राजनीतिक पार्टियों द्वारा लोकसभा चुनाव हेतु उम्मीदवार ढूंढने की प्रक्रिया शुरू

चाहे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा मंत्रिमंडल में किए विस्तार के खिलाफ कांग्रेसी विधायकों में रोष बढ़ता जा रहा है और कई विधायक धीरे-धीरे कांग्रेस हाईकमान के पास मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खिलाफ बोलने की हिम्मत भी करने लगे हैं। चाहे यह चर्चा भी सुनाई दे रही है कि पंजाब में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यालय चलाने के लिए पिछली बार की तरह इस बार उपयुक्त आर्थिक योगदान न दिये जाने के कारण और कई बार कांग्रेस द्वारा केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ लिए स्टैंड के विपरीत बयानबाज़ी करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसी कारण कैप्टन के बारे में की गई टिप्पणी से राहुल गांधी काफी नाराज़ भी बताए जाते हैं और वह पंजाब के नाराज विधायकों को शायद इसीलिए मिलने का समय भी दे रहे हैं। परन्तु इस सब के बावजूद कैप्टन की राजनीतिक स्थिति में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। पहली बात तो यह है कि नाराज़ विधायकों में एकता नहीं है। बस, 3-3, 4-4 विधायकों के अलग-अलग गुट हैं, जिनमें से कई तो स्वयं मंत्री बनना चाहते हैं और कई तो सिर्फ इसलिए ही विरोध कर रहे हैं कि चलो अब मंत्री तो नहीं बन सके, किसी और ‘अच्छी’ जगह पर एडजस्ट हो जाएं। फिर कांग्रेस का कोई भी नेता, न विधायकों में से और न ही बाहर से नाराज विधायकों का नेतृत्व करने के लिए भी अभी आगे नहीं आया जो कैप्टन के बराबर मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो। ऐसी स्थिति में चाहे असम्भव कुछ भी नहीं, परन्तु हाल के समय बहुत कम आसार हैं कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मंत्रिमंडल में कोई और बदलाव हो या उनकी कुर्सी को कोई चुनौती हो। 
लोकसभा उम्मीदवारों की तलाश शुरू चाहे लोकसभा चुनावों में अभी लगभग पौना वर्ष शेष पड़ा है, परन्तु पंजाब में कांग्रेस तथा अकाली-भाजपा गठबंधन द्वारा सम्भावित जीत सकने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों की तलाश शुरू हो गई है और टिकट लेने के इच्छुक लोगों ने भी भागदौड़ शुरू कर दी है। जहां तक आम आदमी पार्टी का संबंध है, चाहे इस समय चार लोकसभा सदस्य ऐसे हैं, जो ‘आप’ के उम्मीदवार के तौर पर जीते थे, दो को तो पार्टी बाहर का रास्ता दिखा ही चुकी है, परन्तु फिर भी ‘आप’ में अभी लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव के लिए कोई प्रत्यक्ष सक्रियता दिखाई नहीं दे रही। वैसे पार्टी नेतृत्व चुपचाप कोई विचार कर रहा हो तो अलग बात है, परन्तु अभी पंजाब की हवाओं में इसके बारे में कोई सरगोशी सुनाई नहीं दे रही। अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार? जहां तक अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों की बात है, आपको भाजपा की ओर से अकाली दल से अधिक सीटें मांगे जाने के आसार काफी कम हो गये हैं। चाहे अभी भी भाजपा क्षेत्र तीन के स्थान पर चार सीटें मांगने की बात अवश्य करते हैं, परन्तु एक बात काफी जोर से कही जा रही है कि भाजपा इस बार अकाली दल को अमृतसर देकर उसके बदले में आनंदपुर साहिब, फिरोज़पुर या लुधियाना सीटों में से कोई एक देने के लिए कहेगी। जहां तक अकाली उम्मीदवारों का संबंध है, इस बार खडूर साहिब सीट से रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, प्रकाश सिंह बादल की बेटी और पूर्व मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों की पत्नी परनीत कौर तथा विरसा सिंह वल्टोहा गम्भीर दावेदार हैं। अकाली दल के लिए इस बार जालन्धर से योग्य उम्मीदवार की तलाश काफी मुश्किल है, परन्तु पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल को टिकट देने या किसी अन्य पार्टी के नेता को अकाली दल में शामिल करने की चर्चा भी है। आनंदपुर साहिब क्षेत्र से प्रो. प्रेम सिंह चन्दूमाजरा को टिकट दिया जाना लगभग तय ही है। लुधियाना सीट की बदली यदि भाजपा के साथ हो जाती है, तो अलग बात है, नहीं तो पंजाब भर में सिख वोटों