ज़हरीले पानी की मार से डालफिन व घड़ियालों को ब्यास दरिया से बचाने के लिए विभाग हुआ सतर्क

तरनतारन/हरीके पत्तण, 19 मई (अ.स.): गांव कीड़ी अफगाना स्थित शुगर मिल में सीरे के रिसाव के कारण ब्यास दरिया के ज़हरीले हुए पानी के कारण दरिया से लाखों जीव जंतु व मछलियों के मरने का क्रम अभी भी जारी है तथा इस ज़हरीले पानी की मार माझे के बाद मालवा क्षेत्र में पड़नी शुरू हो गई है, क्योंकि यह ज़हरीला पानी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पौंग डैम से छोड़े अधिक पानी के कारण अब ब्यास दरिया के पानी में सुधार हो रहा है। ब्यास दरिया में ज़हरीले पानी की मार से बचाने के लिए वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर व जंगली जीव तथा वन विभाग द्वारा ब्यास दरिया की शान मानी जाती इंडस रिवर डालफिन व घड़ियालों को बचाने के लिए हर सम्भव ढंग अपनाया जा रहा है। ब्यास दरिया में पहले आम तौर पर पांच से लेकर 11 की गिनती तक डालफिन देखी गई हैं। इसके अतिरिक्त पिछले समय दौरान इसी दरिया में घड़ियालों को भी छोड़ा गया। ब्यास दरिया में पिछले तरफ से पहले से 2000 क्यूसिक अधिक पानी आ रहा है। हरीके हैड अप स्ट्रीम में 12205 क्यूसिक पानी आ रहा है जबकि इससे राजस्थान फीडर को 5345 व फिरोज़पुर फीडर को 6860 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है। इस संबंध में वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर के सीनियर प्रोजैक्ट अधिकारी मैडम गीतांजलि कंवल व जंगली जीव व वन विभाग के डी.एफ.ओ. चरनजीत सिंह के नेतृत्व में विभिन्न टीमों द्वारा सर्वे शुरू कर दिया गया है ताकि यह देखा जाए कि ज़हरीले पानी का शिकार डालफिन या घड़ियाल तो नहीं हुए। शुरुआती सर्वे में गगड़ेवाल क्षेत्र में पहुंचीं टीमों को घड़ियाल दिखाई दिए तथा इसके अतिरिक्त ब्यास दरिया में दो डालफिन दिखाई दिए गए हैं, जिसकी पुष्टि वन विभाग द्वारा कर दी गई।