आज के युग में मोबाइल कैमरे का बढ़ता आतंक

विज्ञान समाज के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। विज्ञान से जो टैक्नोलॉजी उपजी है, उसका सही प्रयोग किया जाए तो वह समाज के लिए हितकारी हो सकता है, परन्तु यदि उसका दुरुपयोग किया जाए तो विनाश का कारण बनता है। उदाहरण के लिए दीपक रोशनी के लिए है, यदि इससे कोई अपना घर जला ले तो दीपक का क्या दोष? विज्ञान ने सूई से लेकर रॉकेट तक का अविष्कार कर लिया है। धरती से गगन तक के रहस्यों का पता लगा लिया है। विज्ञान ने ऐसे उपकरण बना लिए हैं, जिन्हें देखकर मनुष्य हैरत में पड़ जाता है। उनमें से एक है मोबाइल या सैल फोन।  इस सैल फोन ने बेशक दुनिया मुट्ठी में कर ली है, परन्तु इसमें इंटरनैट, लैपटॉप, कम्प्यूटर और कैमरे जैसे साधन विद्यमान हैं। यदि इनका प्रयोग उचित ढंग से न किया जाए तो यह मानवता के लिए घातक बन सकता है। आधुनिक संदर्भ में मोबाइल के कैमरे का आतंक इतना बढ़ गया है कि समाज की नसें हिल गई हैं। डाटा चोरी, पेपर लीक जैसी घटनाएं मोबाइल कैमरे की साज़िश हैं। यह मोबाइल ऐसा यंत्र है, जिसका कैमरा कहीं भी घुसकर क्षति पहुंचा सकता है। सेना के रहस्यों, गुप्त मीटिंगों, उनकी योजनाओं को कोई अपना ही व्यक्ति धन के लालच में दुश्मन की सहायता कर सकता है। देशद्रोही गतिविधियों का आतंक राष्ट्र के लिए बड़ा हानिकारक सिद्ध हो सकता है।मोबाइल कैमरे का आतंक नारी समाज पर अधिक केन्द्रित है। लड़की या नारी के साथ दुष्कर्म का वीडियो बना लिया जाता है और उसे सोशल मीडिया में वायरल करने की धमकियां देकर ब्लैकमेलिंग जैसी काली करतूतें सामने आती हैं। समाज में मोबाइल कैमरों में छिपी तस्वीरों ने एक आतंक का माहौल बना दिया है। पत्रकारों और जर्नलिस्टों की साख तो इन कैमरों ने उधेड़ कर रख दी है। उनको खबर तक पहुंचने से पहले मोबाइल का कैमरा ऑन करके किसी दुर्घटना की तस्वीर टी.वी. चैनलों तक पहुंचा दी जाती है। मोबाइल कैमरा घर-घर में घुस गया है। आप किसी गर्लफ्रैंड, पति-पत्नी से भी मनोरंजन का खेल नहीं खेल सकते। क्योंकि कोई मोबाइल कैमरे से आपकी मूवी बना रहा होगा। मोबाइल कैमरे का आतंक यह भी है कि नदियों, पहाड़ों की चोटियों और रेलगाड़ियों के ट्रैकों पर बच्चों का सैल्फी लेने का शौक मां-बाप के लिए आतंककारी बन सकता है। गुण्डों द्वारा किसी लड़की से छेड़छाड़ करने पर कोई सहायता नहीं करता अपितु कोई व्यक्ति मोबाइल द्वारा वीडियो बनाने में व्यस्त रहता है। आप अपने बैडरूम में भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि कोई नौकर या नौकरानी आपकी तस्वीरें बनाती होंगी। आतंकवादी गतिविधियों से बचा जा सकता है, परन्तु मोबाइल कैमरे के आतंक से नहीं बचा जा सकता। मोबाइल कैमरे ने प्राइवेसी खत्म कर दी है। आप अपनी छोटी से छोटी हरकत के लिए किसी का निशाना बन सकते हैं। आजकल के स्मार्ट फोन में साधारण फोन से अधिक क्षमता होती है और यह महंगा भी होता है तथा इसमें सब प्रकार की आवश्यकताएं संवाद संबंधी, डाटा संबंधी एस.एम.एस.,  वाट्सएप और फेसबुक विद्यमान रहती हैं। मार्टन कूपर ने इस कैमरे अथवा मोबाइल का इस्तेमाल 1973 में अमरीका में किया था। उसका मकसद समाज की भलाई करना था। इसके इस यंत्र से एस.एम.एस. ई.मेल, ब्लूटुथ, डाटा और रिकार्डर फायदेमंद हो सकते थे। परन्तु मानव की बुद्धि का फितूर गलत दिशा की ओर जल्दी आकर्षित होता है। इस स्मार्टफोन का आतंक यह भी है कि इसमें जो चुम्बकीय इलैक्ट्रिक तरंगें निकलती हैं वे मानव के जीवन के लिए खतरे की घंटी हैं। जो पदार्थ स्मार्टफोन के बचाने में प्रयुक्त होते हैं, जैसे ताम्बा, सीसा, पारा, जस्ता और लीथियम वे सब के सब विषाक्त हैं। लम्बे समय तक स्मार्टफोन का प्रयोग ब्रेन ट्यूमर पैदा कर सकता है। रही मोबाइल कैमरे की बात इससे पक्षियों में आतंक है कि इसकी तरंगें चिड़िया जैसे मासूम पक्षियों की जान ले लेती हैं। मानव ही मानव का दुश्मन है, इसलिए मोबाइल कैमरे से बचने की आवश्यकता है। खासकर नारी को किसी अनजान व्यक्ति को मोबाइल से फोटो खींचने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए।

—गांव नया गुगरां फिरोज़पुर कलां
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