ज़हरीले व काले पानी से किसानों को ज़मीनें खराब होने का भय लगा सताने

खोसा दल सिंह, 21 मई (अ.स): ब्यास दरिया के रासायण युक्त पानी से जहां बड़े स्तर पर मच्छलियों और अन्य जल-जीवों का विनाश हो रहा हैं, वहीं यह ज़हरीला पानी मालवा क्षेत्र में भी लोगों के बड़ी मुसीबत का कारण बना रहा हैं। हरीके हैड वर्कस से निकलने वाली राजस्थान फीडर और सरहिंद फीडर नहरों में सरहिंद फीडर द्वारा ब्यास और सतलुज का पानी पंजाब के फिरोज़पुर, ़फरीदकोट, मुक्तसर साहिब और फाजिल्का ज़िलों में सिंचाई और पानी के लिए प्रयोग किया जाता हैं। इन ज़िलों में प्रशासन ने यह पानी पीने के लिए ना प्रयोग करने की हिदायत तो जारी की हैं अब यह पानी सिंचाई के लिए प्रयोग करने के लिए किसान सोचों में पड़ गए हैं। खोसा दल सिंह के नज़दीक सरहिंद नहर पर सिंचाई के लिए कुहाला, भड़ाना, खोसा, विरकां वाली, कर्मूवाला आदि गांवों में लगे पानी वाले मोघे किसानों को बंद कर दिए हैं तांकि इस ज़हरीले पानी से जमीनों को ़खराब होने से बचाया जा सके। गांव भड़ाना के किसान हरप्रीत सिंह ने बताया कि उसने इस पानी को सिंचाई के लिए अपने खेतों में प्रयोग किया पर तीन दिन के पश्चात् भी यह पानी उसी प्रकार खेतों में खड़ा हैं और रसायण की काली पर्त ज़मीन पर जम्म गई हैं और खेतीबाड़ी विभाग द्वारा किसानों को इस पानी संबंधी कोई सुझाव ना दिए जाने के कारण उनको जमीन की सेहत ़खराब होने का भय सता रहा हैं, जिसके चलते उक्त किसान ने मोघा बंद कर यह पानी सिंचाई के लिए प्रयोग करना बंद कर दिया हैं। एक और किसान नछतर सिंह का कहना हैं कि उसके द्वारा बोऐं गए धान की पनीरी में भी यह दूषित पानी पड़ने के कारण उसको पनीरी ़खराब हो जाने का भय हैं। गांव विरकां वाली के सरपंच सतनाम सिंह गोल्डी ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की लापरवाहीं पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर अब भी पानी को दूषित होने से ना रोका गया तो मच्छलियों के पश्चात् विनाश की बारी हमारी आएगी।