मोदी सरकार के 4 वर्ष : शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार, अभी और सार्थक कदम उठाए जाने शेष

एस. ए. एस. नगर, 27 मई (के. एस. राणा):केंद्र में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने गत् चार वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार किए है, जबकि अभी भी इस क्षेत्र में कई सार्थक कदम उठाए जाने शेष है। मोदी सरकार की प्रधानमंत्री कौंशल विकास योजना को नौजवानों के पक्ष से इस देश की सबसे चर्चित योजना माना जा सकता है, जिसके द्वारा केंद्र सरकार का शिक्षा प्राप्त करने वाले बेरोज़गार नौजवानों को उद्योगों की मांग अनुसार रोज़गार मुहैया करवाना मुख्य मक्सद है।  देश में एक लाख से अधिक कौंशल विकास केंद्रों की स्थापना का कार्य चल रहा है, जिनमें ज्यादातर राज्यों में यह योजना लागू हो चुकी है, पर इसकी निगरानी के चलते भी अन्य योजनाओं की तरह इसका लाभ भी असल नौजवानों को नहीं मिल रहा, जिसका कारण जल्दबाजी में योजना लागू करने के चक्कर में लोगें को धड़ाधड़ यह केंद्र खोलने की अनुमति देना है। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के चार वर्षों दौरान देश में 7 आईआईटी, 7 आईटाईएस, 14 आईआईआईटी सहित कई नई यूनीवर्सिटियों की स्थापना की है। एक सर्वे अनुसार गत् वर्ष दौरान भारत में नौकरी के अवसरों के मामले में सरकार से नाखुश लोगों की पतिशत्ता में 20 प्रतिशत का बढ़ावा हुआ है। सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तो सकारात्मक कदम उठाए है,पर शिक्षा के क्षेत्र में लागू की गई अह्म योजनाओं की नज़रसानी न किए जाने कारण असल व्यक्तियों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका। केंद्र सरकार द्वारा अपने कार्यकाल दौरान शुरू पढो प्रदेश योजना को पंजाब में अच्छे ढंग से लागू किया जा सकता था क्योंकि इस योजना के द्वारा पछडियां श्रेणियां के नौजवानों को विदेशों में जाकर पढ़ाई करने दौरान सबसिडी प्रदान की जाती है, पर केंद्र व राज्य सरकार में तालमेल की कमी होने कारण पंजाब में इस योजना को अच्छा हुंगारा नहीं मिल सका। शिक्षा के क्षेत्र में शुरू की गई ई-बस्ता योजना के द्वारा छोटे शहरों व गांवों में शिक्षा संबंधी जरूरी जानकारी मिलेगी, पर इस के लिए शिक्षा क्षेत्र में डिजीटल होना जरूरी है, जबकि अभी भी कई राज्य बहुत पीछे है। केन्द्र द्वारा इस वर्ष एक लाख करोड़ रुपए का वार्षिक बजट पास किया गया है व अगले चार वर्षों में शिक्षा, खोजों व बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए निवेष करने का प्रस्ताव रखा गया है। वर्ष 2022 तक अनुसूचित जाती की 50 प्रतिशत आबादी एवं कम से कम 20000 आदी-वासियों वाले हर ब्लाक में एक्लविया माडल स्कूल खोला जाएगा, जबकि इसी तर्ज पर 2022 तक अनुसूचित जाती के छात्रों के लिए एक्लविया स्कूलों की स्थापना के अतिरिक्त 50 प्रतिशत से अधिक जन-जाती वाले क्षेत्रों व 20000 आदी-वासी लोगों वाले हर बलाक में एक स्कूल की स्थापना की जाएगी। पीएम फैलोशिप योजना अंतर्गत एक हज़ार बीटैक विद्यार्थियों को आईआईटी व आईआईएससी में पीएचडी करने का अवसर दिया जाएगा। डा. आरएस बावा वाईस चांसलर चंडीगढ़ यूनीवर्सिटी घडूंया अनुसार मोदी सरकार द्वारा अपने चार वर्षों के कार्यकाल दौरान उठाए गए प्रशंसायोग्य कदमों का मुख्य मंत्व भारत को उचित शिक्षा में विश्व का मुख्य केंद्र बनाना है। इसी मक्सद अंतर्गत मल्टीपल एक्रीडीएशन व एफीलीएटिंग बाडी को एक ही यूजीसी के दायरे में लेकर आना व उच्च कोटी की यूनीवर्सिटियों व अकादमिक संस्थाओं को अटारनी प्रदान करना शामिल है।