टॉस रहेगा बॉस, बॉल टेम्परिंग व दुर्व्यवहार पर कड़ी सज़ा

नई दिल्ली, 30 मई (वार्ता) : क्रिकेट इतिहास में टॉस की सबसे पुरानी परंपरा अपने स्वरूप में बनी रहेगी जबकि बॉल टेम्परिंग और निजी तौर पर दुर्व्यवहार करने वाले खिलाड़ियों को कड़ी सज़ा का सामना करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की क्रिकेट समिति ने अपनी सिफारिशों में टॉस का बॉस बने रहना स्वीकार किया है। टॉस की परंपरा जुलाई 2019 से शुरू होने वाली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के दौरान बनी रहेगी। क्रिकेट समिति ने टॉस को बनाये रखने के साथ साथ यह भी सिफारिश की है कि चैंपियनशिप के दौरान सीरीज़ के लिये नहीं बल्कि मैचों के लिये अंक दिये जाएंगे। इसके अतिरिक्त बॉल टेम्परिंग और निजी तौर पर दुर्व्यवहार करने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान रखा गया है। मुख्य कार्यकारियों की समिति जून में इन सुझावों पर विचार विमर्श करेगी जिसके बाद आईसीसी बोर्ड इन्हें अपनी अंतिम मंजूरी देगा। भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली क्रिकेट समिति ने ये सिफारिशें की हैं। पिच को लेकर घरेलू क्रिकेट बोर्ड द्वारा अनुकूल हालात तैयार करने और अपनी पसंद की पिच बनाने के मामलों को लेकर हाल में काफी चिंता जताई गयी थी और घरेलू बोर्ड का एडवांटेज खत्म करने के उद्देश्य से यह सुझाव लाया गया था कि टॉस को ही खत्म कर दिया जाए और मेहमान टीम पर फैसला छोड़ा जाए कि उसे पहले क्या खेलना है। लेकिन समिति ने कहा कि टॉस टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे अभिन्न अंग है और यह उसकी पुरानी परंपराओं से जुड़ा रहा है। समिति ने इस मुद्दे पर विचार विमर्श करने के बाद टॉस को बनाये रखने का फैसला किया है। आईसीसी ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुये बताया कि खराब पिचें बनाने से किसी बोर्ड को रोकने के लिये सबसे बेहतर तरीका यह होगा कि यदि मैच रद्द किया जाता है तो विपक्षी टीम को अंक दे दिये जाएं। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्रिकेट समिति ने इस सुझाव का समर्थन किया है या नहीं। समिति ने चैंपियनशिप के दौरान जीत, हार या ड्रॉ पर अभी अंक निर्धारित नहीं किये हैं। लेकिन उसका मानना है कि ड्रॉ भी जीत पर मिलने वाले एक तिहाई अंक के रूप में गिना जाना चाहिये। समिति ने सिफारिश की है कि अंक सीरीज़ जीत पर नहीं बल्कि प्रत्येक मैच पर दिये जाने चाहिये। इसके तहत ड्रॉ जीत का अनुपात 0.33:1 होना चाहिये।  क्रिकेट समिति ने हाल के आस्ट्रेलिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे में बॉल टेम्परिंग से उठे विवाद और इसी सीरीज़ के दौरान खिलाड़ियों की दुर्व्यवहार की घटनाओं को गंभीरता से लिया है। बॉल टेम्परिंग के चलते आस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर स्टीवन स्मिथ और कैमरन बेनक्राफ्ट पर एक-एक वर्ष तथा नौ महीने के प्रतिबंध लगाये गये हैं। इसी सीरीज़ के दौरान दक्षिण अफ्रीका के क्विंटन डी काक और कैगिसो रबादा पर मैदान में खराब व्यवहार करने के आरोप लगाये गये थे। समिति ने यह मतदान किया है कि ऐसी घटनाओं पर भारी जुर्माना और सजा लगायी जानी चाहिये। समिति की यह भी सिफारिश है कि मैच रेफरी सजा को कम या ज्यादा भी कर सकते हैं। समिति ने कहा॑ हम सभी का यह महसूस करना है कि निजी तौर पर दुर्व्यवहार और गेंद के साथ छेड़छाड़ इस खेल के गंभीर अपराध हैं और इनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिये। हमने यह भी महसूस किया है कि मैच अधिकारियों को ज्यादा अधिकार मिलने चाहिये ताकि वे ऐसी स्थिति में मजबूत फैसले कर सकें।