भारत में और भी हैं मोम से बनीं प्रतिमाओं के संग्रहालय

जब भी मोम से बनी मूर्तियों अथवा सिक्थ प्रतिमाओं की बात मन में आती है तो सबसे पहले मैडम तुसाद संग्रहालय का नाम मन में कौंधता है। प्रसन्नता की बात है कि पिछले दिनों लंदन स्थित मैडम तुसाद संग्रहालय की एक शाखा राजधानी नई दिल्ली के कनॉट प्लेस की रीगल सिनेमा बिल्डिंग में भी खुल चुकी है। लंदन का मैडम तुसाद संग्रहालय न केवल अपनी मोम से बनी आदमकद प्रतिमाओं के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है अपितु विश्व में बाइस स्थानों पर मैडम तुसाद संग्रहालय स्थापित हो चुके हैं। नई दिल्ली में मैडम तुसाद का यह 23वां संग्रहालय है। दर्शक यहां स्थापित प्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकारों के अतिरिक्त देश-विदेश के अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों व राजनीतिज्ञों के मोम के पुतलों के साथ फोटो या सेल्फी लेने के अतिरिक्त उनको छूकर देखने का अनुभव व आनंद भी आसानी से उठा सकते हैं। नई दिल्ली में स्थापित मैडम तुसाद संग्रहालय में मोम में ढले बॉलीवुड कलाकार व चर्चित खिलाड़ी हैं तो देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी हैं। कुछ लोग समझते हैं कि नई दिल्ली के कनॉट प्लेस की रीगल सिनेमा बिल्ंिडग में खुलने वाला मैडम तुसाद संग्रहालय मोम से बनी अथवा सिक्थ प्रतिमाओं का भारत का पहला संग्रहालय है। वास्तव में देश में पहले से ही मोम से बनी प्रतिमाओं के कई अच्छे संग्रहालय हैं। यूं तो देश में अनेक ऐसे कलाकार हुए हैं जिन्होंने मोम की प्रतिमाएं बनाई हैं, लेकिन मोम की प्रतिमाओं को संग्रहालय का रूप देने का सबसे पहला काम किया है केरल में जन्मे कलाकार सुनील कण्डलूर ने। 24 दिसम्बर वर्ष 2005 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में सुनील कण्डलूर ने देश का पहला मोम की मूर्तियों का संग्रहालय स्थापित किया जिसे बाद में वर्ष 2009 में उन्होंने इसे महाराष्ट्र के लोनावला में स्थानांतरित कर दिया।मुम्बई और पुणे के मध्य पुराने हाइवे पर लोनावला के पास वार्सोली नामक स्थान पर स्थित 10,000 वर्ग फुट में फैला सुनील कण्डलूर का सेलेब्रिटी वेक्स म्यूजियम बहुत सुंदर बन पड़ा है। जब मैं पहली बार सेलेब्रिटी वेक्स म्यूज़िम नामक यह संग्रहालय देखने गया था तो इसमें तीस के लगभग प्रतिमाएं प्रदर्शित थीं। आज उनकी संख्या तीन गुना से भी अधिक हो चुकी है। यह संग्रहालय पूरी तरह से सुनील कण्डलूर के व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है। जहां तुसाद संग्रहालय में मूर्तियों के निर्माण में अनेक कलाकार व सहायक काम करते हैं वहीं सुनील कण्डलूर अकेले के दम पर सारा काम करते हैं। केरल राज्य के अलेप्पी ज़िले के कण्डलूर नामक गांव में जन्मे सुनील कण्डलूर ने वर्ष 1993 में फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा किया। लंदन स्थित मैडम तुसाद संग्रहालय की मोम द्वारा निर्मित मूर्तियों के विषय में पढ़कर सुनील का रूझान इस कला को विकसित करने की ओर हुआ।सुनील कण्डलूर ने वर्ष 1999 में भगवान श्रीकृष्ण का आवक्ष (बस्ट) मोम का पुतला बनाया तो इस विधा में उनका प्रथम प्रयास था। इसके बाद उन्होंने केरल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण की मोम की सर्वांग आदमकद प्रतिमा बनाई। सुनील कण्डलूर अब तक शताधिक मोम की प्रतिमाएं बना कर प्रदर्शित कर चुके हैं। उनकी बनाई गई मोम की प्रतिमाओं में देश-विदेश के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञों, समाज सुधारकों, आध्यात्मिक पुरुषों, योगाचार्यों, सिने-कलाकारों तथा अन्य प्रसिद्ध गणमान्य व्यक्तियों की प्रतिमाएं सम्मिलित हैं। लोनावाला में स्थापित सेलेब्रिटी वेक्स म्यूजियम की सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने केरल के कोच्चि में भी मोम की प्रतिमाओं का एक संग्रहालय शुरू किया। वहां पर भी चालीस से अधिक मोम से बनी आदमकद प्रतिमाएं प्रदर्शित हैं। सुनील कण्डलूर द्वारा स्थापित इन दोनों संग्रहालयों में कुल मिलाकर एक हज़ार के आस-पास दर्शक प्रतिदिन आते हैं जो बहुत बड़ी बात है।