कुथ  लाहुल घाटी का हरा सोना

लाहुल घाटी जो साल के अधिकतर महीने बर्फ  से ढकी रहती है, इस घाटी में कुथ नामक पौधे की बड़े पैमाने पर खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुथ इसे संस्कृत में ‘कुष्ट’ तथा अंग्रेजी में ‘कास्ट्स’ कहा जाता है। यह पश्चिमी हिमालय के जम्मू एवं कश्मीर राज्य की कश्मीर घाटी तथा हिमाचल प्रदेश की चंबा घाटी के ऊपरी क्षेत्रों 2500 से 3500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। एशिया के कई देशों में कुथ की जड़ों का उपयोग प्राचीनकाल से आयुर्वेद में किया जा रहा है। विभिन्न प्रकार की सुगंध बनाने, पेट की बीमारियों, चर्म रोग तथा कीटनाशकों और कामोत्तेजक दवाईयों के बनाने में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे देश में कुथ की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं; क्योंकि भारत द्वारा कुथ की जड़ों का निर्यात दुनिया के दूसरे देशों को किया जाता है। यही वजह है कि कुथ का यह पौधा आज हमारे देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है। कुथ का पौधा एक से ढाई मीटर लंबा होता है। यह बारह माह पौधा रोंएदार होता है। जाड़ों में पड़ने वाली बर्फ  के अंदर दबने के कारण इसका ऊपरी हिस्सा नष्ट हो जाता है परंतु ग्रीष्म ऋतु में बर्फ पिघलने पर इसका नया तना निकल आता है। इसकी पत्तियां अंडाकार, लंबी और किनारे पर कटी होती है। इनकी ऊपरी सतह पर बड़े-बड़े रोंए होते हैं। ऊपरी सतह पर कड़े और निचली सतह पर मुलायम रोंए होते हैं, इसका फूल गाढ़ा नीला और कालापन लिए बैंगनी रंग का होता है। बहुत सारे फूल मिलकर गेंदे के फूल जैसा आकार ले लेते हैं। फूलों का यह समूह पौधों के ऊपर रहता है। इसका फल चपटे आकार का थोड़ा मुड़ा होता है। जिस पर भूरे रंग के पतले, पंखनुमा बालों का समूह होता है। इसकी जड़ें उपयोगी होती हैं जो गाजर के समान फूली हुई एक स्थान पर जमीन के नीचे गुच्छे में होती हैं। जड़ों का रंग हल्का भूरा होता है, जिससे एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है। इसके बढ़ते उपयोग और बड़ी मात्रा में इसकी खेती को प्रोत्साहन दिये जाने के कारण कुथ के पौधों को लाहुल घाटी का हरा सोना भी कहा जाता है। कुथ के जड़ों का औषधीय महत्व ही इसे एक महत्वपूर्ण पौधे की श्रेणी में लाता है। कुथ की जड़ों से सुगंधित तेल की प्राप्ति होती है। इसका उपयोग कीटनाशकों में और मानव उपयोग के लिए होने वाली औषधीयों में किया जाता है। इसकी जड़ों में एक महत्वपूर्ण रसायनिक तत्व पाया जाता है। दमा, कमजोरी, अपच, खांसी, हैजा, जोड़ों का दर्द, पेट की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, चर्म रोग इत्यादि अनेक रोगों में इनका उपयोग किया जाता है। जड़ों से प्राप्त होने वाले तेल को सुगंधित पदार्थों को बनाने में उपयोग किया जाता है। कुथ की जड़ों को जापान, हांगकांग, म्यांमार, भूटान, फ्रांस, अफगानिस्तान, अमरीका, सिंगापुर, थाइलैंड, दक्षिण वियतनाम तथा श्रीलंका जैसे देशों में किया जाता है।