प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर मैक्लोडगंज 

हिमाचल प्रदेश में दलाई लामा के नेतृत्व में अनेकानेक बुद्ध संस्थान, शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थान आदि चल रहे हैं, जिनका समस्त कार्य अनुशासनात्मक तथा मानवतावादी है। उनके मंदिर अति सुन्दर तथा दर्शनीय हैं।मैक्लोडगंज में भी एक बुद्ध मंदिर है। यह मंदिर चौक के प्रसिद्ध बाज़ार के समीप है। यह बहुमंज़िला सुन्दर मंदिर आध्यात्मिकता तथा शांति का संदेश देता प्रतीत होता है। इस मंदिर में विशाल मूर्तियां हैं, जिनकी शिल्पकारी अद्भुत है। मंदिर की परिक्रमा में पीतल (धातु) के गोलाकार ड्रम हैं, जो हाथ से घुमाने से घूमते हैं। बौद्ध अनुयायियों का विश्वास है कि ये ड्रम घुमाने से शांति तथा शक्ति मिलती है।मंदिर के प्रवेश द्वार के साथ बीच में एक दीर्घाकार प्रतिमा सुशोभित है। फिर सीढ़ियां चढ़कर द्वितीय तथा तृतीय मंज़िल तक जाया जाता है। समस्त मंदिर मूर्तियों तथा सुन्दर चित्रकारी एवं शिल्पकारी का आकर्षक नमूना है। दीवारों पर विभिन्न रंगों का चमत्कार मिश्रण अच्छा लगता है।इस स्थान की शुद्धता तथा पवित्रता भी कमाल है। बारीक शिल्प की हस्तकला कमाल की है। दीवारों एवं स्तम्भों के ऊपर लाल, पीले, गुलाबी, हरे, नीले रंगों का इमारती स्पर्श भी आकर्षण बढ़ाता है। सारा फर्श संगमरमर की खूबसूरती से सुसज्जित है। नीचे से ऊपर तक केन्द्र वाली जगह में मूर्तियां स्थापित हैं, जो चारों ओर बरामदे से जुड़ी हुई हैं। मूर्तियों के चारों ओर बरामदा, परिक्रमा स्थल है। परिक्रमा के साथ-साथ लकड़ी के मज़बूत फ्रेम हैं। इस स्थान की दाईं-बाईं ओर प्राचीन मशहूर बाज़ार है। मंदिर के आस-पास बड़े होटल हैं। मैक्लोडगंज का यह क्षेत्र बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध है। सदियों से इस चौक की चकाचौंध रोशनियों की अद्भुत आभा, यात्रियों का आना-जाना, भव्य मार्किट इसकी शोभा को बढ़ाते हैं। इन बाज़ारों में दलाई लामा की अनेक कलाएं, बौद्ध कलाएं, तिब्बती हस्त कलाएं, वस्त्रादि मिलते हैं।  इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य शांति, प्रेम, सद्भावना पर्यावरण की सुरक्षा, प्राथमिक मानवाधिकार, लोकतंत्र की आज़ादी, अहिंसा आदि की स्थापना है। यह स्थान देखने योग्य है। इस मंदिर के आस-पास आसानी से होटल मिल जाते हैं।

— बलविन्द्र ‘बालम’ गुरदासपुर