ढाबे पर बस रोकने पर ढाबे वाला देता है 70 रुपए प्रति बस

फिरोज़पुर, 13 मई (परमिंदर सिंह) : पंजाब रोडवेज़ अब ढाबों से पैसे वसूल कर अपने विभाग को चलाएगा, क्योंकि पंजाब रोडवेज़ की बसें जोकि दिल्ली रूट पर चलती हैं, वह पिपली स्थित ढाबे पर 70 रुपए प्रति बस वसूलकर अपना काम चला रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डायरैक्टर स्टेट ट्रांसपोर्ट चंडीगढ़ के निर्देशों के अनुसार पंजाब रोडवेज के 18 डिपुओं से दिल्ली रूट पर चलती बसें पिपली के बस अड्डे पर बने ढाबे पर रुकती हैं और वही सवारियों को खाना खिलाया जाता है और उसी ढाबे से ही ड्राइवर-कंडक्टर भी खाना खाएंगे परंतु यहां रुकने वाले ड्राइवर-कंडक्टर यहां न तो खुद खाना खाने के लिए सहमत हैं और न ही बसों में बैठी सवारियों को यहां खाना खिलाने के हक में हैं। अपना नाम न छापने की सूरत में दिल्ली रूट पर चलते ड्राइवरों व कंडक्टरों ने बताया कि सरकारी अफसरशाही द्वारा पिपली के बस अड्डे पर बने ढाबे पर बसें रोकने के लिए मजबूर किया जाता है, जहां बनाया जाता खाना बड़े ही घटिया स्तर का है और वहां चूहों व मक्खियों की भरमार रहती है। चूहे तो वहां रखे बर्तनों व अन्य सामान आदि पर आम दिखाई देते हैं, जिससे बीमारियां लगने का डर हर समय बना रहता है। साथ ही वहां बने शौचालय इतने गंदे हैं कि सवारियों को शौचालय आदि के लिए खुले में जाना पड़ता है, जिसकी बदबू खाना खाने वाले को मुफ्त में मिलती रहती है। उन्होंने बताया कि यहां रुकने वाली हर बस को ढाबे के मालिक द्वारा 70 रुपए दिए जाते हैं, जो सरकारी खज़ाने में जमा करवाने होते हैं और वह सभी दिन के इकट्ठे किए कैश साथ ही दे देते हैं, जो सरकारी खज़ाने में जमा होते हैं या अफसरशाही की जेबों में चले जाते हैं, यह तो परमात्मा ही जानता है। उन्होंने बड़े दुख से बताया कि जो ड्राइवर-कंडक्टर उस ढाबे पर गाड़ी नहीं रोकता, उसकी रिपोर्ट की जाती है और डायरैक्टर कार्यालय द्वारा 2-2 हज़ार रुपए जुर्माना भी किया जाता है। इस संबंधी जब पंजाब रोडवेज़ पनबस वर्कज़र् यूनियन के अध्यक्ष रेशम सिंह गिल के साथ इस हो रही लूट बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह ठीक है और लुधियाना-दिल्ली रूट पर दिल्ली तक का सफर लगभग 7 से 8 घंटे का बन जाता है और इस रास्ते पर तो रुकना पड़ता ही है, परंतु रुकने के लिए इससे बढ़िया ढाबे भी हैं और यूनियन द्वारा कई बार डायरैक्टर कार्यालय को इस संबंधी सूचित भी किया जा चुका है कि इन ढाबों पर खाना साफ-सुथरा है, खाने योग्य है और रेट भी वाजिब हैं, परंतु इस ओर अफसरशाही ने अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया। यहां बताना बनता है कि जो कर्मचारी इस संबंधी लापरवाही बरतते हैं उनसे विभाग द्वारा जबरन अलग रूप में पैसे वसूलते हुए रिकवरी की जाती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जो 70 रुपए ढाबे वाले बस वालों को देते हैं, उसे विभाग के कैश काऊंटर पर जमा तो करवा दिया जाता है, परंतु यह पैसे सरकारी रिकार्ड में जमा करवाए जाते हैं या नहीं इस पर पुख्ता सबूत ड्राइवरों, कंडक्टरों के पास नहीं हैं।