विद्यार्थियों के लिए संजीवनी बूटी साबित हो रहा है ‘पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब’ प्रोजैक्ट

गुरदासपुर, 21 मई (आरिफ): पंजाब के शिक्षा तंत्र में नई जान डालने वाला प्रोजैक्ट ‘पढ़ो पंजाब पढ़ाओ पंजाब’ विद्यार्थियों के लिए संजीवनी बूटी सिद्ध हो रहा है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार द्वारा यह प्रोजैक्ट पहले भी वर्ष 2008 में शुरू किया गया था, जिस दौरान इसके परिणाम हैरानी करने वाले सामने आए। आल स्टेट वार्षिक रिपोर्ट (ए.एस.ए.आर.) द्वारा किए सर्वेक्षण में 2008 में विद्यार्थियों में इस प्रोजैक्ट के सार्थक परिणाम 72 फीसदी तक पहुंच गए, जबकि इससे पूर्व शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के परिणाम 48 फीसदी तक ही सीमित थे परंतु फिर 2012 में यह प्रोजैक्ट कुछ कारणों से सरकार ने बंद कर दिया और परिणाम पुन: 50 फीसदी के करीब पहुंच गए। कृष्ण कुमार ने शिक्षा सचिव बनने पर अब यह प्रोजैक्ट जुलाई 2017 में पुन: शुरू कर दिया और फिर इसके परिणाम जोकि 38 फीसदी तक पहुंचे थे, वे सीधे 70 फीसदी तक पहुंच गए। इस प्रोजैक्ट की विशेष बात यह है कि यह प्रोजैक्ट पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों में बौद्धिक, मानसिक व शारीरिक विकास को प्राथमिकता दे रहा है। इस प्रोजैक्ट के तहत हर अध्यापक के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। अध्यापकों को पाबंद किया जाता है कि वे बच्चों को तय समय में पाठ्यक्रम के अनुसार पूरी मुहारत उपलब्ध करवाएं। इन अध्यापकों को इस काम के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस काम को सफल बनाने के लिए विभाग द्वारा विद्यार्थियों के लिए 32 प्रकार की सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसमें पढ़ने योग्य सामग्री, चार्ट्स व खेलों से संबंधित सामान शामिल है। विभाग द्वारा 12 स्कूलों के पीछे एक (सी.एम.टी.) कलस्टर मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया जाता है, जबकि 60 से 80 स्कूलों के पीछे एक (बी.एम.टी.) ब्लाक मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया जाता है। विभाग द्वारा मिलता प्रशिक्षण सी.एम.टी. व बी.एम.टी. द्वारा अध्यापकों को दिया जाता है और उनके साथ विषयों को पढ़ाने के लिए नए परीक्षण साझे किए जाते हैं, जिससे अध्यापकों द्वारा विषय पढ़ाने के लिए नई तकनीकों का सहारा लिया जाता है। यह प्रशिक्षण ज़िला स्तर पर भी दिया जाता है। इस प्रोजैक्ट की सबसे बड़ी सफलता यहां देखने को मिलती है कि पंजाब के प्राइमरी स्कूलों में अधिकतर बच्चे 49 तक पहाड़े बोलने में सक्षम हो चुके हैं।  कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस प्रोजैक्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में नई जान डाल दी है। गुरदासपुर के ज़िला शिक्षा अधिकारी (ए.) सलविंदर सिंह समरा का भी यह कहना है कि शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार की अगुवाई में यह प्रोजैक्ट कमाल पेश कर रहा है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब पंजाब प्राइमरी शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के मुकाबले पहले स्थान पर पहुंच जाएगा।