को अकाली दल की ओर आकर्षित करने के लिए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान मनजीत सिंह जीके को उम्मीदवार बनाये जाने की भी प्रबल सम्भावना है। सीट बदलने और उनको अमृतसर से भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वैसे दिल्ली के एक अन्य सिख नेता को पंजाब में लोकसभा टिकट दिये जाने की चर्चा भी सुनाई दे रही है। फतेहगढ़ साहिब से जस्टिस निर्मल सिंह, पूर्व सांसद सतविन्द्र कौर धालीवाल, दरबारा सिंह गुरु और चरणजीत सिंह अटवाल के नाम भी चर्चा में हैं। फरीदकोट से अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा अजीत सिंह शांत को टिकट दिये जाने का वायदा भी चर्चा में है, परन्तु परमजीत कौर गुलशन और प्रकाश सिंह भट्टी भी लाईन में हैं। फिरोज़पुर से टिकट के प्रमुख दावेदार जनमेजा सिंह सेखों हैं। वरदेव सिंह नैनीपाल भी लाईन में हैं। बठिण्डा से केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के चुनाव लड़ने के बहुत ज्यादा आसार हैं। चाहे चर्चा उनकी सीट बदलने की भी हो रही है। संगरूर से इस बार सुखदेव सिंह ढींडसा के चुनाव लड़ने के आसार बहुत कम हैं। उनकी बहू गगनदीप कौर ढींडसा का नाम काफी आगे है। यहां से बलदेव सिंह मान और बरनाला परिवार भी टिकट का गम्भीर दावेदार हैं। पटियाला क्षेत्र से अभी सिर्फ एक नाम पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा का लिया जा रहा है। परन्तु हमारी जानकारी के अनुसार मौके पर यह टिकट किसी युवा अकाली नेता को भी दी जा सकती है। जहां तक भाजपा का संबंध है, यदि भाजपा ने अमृतसर सीट ही लड़ी, तो चंडीगढ़ की लोकसभा सदस्य किरण खेर को अमृतसर भेजा जा सकता है, नहीं तो भाजपा यहां से बाहरी किसी अन्य प्रसिद्ध हस्ती को लाने को प्राथमिकता दे सकती है। गुरदासपुर क्षेत्र से कविता खन्ना, अविनाश राय खन्ना और नरेन्द्र परमार के नाम चर्चा में हैं। होशियारपुर क्षेत्र से केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला के मुकाबले सोम प्रकाश, दिलबाग राय और राजेश बाघा के नाम भी हैं, परन्तु यह चर्चा भी है कि सांपला अकाली दल के साथ होशियारपुर के बदले में जालन्धर सीट बदलकर जालन्धर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवार जहां तक कांग्रेस के सम्भावित लोकसभा उम्मीदवारों की बात है, उनमें से गुरदासपुर से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़, अमृतसर से मौजूदा सांसद गुरजीत सिंह औजला, जालन्धर से संतोख सिंह चौधरी, लुधियाना से रवनीत सिंह बिट्टू और पटियाला से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की पत्नी परनीत कौर या उनके बेटे का उम्मीदवार बनना लगभग तय ही है। जबकि होशियारपुर से महेन्द्र सिंह के.पी. टिकट के गम्भीर दावेदार तो हैं, परन्तु यहां से राजकुमार चब्बेवाल, संतोख चौधरी तथा राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो को उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा भी सुनाई दे रही है।  
आनंदपुर साहिब सीट से अम्बिका सोनी, मनीष तिवारी और केवल ढिल्लों के नाम हैं। जबकि मनीष तिवारी का नाम चंडीगढ़ के लिए भी चर्चा में है। बठिण्डा से कांग्रेस अभी उम्मीदवार की तलाश में है, परन्तु चर्चा मनप्रीत सिंह बादल की पत्नी, मुख्यमंत्री के बेटे के नाम की भी है और ‘आप’ के एक बड़़े नेता को कांग्रेस में शामिल करके उम्मीदवार बनाये जाने की भी चर्चा है। खडूर साहिब लोकसभा सीट से इन्द्रजीत सिंह ज़ीरा, गुरचेत सिंह भुल्लर और जसवीर सिंह डिम्पा के नाम सुनाई दे रहे हैं। फतेहगढ़ साहिब से पूर्व मंत्री मलकीत सिंह दाखा, विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी, लखबीर सिंह लक्खा पायल के अलावा शमशेर सिंह दूलो या उनके पारिवारिक सदस्य भी टिकटों के इच्छुक लोगों में शामिल हैं। फिरोज़पुर से मौजूदा सांसद शेर सिंह घुबाया या अमरेन्द्र सिंह राजा बड़िंग के नाम भी चर्चा में हैं। संगरूर से पूर्व मुख्यमंत्री राजेन्द्र कौर भट्ठल और केवल ढिल्लों के नामों की चर्चा सुना दे रही है, जबकि फरीदकोट से अभी कोई भी नाम चर्चा में नहीं है। 

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