राज्य के कई ज़िलों में विनाश करता राजस्थान पहुंचा ब्यास दरिया का ज़हरीला पानी

हरिके पत्तन, 20 मई (रितू कुन्द्रा): कीड़ी अफगाना चीनी मिल द्वारा फेंके गए सीरे ने ब्यास दरिया को खराब करके रख दिया। 16 मई से ब्यास में चल रहे इस ज़हरीले पानी ने लाखों जीव-जन्तुओं की बलि ले ली व मानवता के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर दिया। जैसे-जैसे इस ज़हरीले पानी का वहना आगे बढ़ता गया तो जीव-जन्तुओं की तबाही का मंजर भी और बड़ा होता गया। दरिया में तड़प-तड़प कर मरी मछलियां व पानी में तैरते मरे जीव-जन्तु इस विनाश की कहानी स्वयं बयान कर रहे हैं। यह विनाश का पाचवां दिन भी लगातार जारी था व अब यह ज़हरीला पानी राजस्थान पहुंच चुका है व पश्चिमी राजस्थान के लोग तो इस राजस्थान नहर के पानी पर ही निर्भर हैं। आगे बढ़ता-बढ़ता यह ज़हरीला पानी फिरोज़पुर व राजस्थान फीडर नहरों द्वारा लगभग 300 मी. दूर राजस्थान पहुंच गया। इस संबंधी राजस्थान के सिंचाई विभाग के एक्सीयन बलविन्द्र कुमार ने फोन पर जानकारी दी कि यह ज़हरीला पानी राजस्थान पहुंच चुका है व सरकार द्वारा अलर्ट जारी करते लोगों को इस पानी को न प्रयोग करने की अपील की है। कुमार ने बताया कि राजस्थान फीडर नहर जोकि ज़िला बारमेर तक जाती है व पूरे पश्चिमी राजस्थान के 10 ज़िलों के लोग इस राजस्थान नहर का पानी सिंचाई के साथ-साथ पीने के लिए भी प्रयोग करते हैं। वर्णनीय है कि यह लोग सिर्फ इस नहरी पानी पर ही निर्भर करते हैं, परन्तु यह पानी ज़हरीला होने के कारण लोगों के लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है।क्या इतने बड़े दुखांत के बाद सबक लेगी सरकार? : ब्यास दरिया में ज़हरीले पानी के कारण जीव-जन्तुओं के हुए विनाश कारण दरियाओं में ज़हर मिलाती फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हर ओर मांग उठ रही है व पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी ने भी पर्यावरण के मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की घोषणा की है, परन्तु सोचने वाली बात है कि पहले की तरह यह सब कुछ बयानों तक ही सीमित होगा कि पंजाब के पानी को खराब कर रही इन फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार गंभीर होगी नहीं तो और भयानक परिणाम निकलेंगे। यहां यह बात वर्णनीय है कि बेशक सतलुज दरिया कई दशकों से पर्यावरण का विनाश कर रहा है व अनेकों बार जलचर जीव भी इस गंदे पानी की भेंट चढ़े। परन्तु जितना नुक्सान इस बार जीव-जन्तुओं का हुआ है उनकी पूर्ति अगले कई वर्षों तक नहीं हो सकेगी व ब्यास दरिया में छोड़े गए इस ज़हरीले पानी के कारण दिये गए ज़ख्म पर्यावरण पर लम्बा समय रिसते रहेंगे।