कर्नाटक में भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता

बेंगलुरु, 16 मई (वार्ता) : कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बी एस येदियुरप्पा को राज्य के 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का आमंत्रण दिया। वह कल सुबह 9 बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं  राज्यपाल के इस कदम के खिलाफ कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल वजुभाई वाला ने संविधान की बजाय ‘भाजपा में अपने मालिकों’ की सेवा चुनी और ‘भाजपा की कठपुतली’ के तौर पर काम किया। वह इस फैसले को चुनौती देने के लिये उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) पहुंच गई है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली में कहा कि पार्टी ने न्यायालय से राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर सुनवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि इस पर सुनवाई की अनुमति दी जाए। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कांग्रेस की अपील को मानते हुए तीन जजों न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति एस.ए. बोडे व न्यायमूर्ति अशोक भूषण का बैंच गठित किया, जिसने रात्रि 1.45  पर सुनवाई शुरू की। कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंह भी ने अपना पक्ष रखते हुए गोवा, मेघालय का उदाहरण दिया तथा कहा कि राज्यपाल का फैसला संविधानिक पाप है। इससे खरीद-फरोख्त बढ़ेगी। जब न्यायालय ने मनु सिंघवी से राज्यपाल द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने की दी गई चिट्ठी की कापी मांगी तो वे उपलब्ध नहीं करवा सके, जिस पर न्यायालय ने कहा कि उसके बिना किस बात पर सुनवाई की जा सकती है तथा उन्होंने कहा कि न्यायालय राज्यपाल को पार्टी नहीं बना सकती। वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकल रस्तोगी ने अपना पक्ष रखा तथा खबर लिखे जाने तक सुनवाई जारी थी। इससे पहले भाजपा के राज्य प्रभारी मुरलीधर राव ने यहां संवाददाताओं को बताया कि राज्यपाल ने श्री येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का निमंत्रण दिया है। उन्हें 15 दिन के अंदर बहुमत साबित करना होगा।       राज्यपाल के इस निर्णय से 117 विधायकों के समर्थन वाले कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) को करारा झटका लगा है। दोनों दलों ने गठबंधन सरकार बनाने के मकसद से हाथ मिलाया था। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 222 सीटों पर चुनाव हुए। जयनगर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार का निधन हो जाने तथा राजराजेश्वरी नगर निर्वाचन क्षेत्र में भारी संख्या में मतदाता पहचान पत्र बरामद किए जाने के कारण चुनाव रद्द कर दिया गया। इन सीटों के लिए अब 28 मई को मतदान होगा। इन चुनावों में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जनता दल (एस) को 37, बहुजन समाज पार्टी को एक और निर्दलीय को दो सीटों पर विजय हासिल हुई है। भाजपा सबसे अधिक सीटें जीत कर सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में सामने आई लेकिन कांग्रेस और जनता दल (एस) ने हाथ मिलाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने सबसे बड़ी एकल पार्टी के तौर पर भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया है हालांकि वह सरकार बनाने के लिए सात सीटों के अंतर से चूक गई है। श्री राव ने कहा कि राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लिहाजा राज्यपाल को श्री येदियुरप्पा को सरकार बनाने का आमंत्रण देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एस आर बोम्मई मामले में स्पष्ट कहा था कि केवल मतदान से पहले हुए गठबंधन के मामले में गठबंधन के सभी दलों की संयुक्त संख्या के आधार पर सरकार बनाने का आमंत्रण दिया जा सकता है। इस मामले में कांग्रेस और जनता दल (एस) ने चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद गठबंधन किया और यह केवल भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के मकसद से किया गया समझौता है। श्री राव ने कहा कि पूरी दुनिया ने चुनाव में कांग्रेस और जनता दल (एस) को एक-दूसरे से लड़ते हुए देखा है। दोनों दलों के बीच विचारधारा के स्तर पर कोई समझौता नहीं हुआ है और न ही कोई संयुक्त घोषणापत्र जारी किया गया। चुनाव के दौरान दोनों दल एक-दूसरे की आलोचना करते रहे हैं और उनके नेता तो निजी हमलों में भी लिप्त रहे हैं जो सभी लोगों ने देखा है।  श्री राव ने कहा कि श्री येदियुरप्पा अकेले शपथ लेंगे और विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। इससे पहले कर्नाटक भाजपा विधायक दल ने श्री येदियुरप्पा को अपना नेता चुन लिया तथा पार्टी नेताओं ने तत्काल राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में सरकार गठन को लेकर उनके समक्ष अपना दावा पेश किया।