भारत और रूस के गहरे संबंध


भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस की संक्षिप्त यात्रा बेहद भावपूर्ण कही जा सकती है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक लम्बी मुलाकात की। आपसी सहयोग के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मामलों संबंधी भी दोनों नेताओं ने विचार सांझे किए। गत 18 वर्षों से पुतिन रूस के प्रमुख पदों पर बने रहे हैं। वह वर्ष 2000 में पहली बार देश के राष्ट्रपति बने थे। उस समय से लेकर अब तक उन्होंने भारत के साथ लगातार बेहद गहरे संबंध बनाये रखने का प्रयास किया है। वह अक्सर भारत की यात्राओं पर आते रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2001 में रूस का दौरा किया था। नरेन्द्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। वह भी उनके साथ वहां गये थे। उस समय दोनों देशों ने आपसी संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तथा अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार करने के लिए लगातार बातचीत जारी रखने के लिए एक रणनीतिक सांझेदारी की नीति अपनाई थी, जिसके अधीन दोनों देशों के नेता हर वर्ष आपसी बातचीत के लिए एक-दूसरे के देश आते-जाते रहे हैं। यह सिलसिला अब तक भी लगातार जारी है। 
जहां तक रूस का संबंध है, भारत के आज़ाद होने के समय से उस समय के सोवियत यूनियन ने इसका हाथ थामा था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के उस समय के सोवियत नेताओं के साथ गहरे संबंध रहे थे। रूसी नेताओं की उस समय कही बात आज भी कानों में गूंजती है जब गौरबाचोव तथा खुरसचोव भारत आए थे और उन्होंने कहा था कि किसी भी मुश्किल के समय आप हमें आवाज़ देना, हम हाज़िर होंगे। सोवियत यूनियन उस समय दुनिया की बड़ी शक्ति थी। उसने अधिक से अधिक भारत की हर तरह से सहायता करने की इच्छा जताई थी। बहुत सारे बड़े कारखाने सोवियत यूनियन की सहायता से लगाये गए थे। उस समय से लेकर आज तक दोनों देशों की दोस्ती ऐतिहासिक बनीं नज़र आती है। भारत के अन्य अनेक देशों के साथ संबंध बनते-बिगड़ते रहे हैं, परन्तु रूस और भारत हमेशा हाथ में हाथ डालकर चलते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी अनेक बार रूस ने भारत की सहायता की है। अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी वह हमेशा भारत के साथ खड़ा दिखाई देता रहा है। यदि भारत आज एक बड़ी सैन्य शक्ति बन सका है, तो इसमें रूस का बड़ा हाथ है। ऐसी ही भावनाएं नरेन्द्र मोदी ने भी व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस की दोस्ती समय की परीक्षा से गुजरी है। आगामी वर्षों में इसके और भी ऊंचाइयां छूने की उम्मीद की जा सकती है। रूस हमेशा ही भारत का पक्का और सच्चा दोस्त बना रहा है। हम लगातार द्विपक्षीय बैठकें करते रहे हैं, जिन्होंने हमारे संबंधों को एक स्तर प्रदान किया है। पुतिन ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंधों के लिए किसी व्याख्या की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इनकी जड़ें बहुत गहरी हैं। हमने आगे की ओर छलांगें लगाई हैं। इसी वर्ष हमारे व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ब्रिक्स तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हम एकजुट होकर विचरे हैं। इस वर्ष के अंत में पुतिन दोनों देशों की वार्षिक द्विपक्षीय बैठक के लिए भारत आ रहे हैं। सोवियत यूनियन के टूटने के बाद इस देश को बेहद संकट से गुजरना पड़ा था और इसकी हालत बड़ी सीमा तक खस्ता हो गई थी। उस समय भी भारत ने अपने पूरे सहयोग का हाथ इसकी ओर बढ़ाये रखा था। 
गत 18 वर्षों में पुतिन ने बहुत ही समझबूझ से देश की डगमगाती नाव को स्थिर किया है। आज फिर रूस दुनिया की बड़ी शक्ति बनने के रास्ते पर है। भारत के चीन के साथ संबंध गत लम्बे समय से तनावपूर्ण बने रहे हैं। चीन का पाकिस्तान की ओर भी झुकाव रहा है। परन्तु 1962 में चीन और भारत की जंग के समय रूस ने अपने दायित्वों को पूरी तरह निभाया था। नि:संदेह ऐसी दोस्ती और सहयोग दोनों देशों को मज़बूती तथा दृढ़ता प्रदान करता है, जिसकी आज भारत को बेहद ज़रूरत है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द