आलेख मोतियों से बनी एक माला

समीक्षा हेतु पुस्तक : दो टूक (निबन्ध संग्रह), लेखक : योगेश कुमार गोयल, लेखक का पता : मेन बाज़ार, बादली, ज़िला झज्जर, हरियाणा-124105, प्रकाशक : मीडिया केयर नेटवर्क, 114, गली नं. 6, वेस्ट गोपाल नगर, एम.डी. मार्ग, नजफगढ़, नई दिल्ली, पृष्ठ 112, मूल्य : 150 रुपए। योगेश गोयल बहुमुखी प्रतिभा वाले लेखक हैं। वह पत्रकार/सम्पादक हैं और रचना-धर्मी भी हैं। प्रस्तुत निबन्ध-संग्रह उनकी बड़ी तपस्या का फल है। उन्होंने राजनीति, समाज और अन्य उपयोगी विषयों को लेकर इन रचनाओं की रचना की है। मौजूदा संग्रह में कुल 20 लेख संग्रहित हैं। यह संग्रह लेखक की चौथी पुस्तक है। लेखक ने प्रस्तुत संग्रह में पर्यावरण, धूम्रपान, प्रदूषण, बाल मजदूरी, श्रमिक समस्याओं को चित्रित किया है... चित्रों के साथ। नि:संदेह ये सभी लेख उपयोगी बन पड़े हैं—कहीं समाज-उपयोगी, कहीं बाल उपयोगी और कहीं साहित्य धरातल के करीब। योगेश कुमार गोयल चूंकि पत्रकार भी हैं, अत: उन्होंने अपने लेखों में उस खिचड़ी भाषा का जिक्र किया है, जिसे आम लोग आसानी से समझ सकें। बच्चों के लिए उपयोगी निनबन्ध लेखों में ‘बच्चे और बाल साहित्य’, ‘परीक्षा को न बनाएं हौव्वा’ आदि हैं। पर्यावरण को लेकर भी लेखक जागरूक है। ‘विकराल होती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या’ (पृष्ठ 7) ‘धुआं-धुआं होती ज़िंदगी’ (पृष्ठ 11) ऐसे ही आलेख हैं। बाल-श्रम और मजदूरों की समस्या को लेकर भी, लेखक ने ‘कैसा मजदूर, कैसा दिवस’ और ‘श्रम की भट्टी में झुलसता बचपन’ जैसे निबन्ध दर्ज किये हैं (पृष्ठ 15)। ‘ऐसे कैसे रुकेंगी रेल दुर्घटनाएं’ में लेखक ने जहां रेलवे की त्रुटियों को उजागर किया है, वहीं ऐसी दुर्घटनाओं से होने वाली जान-माल की हानि की ओर भी समाज का ध्यान आकर्षित किया है। ‘नोबेल पुरस्कार’ और ‘झज्जर’ की सुराहियों बारे दर्ज किये गये आलेख पाठकों की जानकारी बढ़ाते हैं। कुल मिलाकर 20 भिन्न-भिन्न आलेख मोतियों से बनी यह एक ऐसी माला बनी है, जो अपने पाठक के ज्ञान में उल्लेखनीय वृद्धि करती है।

—सिमर सदोष