नवाज़ शरीफ के मुम्बई हमलों के बारे में कबूलनामे ने बढ़ाई उसकी कठिनाइयां

अमृतसर, 17 मई (सुरेन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री मीयां नवाज़ शरीफ द्वारा वर्ष 2008 के मुम्बई हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने के बारे में किए कबूलनामे के बाद लगातार उनके लिए कठिनाईयां बढ़ाई जा रही हैं। उक्त कबूलनामे के साथ ही उसके द्वारा मुम्बई हमलों की सुनवाई में देरी होने के लिए पाक सरकार व सेना को जिम्मेदार बताने और पाकिस्तान में विभिन्न आतंकवादी संगठनों की सरगर्मियां जारी होने के किए दावों के बाद उक्त आतंकवादी संगठनों व पाक सेना द्वारा उसनी हत्या किए जाने का अन्देशा जताया जा रहा है।बताया जा रहा है कि यदि नवाज़ शरीफ के विरुद्ध इस प्रकार का कोई बड़ा फैसला लिया जाता है तो पाकिस्तान के लिए वह कोई नयी बात नहीं होगी। क्योंकि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक पाक के बने 19 प्रधानमंत्रियों में से 14 से ‘स्वै-इच्छा’ के नाम पर जबरन इस्तीफा लेकर बेइज्जत ढंग के साथ उनको सत्ता से हटा दिया गया और बकायदा एक की कार्यकाल के दौरान हत्या करवाई गई व एक को फंदा लगाया गया। र्बखास्त किए गए पाक प्रधानमंत्रीयों में चौधरी मोहम्मद अली, ख्वाज़ा नज़ीमुदीन, मुहम्मद अली बोगरा, चौधरी मुहम्मद अली, हुसैन शहीद सुहरावरदी, इब्राहीम इस्लाईल चुनदरीगर, फिरोज़ खां नून, मोहम्मद खां जुनेजो, मीर ज़फरउल्ला खां ज़माली, चौधरी सुजात हुसैन, बेनज़ीर भुट्टो, शौकत अज़ीज़, यूसुफ रज़ा गिलानी व नवाज़ शरीफ आदि शामिल हैं। उक्त के अतिरिक्त पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां की वर्ष 1951 में रहस्तमयी हालातों में हत्या की गई, जबकि ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल ज़िया उल्ल हक द्वारा फंदा लगाए जाने के बाद सत्ता पर अधिकार कायम किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ (पी.टी.आई.) के नेता व वकील बाबर अवान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के अन्य वकीलों की सहमति के साथ अदालत में अपील दायर करते हुए पाकिस्तान की फैडरल इन्वेस्टीगेशन एजैंसी (एफ.आई.ए.) के द्वारा शरीफ के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई शुरू किए जाने और आपराधिक केस दर्ज किए जाने की मांग की है। वर्णनीय है कि नवाज़ शरीफ के 26/11 हमलों को लेकर किए कबूलनामे के बाद पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत द्वारा भारत में हुए वर्ष 2018 के मुम्बई हमलों की सुनवाई दोबारा शुरू कर दी गई है। उक्त के अतिरिक्त मुम्बई हमलों के सम्बन्ध में अब्दुल वाज़िद, मज़हर इकबाल, हमद आमीन सादिक, शाहिद ज़मील रियाज़, ज़मील अहमद, यूनस अंजुम और सुफियान ज़फर पर भी वर्ष 2009 से ए.टी.सी. द्वारा मुकद्दमा चलाया जा रहा है।