घर के बजट की आदत बनाएं

बजट का मतलब होता है आमदनी व खर्च का अनुमान। इन दिनों अखबारों व समाचारों में प्राय: बजट की चर्चा पढ़ने-सुनने को मिल जाती है। क्या आपने कभी अपने घर का बजट बनाया है? क्या आपने कभी इस बात का हिसाब लगाया है कि आपके घरेलू खर्चों पर आपकी आय का कितना हिस्सा खर्च हो रहा है? भविष्य के लिए आप कितनी बचत कर रही हैं? आप ही अपने घर की गृहमंत्री और वित्त मंत्री भी हैं अत: घर के बजट बनाने और उसे क्रियान्वित करने की जवाबदारी भी आपकी है। घरेलू बजट बनाने से तात्पर्य घर के सभी खर्चों का हिसाब लगाने से कहीं बढ़कर है। इसके जरिये आप हिसाब लगा सकती हैं कि आपकी आय में से कितना खर्च होता है और कितना इसमें से बचाया जा सकता है। समय पर बच्चों की फीस, बिजली, पानी, अखबार, दूध, करियाने के बिलों का भुगतान करना, कर्ज़ों का सही समय पर निपटारा करना और अपने बचत, निवेश लक्ष्यों को हासिल करना भी घरेलू बजट के अंतर्गत आता है।योजना बनाने से शुरुआत करें शुरुआत के लिए अपनी छोटी से बड़ी ज़रूरतों और इच्छाओं की लिस्ट बनाकर देखें—खर्चों को ज़रूरतों और चाहतों के बीच बांटने से आपको ज्ञात होगा कि जीने के लिए किन चीज़ों की ज़रूरत है और कौन-कौन से खर्चे सिर्फ आपकी जीवन-शैली को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक हैं। आपको अपनी मासिक आय के हिसाब से चलना होगा और इसके आधार पर ही लागत निकालनी होगी। सारी अंकगणना और हिसाब-किताब इस तरह से करें कि आपका साल भर का बजट तैयार हो जाए। दूसरी ओर की लिस्ट बड़ी होगी। घर के सभी सदस्यों के साथ बैठकर नियमित व आकस्मिक खर्चों को सूचीबद्ध करें। पिछले साल हुए खर्चों को सम्भावित महंगाई के कारण थोड़ा बढ़ाकर जोड़ें। इसके बाद देखें कि आपकी सालाना आमदनी में यह फिट हो रहा है या नहीं। सिर्फ बजट बनाना ही काफी नहीं है। इसे देखें कि आपका बजट केवल कागजों पर ही नहीं बल्कि असली ज़िंदगी में भी सही चल रहा है या नहीं। एक सही बजट वही है जो देखने में भले ही साधारण हो लेकिन आपकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सफल साबित हो। हर थोड़े दिनों बाद बजट का विश्लेषण भी कर सकते हैं।लक्ष्य निर्धारित करें हर महीने कुछ पैसे बचाने का लक्ष्य बनाएं और इसके जरिये कुछ हासिल करने पर खुशी महसूस करें चाहे वो कोई मोबाइल हो, या छुट्टी पर बाहर जाने का प्रोग्राम हो। इसके लिए एक तरीका है कि आप छोटी-छोटी चीज़ों के लिए क्रैडिट कार्ड के इस्तेमाल से बचें और ईएमआई पर वस्तुएं खरीदने से भी बचें प्राथमिकताएं तय करें सरकार अपने बजट में प्राथमिकता के क्षेत्र तय करती है। वह स्वास्थ्य, शिक्षा आदि को इस क्षेत्र में रखती है। आपको भी अपने खर्चों की प्राथमिकताएं ज़रूर तय कर लेनी चाहिए। मसलन अगर आपकी प्राथमिकता यह है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले तो फिर उस पर खर्च करना ज़रूरी है। अगर आपने कज़र् ले रखा है तो उसके भुगतान को भी नहीं भूलना चाहिए। हर साल बजट बनाएं बजटिंग को आदत में शामिल करें। अगर इसमें कुछ वक्त  भी लगे और कुछ झंझट समझ में आए, तो भी इस काम को करें। अगर आपको इसमें कुछ दिक्कत समझ में आती है तो इसे आसान बनाएं। खर्चों को लिखें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप इसके लिए गंभीर नहीं है।

—कल्पना श्रीवास्तव