राज्य के प्लास्टिक उद्योगों की नहीं चिन्ता

लुधियाना, 28 मई (पुनीत बावा) : मक्की, आलू व गन्ने के छिलकों से बने वनस्पति लिफाफों का प्रयोग करने के लिए लोगों को जागरूक करने में व्यस्त पंजाब प्रदूषण बोर्ड को राज्य के 500 के लगभग प्लास्टिक लिफाफे बनाने वाले उद्योगपतियों की कोई प्रवाह नहीं, जिस कारण प्लास्टिक उद्योगपतियों के बर्बाद होने की तलवार लटक गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्लास्टिक के लिफाफों से पैदा हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए चाहे प्रदूषण रोकथाम बोर्ड ने पंजाब की जगह पर देश में अन्य 5 स्थानों पर बनने वाले वनस्पति लिफाफों का प्रयोग करने के लिए राज्य के प्रत्येक वर्ग को जागरूक करने का सिलसिला आरम्भ किया हुआ है। पंजाब में इस समय वनस्पति लिफाफे बनाने वाला एक भी कारखाना नहीं है, परन्तु देश में 5 अन्य स्थानों पर बनने वाले वनस्पति लिफाफों को बेचने के लिए कई स्थानों पर ट्रेडज़र् बैठे हैं। पंजाब में 225 टन रोज़ाना प्लास्टिक के लिफाफों की लागत है, परन्तु यदि देश की 5 कम्पनियां दिन-रात वनस्पति लिफाफों का उत्पादन करना आरम्भ कर दें, तो वह पंजाब की सप्लाई भी पूरी नहीं कर सकेंगी। पंजाब में यदि आज से कोई प्लास्टिक उद्योगपति या कोई अन्य व्यक्ति वनस्पति लिफाफे तैयार करने वाला कारखाना लगाने के लिए कागज़ी कार्रवाई आरम्भ करता है, तो उसे कम-से-कम 1 वर्ष का समय अवश्य लगेगा, क्योंकि 9 माह का समय तो वनस्पति लिफाफे को लैब में निरीक्षण पर ही लग जाता है। पंजाब में रोज़ाना 225 टन के लगभग प्लास्टिक के लिफाफों की लागत है। जिससे सबसे ज्यादा 130 टन लिफाफों की खपत पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना में ही है। 225 टन में से 70 से 80 टन पाबंदीशुदा 50 माईक्रोन से नीचे वाले लिफाफे देश के अन्य हिस्सों में तो पंजाब पहुंच रहे हैं, परन्तु पंजाब के उद्योगपतियों को कानून के अनुसार सी 50 माइक्रोन के लिफाफे बनाने की इज़ाजत नहीं दी जा रही। पंजाब के उद्योगपतियों को 50 माइक्रोन प्लास्टिक के लिफाफे की स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने फाईल निकाय मंत्री नवजोत सिंह के पास पहुंचा दी है, जिस पर स. सिद्धू ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया, परन्तु खाद्य व आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू ने प्लास्टिक उद्योगों का मामला हल करने की बात कही है। 50 माईक्रोन के स्थान पर वनस्पति लिफाफों का प्रयोग करने की ओर ज़ोर देने के साथ प्लास्टिक उद्योगपतियों में निराशा का आलम है, यदि प्लास्टिक के लिफाफों पर मुकम्मल पाबंदी लगाई जाती है, तो सैकड़ों कारखाने बंद हो जाएंगे, जिससे हज़ारों कर्मचारी बेरोज़गार हो जाएंगे।