मोदी शासन के 4 वर्ष : उद्योगपतियों व कारोबारियों को लाभ की अपेक्षा वायदे मिले

लुधियाना, 26 मई (पुनीत बावा/विशेष प्रतिनिधि): देश की नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली एन.डी.ए. सरकार के 4 वर्षों में उद्योगपतियों व कारोबारियों को लाभ की बजाय सरकार से सिर्फ वायदे ही मिले हैं।  4 वर्षों में बड़े उद्योगपतियों व कारोबारियों को छूट व छोटे उद्योगपतियों को दी जाने वाली स्कीमें की बंद। प्राप्त जानकारी के अनुसार देश के उद्योगपतियों की तबाही की शुरुआत 8 नवम्बर 2016 में नोटबंदी होने के साथ हुई, उसके बाद आधे अधूरे प्रबंधों के साथ ‘एक देश एक कर’ का नारा लगाकर शुरू की गई जीएसटी प्रणाली ने देश की आर्थिक को डावांडोल कर दिया। डीज़ल-पैट्रोल व स्टील की कीमतों में हुए भारी वृद्धि करके उत्पादन लागतों में 40 फीसदी तक वृद्धि हुई है। स्टील की आयात 48 हज़ार 708 करोड़ से बढ़कर 65 हज़ार 806 करोड़ पर पहुंच गई है। 2014-2015 में देश की निर्यात 18 लाख 96 हज़ार 340 करोड़ रुपए व आयात 27 लाख 36 हज़ार 679 करोड़ रुपए थी व फरवरी 2017-2018 तक निर्यात 17 लाख 43 हज़ार 306 करोड़ रुपए व आयात 26 लाख 95 हज़ार 799 रुपए पर पहुंच गई है। देश के अंदर विदेश निवेश दर हर क्षेत्र में 100 फीसदी करने की छूट देकर बड़े-बड़े घरानों को लाभ देकर छोटे कारोबारियों को मारने की नीति अपनाई गई। बैंकों की व्यवस्था का इतना बुरा हाल हो गया है कि पिछले 4 वर्षों में देश के अलग-अलग बैंक खातों के एन.पी.ए. होने के साथ 841 लाख करोड़ की राशि फंस चुकी है। रुपए के मुकाबले डालर का भाव बढ़ने के साथ ही कारोबार व व्यापार पर बुरा असर पड़ा है। आमदन कर विभाग द्वारा उद्योगपतियों व कारोबारियों को  व्यर्थ शक्ति करके ही देश के अंदर डर व सहम का माहौल बना हुआ है। 4 वर्षों में केन्द्र व पंजाब सरकार के आपसी संबंध भी अच्छे नहीं बन सके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों के साथ बड़े उद्योगपति व कारोबारी और अमीर हो गए व छोटे उद्योग व कारोबारी और गरीब हो गए। लोगों को अपने छोटे-मोटे कारोबार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना की शुरुआत बड़े जोर शोर के साथ शुरू की गई थी, पर बैंकों द्वारा बनता सहयोग न देकर मुद्रा योजना दम तोड़ गई है। प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया, स्टार्टअप व स्टैंड अप इंडिया, एस.सी./एस.टी. हब को भी आस से भी बहुत कम समर्थन मिला है। एम.एस.एम.ई. विभाग द्वारा देश के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को लाभ देने के लिए योजनाओं के बड़े-बड़े किताबें छिपवाई गई थीं, पर इनका उद्योगपतियों को लाभ नहीं हो सका। विभाग की कई स्कीमों को वापिस ले लिया गया है, स्कीमों के लिए सरकार द्वारा फंड जारी करने के लिए टालमटोल किया जा रहा है। फूड प्रोसैसिंग व अन्य उद्योग लगाने के लिए सरकार ने कई प्रकार की स्कीमें तैयार की हैं, पर 4 वर्षों में कागजी कार्रवाईयों बहुत अधिक होने के कारण देश के उद्योगपतियों व कारोबार इससे बनता लाभ नहीं ले सके। देश के उद्योगपतियों को एम.एस.एम.ई. विभाग द्वारा 85 फीसदी तक सबसिडी देने के लिए कलस्टर योजना लाई गई है पर कलस्टर योजना तहत उत्तरी भारत के उद्योग व कारोबार बहुत ज्यादा लाभ लेने से वंचित रह गए हैं, क्योंकि वह विभाग के नियमों व शर्तों को पूरा करने में कामयाब नहीं हो सके देश की अलग-अलग उद्योगों को क्षरण लगाने वाले चीन से आने वाले उत्पादों पर रोक लगाने के लिए केन्द्रीय सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी, जिस कारण भारत के उद्योगपतियों व कारोबारियों का बुरा हाल व चीन के उद्योगपति व कारोबारी खुशहाल हो गए हैं।