स्वच्छ भारत बनाए बिना गांधी जी को कैसी श्रद्धांजलि ?

भारत सरकार गांधी जी के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बहुत बड़े स्तर पर कार्यक्रम कर रही है। कार्यक्रम की गंभीरता का परिचय उस समिति से हो जाता है जो यह दिन अथवा पूरा वर्ष ही कार्यक्रम करने के लिए गठित की गई है। राष्ट्रपति जी की अध्यक्षता में ही पहली मीटिंग भी हो गई। जो कार्य राष्ट्रपति से प्रारंभ हो रहा है वह निश्चित ही पूरे राष्ट्र तक पहुंचेगा, हर घर की दहलीज और दरवाजा खटखटाएगा, ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। सच तो यह है कि आज देश गांधी जी को जानता नहीं। जो नाम से जानते हैं वे भी उनके विचारों और कार्यों से अपरिचित हैं। बच्चे जानते हैं कि गांधी जी को राष्ट्रपिता कहते हैं, क्यों कहते हैं यह नहीं जानते। लेकिन यह सच है कि स्वतंत्र भारत में वोट प्राप्त कर सत्तापति बनने के लिए गांधी जी के नाम का खूब प्रयोग हुआ। आज़ादी के कुछ वर्ष बाद तो गांधी टोपी भी चलती रही। यूं कहिए कांग्रेसियों की पहचान यह गांधी टोपी ही थी, पर सब यह भूल गए कि गांधी जी क्या चाहते थे। कैसा भारत गांधी जी की पहचान होगा, यह किसी ने विचार करना उचित ही नहीं समझा क्योंकि वोट गांधी के नाम से मिलते थे। चाहे गांधी जी के विचारों की सरेआम हत्या करते हुए वोट लेने के लिए मुंह में शराब और जेब में गांधी जी की फोटो वाले नोट डालने का पूरा सार्थक प्रयास इस देश के सभी राजनीतिक दलों के नेता करते रहे। गांधी-गांधी करते कई लोग सत्तापति बने, कितने ही नेताओं की सत्ता चली भी गई पर गांधीवाद की कोई दुर्गति इस देश में हो गई, वह किसी भी गांधीवादी विचारधारा को जानने वाले के लिए बहुत दुखद है। जबसे देश की नई पीढ़ी केवल इंटरनैट द्वारा दी हुई जानकारी पर ही आश्रित हो गई तब से पढ़ने-पढ़ाने का रिवाज विशेषकर पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पुस्तकें पढ़ने का प्रचलन ही समाप्त हो गया। हम भाग्यशाली रहे कि कॉलेज जीवन में ही इन महापुरु षों को पढ़ा। आज की सत्तासीन सरकार से एक ही आग्रह है कि अगर गांधी जी को घर-घर में पहुंचाना चाहते हैं तो फिर दो काम कर दीजिए। गांधी के देश से शराब पूरी तरह बंद करवा दें और हिंदुस्तान के हर नागरिक को पीने के लिए स्वच्छ पानी दे दीजिए। आखिर क्या कारण है कि जिस गंभीरता से गुजरात में शराबबंदी है, वह सारे देश में क्यों नहीं? गांधी जी को सही या गलत देश के नेताओं ने राष्ट्रपिता कहा तो इस सारे राष्ट्र में क्या केवल गुजरात में ही गांधी जी के विश्वास को मज़बूत बनाने के लिए शराबबंदी की गई। गांधी जी ने यह कहा था कि जो राष्ट्र शराब का शिकार है उसके सामने विनाश मुंह बाय खड़ा है। दुनिया की 21 में से 16 मानव सभ्यताओं के नष्ट होने का कारण शराब मानी जाती है। गांधी जी ने यह भी कहा कि यदि देश में शराबबंदी लागू नहीं होगी तो हमारी स्वतंत्रता गुलाम बनकर रह जाएगी, क्योंकि शराब के ठेके लोकतंत्र का कलंक और अभिशाप हैं। पिछले दो वर्षों में गांधी जी के इस संदेश को बिहार ने तो अपना लिया। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने बड़े गर्व और विश्वास के साथ यह कहा था कि राज्य जब चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मना रहा है तब प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है। शराब पर प्रतिबंध के निर्णय को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जा सकता। समाज शास्त्रियों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी इस छोटी पहल शराबबंदी के माध्यम से समाज की सेवा करने की कोशिश कर रहे हैं। अब प्रश्न यह है कि जो पहल बिहार ने कर दी, देश के दो और राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़े, शेष भारत क्यों नहीं शराबबंदी के माध्यम से देश की गरीब जनता की सेवा करने का संकल्प ले रहे? पंजाब समेत सभी राज्य एक ही दुहाई देते हैं कि शराब से प्राप्त राजस्व ही सरकार की नैय्या पार लगा सकता है, अन्यथा आर्थिक संकट हो जाएगा। उन्हें गुजरात, बिहार और मणिपुर जैसे राज्यों से सीखना चाहिए कि यह राजस्व जरूरी नहीं क्योंकि जहां शराब है वहां सड़क दुर्घटनाएं हैं, कैंसर और टी.बी. जैसी बीमारियां हैं, अपराध अधिक हैं, परिवार टूटते हैं, बच्चे शराब-जनित गरीबी के कारण अनपढ़ रह जाते हैं और कई बार ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिससे सभ्य समाज शर्मिंदा होता है। शराब तो मानवीयता भी भुला देती है, तभी तो एक शराबी पिता अपने बच्चे को ही उठा कर जलती अंगीठी पर फैंक देता है, पुत्र का कत्ल करता है, अपने ही परिवार की बेटियों को अपमानित करता है और भी बहुत कुछ करता है। पुलिस स्टेशनों में भी इसी लाल पानी का कब्जा हो गया है। आम आदमी पहले पुलिस से डरता था, अब शराब पीकर ड्यूटी करने वालों से घबराता है। भारत के राष्ट्रपति और अन्य सत्तासीन नेताओं से आग्रह है कि गांधी जी को सचमुच श्रद्धांजलि देनी है, तो फिर इस 150वें वर्ष के जश्न में पूरे भारत को शराबमुक्त करने की घोषणा कर दीजिए। चुनावों के नाम पर कोई कांग्रेसमुक्त भारत तो कोई भाजपा मुक्त भारत की मांग करता है। अगर आज के नेता जनता को शराब मुक्त कर दें तो फिर वर्तमान सरकार वर्षों तक देश पर राज करेगी। इसके साथ ही देश के हर गांव में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाए। क्या यह सच नहीं कि देश की एक-तिहाई जनता गंदा पानी पीने को मजबूर है और भारत में लाखों बच्चे अनेक बीमारियों का शिकार इसी गंदे पानी के कारण होते हैं और मौत के मुंह में भी चले जाते हैं। जल जनित बीमारियां भी तो देश के लिए आज बहुत बड़ी चुनौती हैं। मरता तो वही गरीब है, जो गंदे पानी के कारण बीमार होता है और बिना दवाई के तड़प-तड़प कर मर जाता है। देश में बीमारियां बहुत हैं, परन्तु आज की सरकार सभी प्रदेशों की सरकारें यह संकल्प कर लें कि देश को गांधी जी से जोड़ना है तो शराब से काटना होगा और स्वच्छ पानी देना होगा।