बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं

पिछले कुछ समय से पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं के समाचारों ने एक बार फिर सामाजिक धरातल पर बहस की शुरुआत की है। इस संदर्भ में पंजाब के जालन्धर शहर को एक उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है, जहां पिछले कुछ दिनों में कई हृदय-विदारक दुर्घटनाएं घटित हुई हैं। इनमें से एक घटना जालन्धर छावनी के पास रामामंडी पुल के पास हुई, जिसमें एक युवक की मृत्यु उसकी मां की आंखों के सामने देखते-देखते हो गई। इस घटना के चश्मदीद लोगों के अनुसार ट्रक-चालक बेहद अनियंत्रित तरीके से वाहन को चला रहा था और उसने एक ही झटके में देखते ही देखते एक मां से उसकी आंखों के सामने, उसके जवान बेटे को छीन लिया। इस घटना का एक त्रासद पक्ष यह है कि मृतक युवक अपने परिवार और अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। दुर्घटना में ट्रक-चालक की लापरवाही यह भी रही कि दुर्घटना के बाद ट्रक का पहिया मृतक के सिर के ऊपर से गुजर गया। नि:संदेह यह वाहन चलाने के दौरान लापरवाही की पराकाष्ठा है। दूसरी घटना दो दिन पहले की है, जब एक तेज़ रफ्तार कार ने एक मोटरसाइकल चालक को सामने से टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में भी मोटरसाइकल चालक की मौत हो गई। इस हादसे का भी एक त्रासद पक्ष यह रहा कि कार चालक हादसे के बाद पीड़ित को वहीं छोड़कर मौके से फरार हो गया। एक अन्य घटना में एक स्कूल बस ने नियमों का उल्लंघन करके गलत दिशा में जाकर एक पुलिस अधिकारी को कुचल दिया, जिसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। एक अन्य दुर्घटना जालन्धर-आदमपुर सड़क पर हुई जिसमें मोटरसाइकिल पर सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल हो गया। इस दुर्घटना का भी एक पीड़ादायक पक्ष यह रहा कि जिस बस ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी, वह भी गलत दिशा से तीव्र गति से आ रही थी। ऐसी ही एक अन्य घटना जालन्धर-होशियारपुर मुख्य मार्ग पर इसी मास के दूसरे सप्ताह में हुई थी, जिसमें जालन्धर सिविल अस्पताल के डाक्टर सुरिन्द्रपाल और कम्प्यूटर आप्रेटर प्रितपाल सिंह की मौत हो गई थी। यह दुर्घटना कार एवं टै्रक्टर-ट्राली के बीच हुई थी। दुर्घटना में कार में सवार एक नर्स गम्भीर रूप से घायल हो गई थी। नि:संदेह ये तमाम दुर्घटनाएं बताती हैं कि इनमें कहीं तो प्रशासनिक त्रुटियां ज़िम्मेदार हैं, और कहीं पर प्रशासनिक लापरवाही ने मानवीय ज़िंदगियां लील लीं। जहां तक बसों एवं ट्रकों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का सवाल है, प्राय: बसों वाले सवारियां उठाने की स्पर्धा में वाहन को गलत दिशा की ओर मोड़ ले जाते हैं। इस सूरत में वे वाहन को चलाते नहीं, भगाते हैं। इसी प्रकार ट्रक-चालकों को समय पर गंतव्य पर पहुंचने की जल्दी होती है, और वो भी अपना वाहन तीव्र गति से चलाते हैं और इस क्रम में अधिकतर गलत दिशा की ओर चले जाते हैं। निजी धरातल पर भी प्राय: कार-चालक और मोटरसाइकिल चालक यातायात नियमों का उल्लंघन कर जाते हैं। ट्रकों एवं ट्रैक्टर-ट्राली वाले अक्सर अपने वाहनों को सड़कों के किनारे बड़ी लापरवाही से खड़ा कर देते हैं। ऐसे में कई बार तीव्रगामी वाहनों के चालक उन्हें देख नहीं पाते, और पीछे से इनके भीतर घुस जाते हैं। ऐसी दुर्घटनाएं प्राय: रात्रि-सफर के दौरान होती हैं। इन हादसों में अक्सर दोष वाहन-चालक का पाया जाता है। ऐसी एक दुर्घटना में जम्मू-कश्मीर के साम्बा में पंजाब के बटाला के दो परिवारों के 13 लोगों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में यह बताया गया कि कार-चालक की आंखों ने झपकी ले ली, जिससे कार एक छोटे पुल से टकरा कर चकनाचूर हो गई। इस दुर्घटना के लिए रात्रि-सफर को ज़िम्मेदार माना जा सकता है, क्योंकि यह दुर्घटना रात्रि दो बजे हुई बताई जाती है। किस्सा कोताह यह है कि पिछले कुछ समय से सड़क दुर्घटनाओं में एकाएक इज़ाफा हुआ है। इसके लिए अनेक कारण उत्तरदायी हो सकते हैं, परन्तु एक पक्ष यह भी है कि यदि थोड़ी-सी सावधानी बरती जाए, तो ये दुर्घटनाएं रोकी चाहे न जा सकें, परन्तु इनमें थोड़ा-बहुत कमी तो लाई जा सकती है। एक बड़ा कारण तो सड़कों की दुर्दशा और सड़कों खासतौर पर मुख्य मार्ग सड़कों पर यातायात नियमों का पालन कराने में प्रशासनिक कोताही भी हो सकता है। सड़कों के किनारों पर अवैध कब्ज़े और बीच सड़क में वाहनों को खड़ा कर देने की प्र्रवृत्ति भी ऐसी दुर्घटनाओं को दावत देने के समान होती है। अवैध कब्ज़ों की स्थिति यह हो गई है कि राष्ट्रीय मार्ग भी इससे अछूते नहीं रहे। शराब पीकर वाहन चलाने और धौंस दिखाने हेतु वाहनों को गलत दिशा में चलाने से भी दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। हम समझते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं का आतंक इन दिनों हर सड़क पर दिखाई दे जाता है। माना तो यह भी गया है कि इतने लोग आतंकवाद के दौरान नहीं मरे होंगे जितने रोज़ सड़क हादसों में मरने लगे हैं। इन दुर्घटनाओं को रोकने अथवा कम करने के लिए एक ओर जहां आम लोगों को स्वयं यातायात नियमों/कानूनों का पालन करना अनिवार्य मानना होगा, वहीं प्रशासनिक धरातल पर भी आवश्यक सुरक्षा मानकों का पालन ज़रूरी बनाना होगा। प्राय: यातायात अधिकारी अपने कर्त्तव्य के प्रति सजग नहीं पाये गये। यह बहाना नहीं बनाना चाहिए कि यातायात विभाग के पास पर्याप्त ऩफरी नहीं है। आवश्यकतानुसार नई भर्ती की जानी चाहिए। हम समझते हैं कि लोगों की कीमती ज़िंदगी के आगे और कुछ भी मायने नहीं रखता। इस एक तथ्य को जितनी शीघ्र समझ लिया जाएगा, सड़क दुर्घटनाओं को रोकने  में उतना ही मददगार सिद्ध होगा।