मोदी सरकार के चार वर्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने चार वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह ऐसी सरकार है, जिसमेें 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत प्राप्त हुआ था। इसका श्रेय भी श्री नरेन्द्र मोदी को गया था। भारत एक विशाल और बेहद समस्याओं भरपूर देश है। इसको लगभग सभी तरफ से बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक शक्तिशाली सरकार ही इसको सकारात्मक मोड़ देने में सक्षम हो सकती है। नि:संदेह डा. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल के बाद देश के बड़ी संख्या में लोगों ने श्री मोदी को बड़े समर्थन से इसलिए जिताया था, क्योंकि उनको उन पर बहुत आशाएं थीं। अपने अंतिम वर्षों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार अनेक बड़े घोटालों में घिर गई थी, जिसने इसकी छवि को बुरी तरह खराब कर दिया था। चाहे पूर्व सरकार देश में बहुत बड़े बदलाव ला सकने से तो असमर्थ ही रही परन्तु इसकी मनरेगा और आधार दो योजनाओं का बड़ा प्रभाव पड़ा था, जिनको राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार को भी किसी न किसी रूप में अपनाना पड़ा था। चाहे गत चार वर्षों में मोदी का कई पक्षों से प्रभाव कम हुआ दिखाई देता है, परन्तु विपक्ष को आज तक ऐसा कोई नेता नहीं मिला, जो इस शख्सियत का मुकाबला कर सके। मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह कही जा सकती है कि इसने बहुत सारी योजनाओं में आम लोगों को भागीदार बनाया है। इसमें स्वच्छ भारत की योजना भी शामिल है। नि:संदेह इस समय देश की दुनिया भर में छवि में सुधार आया है। चाहे मोदी सरकार आज तक बेरोज़गारी दूर करने में सफल नहीं हो सकी। इस संबंधी सरकार हर वर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने का वायदा भी पूरा नहीं कर सकी। चाहे घरेलू उत्पादन में वृद्धि हुई है। टैक्स देने वालों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। इस सब कुछ के बावजूद रुपए की कीमत कम हुई है, परन्तु फिर भी विश्व बैंक के अनुसार भारत एशिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है परन्तु राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार महंगाई पर काबू नहीं पा सकी। इस समय अन्य वस्तुओं के अलावा पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं। मोदी सरकार के कई बड़े फैसले भी विवादों में घिरे रहे हैं। सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के ऐलान ने भी एक बार तो देश में त्राहि-त्राहि मचा दी थी। नौकरियां भी कम हुई थीं। देश के उद्योग पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा था और लोगों को बेहद दुश्वारियों में से भी गुज़रना पड़ा था। नोटबंदी जिस मकसद को लेकर शुरू की गई, वह भी पूरा नहीं हो सका परन्तु इस सरकार द्वारा लिया गया वस्तु सेवा कर संबंधी दूसरा बड़ा फैसला आने वाले समय में देश की आर्थिकता को मजबूत करने में सहायक अवश्य हो सकता है। मोदी सरकार सबसे महत्वपूर्ण मामले अर्थात् बढ़ती हुई जनसंख्या संबंधी कोई योजनाबंदी नहीं बना सकी, जबकि जनसंख्या को सीमित करने के बारे में सरकार को बेहद प्रभावशाली कदम उठाने की ज़रूरत थी। चाहे गत चार वर्षों में बड़े स्तर पर कोई भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया। इस संबंधी अवश्य सरकार ने कड़ा पहरा दिया है, परन्तु विजय माल्या, नीरव मोदी तथा अन्य कई बड़े सेठों के बैंकों के करोड़ों रुपए मार कर देश से भाग जाने का सरकार की छवि पर अवश्य प्रभाव पड़ा है। लाख प्रयासों के बावजूद यह सरकार कश्मीर मामले का भी कोई उपयुक्त हल निकाल सकने से असमर्थ रही है, परन्तु अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रभाव और प्रतिभा अवश्य बढ़ी दिखाई देती है। इस समय के दौरान सैन्य शक्ति को भी इस सीमा तक बढ़ाया गया है कि कोई भी देश इससे उलझने से पहले सौ बार अवश्य सोचेगा। परन्तु इसी समय के दौरान सरकार पाकिस्तान को नकेल डालने में असमर्थ रही है, परन्तु फिर भी इसकी योजनाएं उज्जवल भारत और आयुष्मान भारत से कुछ उम्मीद बंधती है। इसके साथ ही यदि नरेन्द्र मोदी बार-बार किए अपने वायदे के अनुसार आगामी वर्षों में किसानों की आमदनी को दुगुना करने में सफल हो जाते हैं तो यह सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जायेगा। देश में हर तरह के साम्प्रदायिक दंगे आज़ादी से पहले और बाद भी लगातार होते रहे हैं। इस सरकार के समय यह और ज्यादा बढ़े हैं। सरकार माहौल को अनुकूल बनाने में सफल नहीं हो सकी और न ही सरकार इसके लिए कड़े और स्पष्ट संकेत देती नज़र आई है, जिससे कि इन घटनाओं पर अंकुश लगता। इसकी बजाय भाजपा से जुड़े कुछ साम्प्रदायिक संगठनों ने इतिहास को उल्टा चक्कर देने का प्रयास अवश्य किया है, इसको एक तरह से यह सरकार उत्साहित ही करती नज़र आई है। इसको किसी भी तरह जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।यदि आगामी समय में सरकार ने सचेत रूप में इस संबंधी प्रतिबद्ध होकर कदम न उठाये तो यह सरकार की बहुत बड़ी नाकामी मानी जायेगी, जो आगामी समय में देश के लिए अनेक पक्षों से घातक परिणामों की धारणी होगी। इसके साथ ही यदि आयुष्मान जैसी योजनाएं, जिनके द्वारा करोड़ों परिवारों को स्वास्थ्य और बीमा की सुविधा दी जायेगी और सरकार की ओर से शुरू की गई कृषि बीमा योजना आदि व्यवहारिक रूप में अपना प्रभाव बना लेती हैं, तो यह देश के लिए और समाज के लिए कल्याणकारी साबित हो सकती हैं। आज चाहे बहुत सारी विपक्षी पार्टियां भाजपा सरकार के खिलाफ एक मंच पर एकजुट होना शुरू हो गई हैं, परन्तु उनको सफल होने के लिए अभी लम्बा सफर तय करना पड़ेगा, क्योंकि आज तक भी लोगों में नरेन्द्र मोदी का मोह भंग हुआ दिखाई नहीं देता। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द