चांद पर भी है खूबसूरत पहाड़ों का नज़ारा

कहते हैं चांद हमारी पृथ्वी का ही टुकड़ा है। अब से कोई एक अरब साल पहले उसका जन्म हुआ था, तब पृथ्वी का आकार शकरकंद जैसा था और वह अपनी धुरी पर भयानक तेजी से घूमती हुई सूरज के चारों ओर चक्कर लगा रही थी। धीरे-धीरे वह सिकुड़ने लगी और नारंगी की शक्ल की बन गई। उसी ज़माने में उसके सिर का एक भाग टूटकर अलग हो गया। मगर अलग हो जाने के बावजूद टूटा हुआ टुकड़ा नष्ट या गायब नहीं हुआ। पृथ्वी की आकर्षण शक्ति उसे रोके रही। वहीं टूटा हुआ टुकड़ा चांद है, जो पृथ्वी की आकर्षण में बंधा हुआ हर घड़ी पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। हां, आकाश के दूसरे पिंडों के मुकाबले में चांद हमारी पृथ्वी के अधिक निकट है, फिर भी वह पृथ्वी से लगभग अढ़ाई लाख मील दूर है। चांद की ओर जितना हमारा ध्यान जाता है, उतना आकाश के और किसी पिंड की ओर नहीं जाता। यह रोज घटता बढ़ता है, उसका जितना हिस्सा रोज घटता या बढ़ता है, उतने हिस्से को एक ‘कला’ कहते हैं। उसके घटने की कलाक्षय और बढ़ने को कला वृद्धि कहते हैं। सूरज की तरह चांद एक समान गोल नहीं दिखाई देता, कारण यह है कि चांद अपनी चमक से नहीं चमकता। हमें उसका केवल उतना ही भाग दिखाई देता है, जितने पर सूरज का प्रकाश पड़ता है। चांद हमारी पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता है, परन्तु वह इस तरह घूमता है कि हमेशा उसका एक ही रूख पृथ्वी की ओर रहता है। आज तक कोई भी उसका दूसरा रुख नहीं देख सका। पृथ्वी के चारों ओर घूमते समय चांद की चाल कभी तेज, कभी साधारण और कभी बहुत धीमी हो जाती है। इसका कोई निश्चित नियम नहीं मालूम हो सका है। इसी कारण ज्योतिषी लोग चंद्रग्रहण के सर्वग्रास का समय बिल्कुल सही नहीं बता पाते। एक दो पल का फरक रह ही जाता है। यदि चांद पर किसी ऐसे आदमी को लेकर तौला जाए जिसका वजन पृथ्वी पर 80 किलो हो तो चांद पर उसका वजन मात्र 10 किलो ही होगा। चांद पर भी पहाड़ हैं, यहां के पहाड़ों का नज़ारा बड़ा खूबसूरत दिखाई देता है। यहां के पहाड़ भी हमारी पृथ्वी के पहाड़ों की तरह ही ऊंचे-ऊंचे हैं। अधिकतर पहाड़ों की चोटियां 5,000 से 12,000 फुट तक ऊंची है, लेकिन कुछ चोटियों की ऊंचाई 26000 से 33000 फुट तक भी है। हिमालय की ‘एवरेस्ट’ चोटी पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी है जो केवल 29141 फुट ऊंची है। चांद पर ज्वालामुखी जैसे दिखाई देने वाले पहाड़ भी अनेक हैं, लेकिन ये ज्वालामुखी नहीं है, क्योंकि उनके भीतर से लावा नहीं निकलता, पर उनकी शक्ल को देखकर वैज्ञानिकों ने अनुमान किया कि कभी वे भीषण ज्वालामुखी पहाड़ रहे होंगे और उनसे खूब लावा निकलता होगा। पृथ्वी के मुकाबले में चांद पर ऐसे पहाड़ कहीं अधिक है। उनके मुंह आम तौर पर गोल दिखाई देते हैं, जिनके चारों ओर की चार दीवारियां दो हज़ार फुट तक ऊंची है। चांद पर पहुंच कर आदमी का वजन बहुत हल्का फुल्का हो जाता है। यदि कोई आदमी वहां साधारण कदम भी उठाएगा तो उसके डग 15-16 फुट के होंगे और ज़रा सी छलांग में वह 50-55 फुट की ऊंचाई तक उछल जाएगा।