सफाई पक्ष से अव्वल आने से उत्तरी राज्यों में बढ़ा भादसों का मान

जालन्धर, 20 मई (शिव शर्मा): लम्बे समय से करोड़ों के बजट वाली कई नगर निगमों, कमेटियों में तो सफाई को लेकर ज्यादातर सुधार नहीं हो सके हैं परंतु एक लाख से कम जनसंख्या वाले छोटे शहरों में से उत्तर भारत के साफ-स्वच्छ भारत शहरों में अव्वल आए पटियाला के भादसों शहर ने शेष निगमों कमेटियों को भी एक रास्ता दिखा दिया है कि वह भादसों में हुए कार्य को देख कर अपने शहरों में सफाई के कार्य में सुधार करेंगे। भादसों में और भी अहम बात है कि इसमें पटियाला के स्थानीय निकाय विभाग की उपनिर्देशक जीवन जोत कौर की लगातार मेहनत के कारण ही भादसों को उत्तरी भारत में से केन्द्र के स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल होने का मान मिला है। बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी कि उपनिर्देशक एवं विगत वर्ष ही इस पद पर नियुक्त हुई पीसीएस अधिकारी जीवन जोत कौर ने भादसों को स्वच्छ शहरों की सूची में लाने के लिए न केवल तीन महीने मेहनत की थी बल्कि उन्होंने कार्य करवाने के लिए फंड लेने के लिए टैंडरों का इंतजार नहीं किया बल्कि एनजीओ की सहायता से भादसों में गीला एवं सूखा कूड़ा अलग-अलग उठाने के लिए लोगों को दो रंग के डिव्बे भी लेकर दिए। एक पत्रकार को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 8 एवं 9 जनवरी 2018 को स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया जाना था और इससे पहले ही वर्ष 2017 के तीन महीने अक्तूबर से लेकर दिसम्बर तक उन्होंने कर्मचारियों एवं स्टाफ की मेहनत से भादसों में सफाई के कार्य में सुधार किया बल्कि लोगों के मोबाइल पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्वच्छता अभियान के एप लोड़ करवाए ताकि जो लोग उनको ज्यादा संख्या में कूड़े की तस्वीरें भेजें व उनको साफ करवाया जा सके और तो और जीवन जोत कौर ने भादसों को साफ शहरों की सूची में लाने के लिए दफ्तर से शाम को छुट्टी होने के बाद आप भादसों में जाकर सफाई का काम संभाल लिया था व वह शनिवार तथा रविवार को भी छुट्टी न करके भादसों को स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल लाने में जुट गए थे। इस तरफ पटियाला के स्थानीय सरकार विभाग के डिप्टी डायरैक्टर जीवन जोत ने फंडों की कमी होने के बावजूद भी अपनी मेहनत व सभी के सहयोग के साथ भादसों को छोटे शहरों में साफ रखने में अव्वल लाकर कईयों को राह दिखा दी है कि वह छोटे शहरों में इस तरह के काम कर सकते हैं और बड़े निगमों का जिनका करोड़ों रुपयों का बजट है, वहां इस तरह से सफाई के प्रबंध क्यों नहीं किए जा रहे हैं और तो और कई निगमों ने तो अब तक केन्द्र द्वारा स्वच्छ मुहिम तहत करोड़ों रुपए की रकम सफाई के कामों के लिए खर्च नहीं की है। केन्द्र द्वारा जालन्धर की निगम में सफाई का काम करवाने के लिए 15 करोड़ का फंड भेजा था पर अब तक खर्च नहीं किया गया क्योंकि कूड़ा उठाने वाली 500 रेहड़ियों की खरीद की जानी थी परंतु पहले तो रेहड़ियों की खरीद के लिए सहमति नहीं बनी लेकिन जब सहमति बनी है तो इसके लिए निगम हाऊस की मंजूरी की ज़रूरत मिलनी बाकी है। यही स्थिति अन्य शहरों की भी है। जहां अभी तक कूड़़े की समस्या हल नहीं की जा सकी है। निगमों के पास कूड़ा उठाने के लिए समर्था अनुसार गाड़ियां, मशीनरी मौजूद नहीं है। इसलिए अमृतसर सहित लुधियाना, जालन्धर ने काफी मेहनत की है। भादसों जैसे शहर को सफाई में अव्वल लाने के लिए डिप्टी डायरैक्टर के काम की चर्चा हो रही है पर उन्होंने यह भी सबक दिया है कि यदि मन में किसी प्रोजैक्ट को पूर्ण करने की इच्छा हो तो एनजीओ व समाज के गणमान्यों लोगों की सहायता से हर समस्या का हल किया जा सकता है।