सीमाएं बनीं शिराज़ व साजदा की प्रेम कथा में दीवार

अमृतसर, 18 मई (सुरेन्द्र कोछड़) : पाकिस्तानी कब्ज़े वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) के ज़िला मानसिहरा का रहने वाला शिराज़ खां (32) अपने भारत रहते परिवार को मिलने और उसको अपने साथ रखने के लिए पाकिस्तान सरकार समक्ष लगातार मिन्नतें कर रहा है। इधर भारत में रहती उसकी पत्नी साजदा खां भी भारतीय विदेश मंत्रालय के पास अपने पति को मिलने और उसके साथ रहने के लिए कोशिशें कर रही है। जबकि दोनों ओर की पेचीदगियों और सरकारों के कूटनीतिक रवैये के चलते इस मामले को अनदेखा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि शिराज़ खां ने अपने परिवार को मिलने के लिए अब भारत व पाकिस्तान की मानवीय अधिकारों के साथ जुड़ी संस्थाओं की से की अपील की है।ज़िला मानसिहरा की तहसील ताल चेतपन के गांव सरकुल में रहते शिराज़ के अनुसार उसके लिए भारत व पाकिस्तान की एक समान अहमियत है। वह पाकिस्तान में पैदा हुए और भारत में जवानी की आयु निकालते हुए उसको यहां परिवार का सुख मिला। जिसमें उसकी पत्नी साजदा व तीन बच्चे जारा (12), इनायत व इजाज़ (7) शामिल हैं।उसका कहना है कि स्कूली परीक्षा में कम अंक आने पर जब उसके पिता द्वारा गुस्सा किया गया तो वह लगभग 24 वर्ष पहले 10 वर्ष की आयु में नाराज़ हो कर घर से भाग निकला। लाहौर रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर वह कराची जाने वाली गाड़ी में बैठा, परन्तु उसको इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि वह गाड़ी कराची नहीं बल्कि दिल्ली जा रही है। दिल्ली पहुंचने पर उसको गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद अदालती आदेश के चलते उसको अहमदाबाद स्थित बच्चों की जेल में भेज दिया गया। 18 वर्ष की आयु में जेल से रिहा होने के बाद वह मुम्बई चला गया। जहां कई वर्ष उसने फुटपाथ पर रहकर गुज़ारे और अंत: वर्ष 2005 में अपनी मेहनत से एक अच्छा कुक बन गया। मुम्बई के एक होटल में कुक के तौर पर सेवाएं देते हुए साजदा नाम की लड़की उसके सम्पर्क में आई। दोनों ने आपसी सहमति के साथ विवाह कर लिया।शिराज़ के अनुसार जब 2006 में उसके घर पहला बच्चा हुआ तो उसने महसूस किया कि यह समाचार उसको अपने माता-पिता को भी देना चाहिए। मां-बाप और पाकिस्तान में रहते परिवार के अन्य सदस्यों को मिलने की चाहत के चलते वर्ष 2009 में उसने स्वयं के पाकिस्तानी बताते हुए भारतीय अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह अपनी पत्नी व बच्चे के साथ पाकिस्तान जाकर अपने माता-पिता को मिलना चाहता है, जिनको मिले उसको कई वर्ष बीत चुके हैं। मुम्बई की सी.आई.डी. ब्रांच ने इस मामले की जांच की तो स्पष्ट हो गया कि शिराज़ पाकिस्तान का ही नागरिक है, जो गत लम्बे समय से भारत में रह रहा था। उसका कहना है कि अदालत ने उसको पाकिस्तान जाने की मन्ज़ूरी देने की बजाए विदेशी एक्ट के अधीन गैर-कानूनी ढंग के साथ सीमा पार करने के आरोप में जेल भेज दिया। 7 जनवरी 2014 को उसकी जेल में से रिहाई होने पर उसको एक बार रिहा दोबारा से इसी केस में 8 माह के लिए जेल भेज दिया गया। 7 अक्तूबर 2014 को जेल से फिर होने के बाद वह अदालती लड़ाई लड़ता रहा और अंत में इसमें उसको सफलता न मिलने पर उसको 14 मार्च 2018 को अटारी-वाघा सीमा द्वारा पाकिस्तानी रैंजरों के हवाले कर दिया गया।बताया जा रहा है कि कई प्रयासों के बावजूद कानूनी अड़चनों के कारण साजदा खां व शिराज़ खां के पासपोर्ट नहीं बन रहे हैं। जिस कारण उनका मिलना अभी सम्भव नहीं होता दिखाई दे रहा। इसके बावजूद उक्त जोड़े का दावा है कि वह अपने प्रयासों को हमेशा जारी रखेंगे।