लंगर से जी.एस.टी. किसी भी समय समाप्त हो सकता है

चंडीगढ़, 26 मई (एन.एस. परवाना) : भाजपा पंजाब के प्रधान श्वेत मलिक सदस्य राज्यसभा ने दावा किया है कि ऐतिहासिक गुरुद्वारों में लंगर की तैयारी में प्रयोग की जाती वस्तुओं पर लागू जी.एस.टी. हट सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी इस मामले के सभी पक्षों पर गम्भीरता के साथ विचार कर रहे हैं परन्तु अन्तिम फैसला तो जी.एस.टी. कौंसिल ही कर सकती है, जिसके सदस्य सभी राज्यों के वित्त मंत्री हैं। मोदी सरकार के 4 वर्ष पूरे होने का लेखा-जोखा पेश करते हुए आज यहां प्रैस कान्फ्रैंस में उन्होंने इस मामले को लेकर पत्रकारों ने सवालों की वर्षा कर दी, जिनके जवाब में श्री मलिक ने यह कहकर पीछा छुड़ाया कि मैं गुरु की नगरी अमृतसर का वासी हूं व आप तथा इस बात के लिए वचनबद्ध हैं कि गुरु के लंगर पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगना चाहिए।उन्होंने कहा कि पंजाब से केन्द्रीय मंत्री बीबी हरसिमरत कौर बादल भी इस मामले पर संजीदा प्रयास कर रहे हैं। जब उनको याद कराया गया कि सभी धर्मों से सम्बन्धित स्थानों गुरुद्वारों, मंदिरों, मस्जिदों व गिरजा घरों में लंगर चलते हैं, जी.एस.टी. हटाने की यह मांग सभी की सांझी है। केवल एतिहासिक गुरुद्वारों के लिए नहीं तो उन्होंने कहा कि ‘मैं स्वयं श्री मोदी व केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेतली के साथ बात करूंगा।’ मोदी सरकार की चार वर्षों की कार्यगुज़ारी का निष्कर्ष निकालते हुए श्री मलिक ने दावा किया कि सभी मौजूदा प्रधानमंत्री ईमानदार, मेहनती व शक्तिशाली साबित हुए हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दों की कमर तोड़कर रख दी है व देश से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए सिर-धड़ की बाज़ी लगाकर बैठे हैं। उन्होंने विचार प्रकट किया कि कांग्रेस प्रधान श्री राहुल गांधी बेशक 40 वर्षों के नौजवान नेता हैं परन्तु उनमें श्री मोदी जैसी शख्सीयत का मुकाबला करने की हिम्मत नहीं। उन्होंने मोदी सरकार की एक-एक सफलता की लम्बी चौड़ी कहानी ब्यान करते हुए यह दावा भी किया कि डाक्टर मनमोहन सिंह तो कांग्रेस शासन के समय कमज़ोर प्रधानमंत्री साबित हुए, जो भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कोई कदम न उठा सके। एक प्रश्न के उत्तर में श्री मलिक ने कहा कि दिल्ली प्रांत के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसे ही नहीं कई केन्द्रीय मंत्रियों के विरुद्ध लगाए गए आरोपों के बारे में माफी मांग कर जान छुड़ाई। आम आदमी पार्टी पंजाब के कई नेताओं जिनमें उन्होंने विशेष तौर पर सुखपाल सिंह खैहरा व भगवंत मान का नाम लिया बारे कहा कि वह अपने अपने पदों से इस्तीफे क्यों नहीं देते, जिनसे पूछे बिना श्री केजरीवाल को अदालतों में केस वापिस लेने पड़े।