पंजाब सरकार द्वारा चड्ढा शुगर मिल को 5 करोड़ का जुर्माना

चंडीगढ़, 24 मई (वार्ता): पंजाब सरकार ने आज ब्यास नदी प्रदूषण मामले में चड्ढा शूगर मिल पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाने की घोषणा की। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार इसी के साथ 17 मई के निर्देशानुसार मिल बंद ही रहेगी और समुचित प्रदूषण नियंत्रण उपाय किये जाने तक मिल को कोई कार्य शुरू नहीं करने दिया जाएगा। इस संदर्भ में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक रिपोर्ट आज पंजाब सरकार को सौंपी है। जिसके अनुसार कार्रवाई की जा रही है। बोर्ड ने कारखाने के ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच के बाद जल प्रदूषण नियंत्रण एवं प्रतिबंधक कानून के तहत कार्रवाई का सुझाव भी दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार पर्यावरण मंत्री ओपी सोनी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करने का निर्देश भी दिया जो राज्य में नदियों की सफाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों बारे अपने सुझाव देगी। इस कमेटी को साफ पेयजल मुहैया करवाने को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का जिम्मा भी सौंपा गया है और कमेटी 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार मिल ने न सिर्फ  वाटर (प्रीवेन्शन एंड कंट्रोल आफ पोल्यूशन) एक्ट -1974 की धाराओं का उल्लंघन किया बल्कि ईस्ट पंजाब मोलासिस (कंट्रोल) एक्ट -1948 और फैक्ट्रीज़ एक्ट-1948 का भी उल्लंघन किया। इस मामले में ज़िम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। मिल की तरफ से शीरे के स्टाक के प्रबंधों संबंधी न तो आबकारी कमिश्नर से स्वीकृति ली गई और न ही मोलासिस एक्ट का पालन किया गया। मुख्यमंत्री ने वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के एमडी को लुधियाना के बूढ़े नाले की सफाई संबंधी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के साथ-साथ औद्योगिक इकाईयों की तरफ से इसमें फेंके जा रहे अवशेषों से जल प्रदूषण पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने जालंधर ज़िले में काला संघिया ड्रेन में चमड़ा उद्योग के अवशेष पड़ने से फैल रहे प्रदूषण के कारणों की जांच करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। पर्यावरण मंत्री श्री सोनी की अपील पर मुख्यमंत्री ने बोर्ड को नदियों की सफाई और लोगों को साफ पानी मुहैया करवाने के लिए लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के नगर निगमों के सुझाव हासिल करने के लिए कहा। बैठक के दौरान यह फैसला भी किया गया कि इस प्रक्रिया के अंतर्गत व्यापक स्तर पर सतलुज, ब्यास और रावी नदियों की सफाई करने के लिए समयबद्ध कार्य योजना तैयार की जाये। मुख्यमंत्री ने लुधियाना में सभी कॉमन ऐफलूऐंट ट्रीटमेंट प्लांटों (सी.ई.टी.पी.) को तुरंत चालू करने की ज़रूरत पर जोर देते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को इसकी निरंतर निगरानी करने के लिए कहा। उन्होंने बोर्ड के चेयरमैन को सभी औद्योगिक ईकाईयों खासकर रंगाई, कपड़ा और चमड़ा की ईकाईयों में ईटीपी स्थापित करने को यकीनी बनाने के लिए कहा।