द्वारा 2 अक्तूबर 1975 को पूरे देश में छोटे बच्चों के विकास के लिए पूरे राज्य में आई सी डी एस स्कीम आरम्भ करके 6 स्कीमें चालू की गई थीं। जिसमें छोटे बच्चों के विकास के अतिरिक्त उनको प्री-शिक्षा भी शामिल की गई थी, परन्तु 43 वर्षों का लम्बा समय गुज़र जाने के बावजूद भी आज तक समय की सरकारों ने आंगनवाड़ी वर्करों व हैल्परों को सरकारी कर्मचारी का दज़र्ा नहीं दिया और वह बहुत कम मान भत्ते के साथ गुज़ारा कर रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समय पूरे राज्य में 22 ज़िलों के अधीन 27 हज़ार के लगभग आंगनवाड़ी सैंटर चल रहे हैं और इनमें लगभग 54 हज़ार आंगनवाड़ी वर्करों व हैल्परों को कम कर रही हैं परन्तु इस समय इन वर्करों व हैल्परों की नौकरी को पंजाब सरकार ने खतरे में डाला हुआ है क्योंकि 14 नवम्बर 2017 को आंगनवाड़ी सैंटरों में आने वाले 3 से 6 वर्ष के लगभग 3 लाख छोटे बच्चों को पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकारी प्राईमरी स्कूलों में प्री-प्राईमरी कक्षाएं आरम्भ करके दाखिल कर लिया। अपनी नौकरियां बचाने के लिए मान भत्ते में वृद्धि करवाने के लिए इस समय आल पंजाब आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन पूरे पंजाब में संघर्ष के रास्ते पर चल पड़ी है व यूनियन की राज्य प्रधान हरगोबिंद कौर की अगवाई में वर्करों व हैल्परों ने पंजाब सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ रही हैं। गत 100 दिनों से संघर्ष जोरों पर है व बठिंडा में दिन रात का शृंखलाबद्ध रोष धरना जारी है। कांग्रेसी विधायकों और सांसद सदस्यों के घर के आगे भूख हड़ताल रखी गई है और 14 मई से 19 मई तक कांग्रेसी मंत्रियों के घरों के आगे भूख हड़ताल रखी जा रही है। इस दौरान शाहकोट के उप-चुनाव दौरान संगठनों ने कांग्रेसी पार्टी का विरोध करने के लिए संघर्ष का बिगुल बजा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में ज्यादा आंगनवाड़ी सैंटर नकारा हो चुके धर्मशाला, अन्य सांझे स्थान और सरकारी स्कूलों में चल रहे हैं, क्योंकि लगभग 20 हज़ार आंगनवाड़ी सैंटरों की सरकारी इमारतें भी अभी तक नहीं है, जिस कारण सैकड़ों सैंटर किराए के मकानों पर चल रहे हैं। यदि देखा जाए तो इन आंगनवाड़ी सैंटरों को चलाने वाला सामाजिक सुरक्षा स्त्री व बाल विकास विभाग वैंटीलेटर पर पड़ा लगता है। खजाना खाली हो जाने की दोहाई दे रही कैप्टन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार उन पैसों को भी अपने पास ही रखी बैठी है, जो पैसे गरीब बच्चों की भलाई के लिए केन्द्र सरकार ने पंजाब के लिए जारी किए हैं। सूत्रों के अनुसार उक्त विभाग द्वारा शहरों और कस्बों में किराए के मकानों में चलाए जा रहे आंगनवाड़ी सैंटरों का किराया मकान मालिकों को गत लगभग 17 माह से नहीं दिया गया। पता लगा है कि आंगनवाड़ी सैंटरों का बकाया किराय की राशि लगभग डेढ़ करोड़ रुपए बनती है। जबकि सामाजिक सुरक्षा स्त्री व बाल विकास विभाग पंजाब के अधिकारी भी इस राशि की पुष्टि करते हैं कि मकान के किराए वाले यह बिल पास करवाने के लिए खजाने भेजे हुए हैं, जब पैसे मिल गए तो मकान मालिकों को दे दिए जाएंगे। पूरे राज्य में आंगनवाड़ी सैंटरों में आने वाले बच्चों की संख्या 7 से 8 लाख में बताई जा रही है व यह सभी बच्चे गरीब परिवारों से ही सम्बन्धित हैं। नेताओं का यह आरोप है कि गत सवा साल से किसी भी ज़िले में आंगनवाड़ी केन्द्रों का किराया सरकार ने नहीं दिया। आंगनवाड़ी वर्करों व हैल्परों की मांग है कि जब तक उनको सरकारी कर्मचारी का दज़र्ा नहीं दिया जाता तब तक वर्कर को 24 हज़ार व हैल्पर को 18 हज़ार रुपए मान भत्ता दिया जाए। इस समय पंजाब में वर्कर को 5600 रुपये व हैल्पर को 2800 रुपए मिलते हैं।