किसान आंदोलन में सब्ज़ियों सहित मंडियों में फलों पर भी पाबंदी

फिरोज़पुर, 2 जून (मलकीयत सिंह): समूचे पंजाब के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के किसानों द्वारा शुरू किए 10 दिवसीय आंदोलन के आज दूसरे दिन पंजाब की विभिन्न मंडियों में सब्ज़ियों के साथ-साथ फलों की खरीदो-फरोख्त पर भी पाबंदी लगा दी गई है। सब्ज़ी मंडियां बंद होने के कारण मार्किट कमेटी द्वारा सब्ज़ियों व फलों से वसूली जाती फीस भी बंद हो चुकी है, जिससे सरकार को रोज़ाना लाखों रुपए का नुक्सान होने लगा है। बंद के दूसरे दिन दूध कारोबार भी मुकम्मल तौर पर ठप्प हो गया, जिससे लोगों में हाहाकार मची हुई है। आंदोलन का ज्यादा असर मालवा में देखने को मिल रहा है, जहां किसानों व किसान संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। आंदोलन के दौरान यदि कोई गुपचुप तरीके से सब्ज़ी या दूध आदि ला-ले जा रहा हो तो जबरन उसके माल को सड़कों पर फेंका जा रहा है। फिरोज़पुर सहित पंजाब की कई अन्य मुख्य मंडियां हैं, जहां बंद के आज दूसरे दिन ही सब्ज़ियों व फल आदि देखने तक को नहीं मिले। कई ऐसी मंडियां हैं जहां से रोज़ाना फौजी व बीएसएफ बटालियनों को सब्ज़ी, फल आदि की सप्लाई होती है, वह भी हड़ताल के दूसरे दिन मुकम्मल बंद हो गई, यहां तक कि कई सैन्य वाहन जोकि रोज़ाना ही सब्ज़ी मंडी से सब्ज़ी, फल से भरकर जाती थीं, आज वह भी खाली लौट गए। किसानों द्वारा सब्ज़ियों के साथ फलों की खरीद-फरोख्त पर लगाई पाबंदी के कारण मंडियों में स्टोर किए लाखों के फल खराब होने लगे हैं। फिरोज़पुर सब्ज़ी मंडी स्थित एक आढ़तिए ने बताया कि प्रदेश में अमृतसर, लुधियाना, पठानकोट, जालन्धर, बठिंडा, चंडीगढ़, फिरोज़पुर, फाज़िल्का, जलालाबाद, अबोहर की मंडियां फल बेचने में अग्रणी हैं, जहां रोज़ाना ही 50 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का फलों का कारोबार होता है और फिरोज़पुर मंडी में इस समय 30 लाख रुपए से अधिक आम, लीची, केले व अन्य विदेशी फल विभिन्न आढ़तियों व व्यापारियों के पास पड़ा है और हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, यू.पी., मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों से लाखों रुपए के फल उनके पास पहुंचने वाले हैं, परंतु किसानों द्वारा फलों पर पाबंदी लगाने से यह माल खराब हो जाएगा। दूध व्यापारियों द्वारा दूध का कारोबार बंद करते हुए अपने टैंकर खड़े कर दिए गए हैं। बड़े व्यापारियों का कहना है कि उनका रोज़ाना ही 30-40 हज़ार लीटर दूध बड़ी-बड़ी कम्पनियों में जाता है, जोकि आज बंद हो चुका है, जिससे इन 10 दिनों के दौरान उनके मिल्क प्लांट बंद रहेंगे और आगामी दिनों में दूध से बनने वाली वस्तुएं आइसक्रीम, कुल्फियां, दही आदि में भारी कमी आ जाएगी। सब्ज़ियों व दूध न मिलने के कारण हाहाकार मच गई है और लोग दूध व सब्ज़ियां लेने के लिए खुद गांवों की ओर जाने लगे हैं जिन्हें आंदोलनकारियों द्वारा रास्ते में ही रोका जा रहा है। सब्ज़ियों व फलों पर वसूली जाती 4 फीसदी फीसें हुईं बंद : मार्किट कमेटी द्वारा सब्ज़ी मंडियों में सब्ज़ियों व फलों पर 2 फीसदी मार्किट फीस व 2 फीसदी देहाती विकास फंड (आर.डी.एफ.) फीस वसूली जाती है। मार्किट कमेटियों को इन फीसों में रोज़ाना ही 50 हज़ार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक की कमाई है, जो पखवाड़े व महीने के रूप में सरकार के पास जाती है। इन 10 दिवसीय आंदोलन के दौरान पंजाब की कई  मुख्य मंडियों के साथ-साथ छोटी मंडियां भी बंद हैं, जिससे सरकार को मार्किट फीस से होने वाली लाखों रुपए की कमाई भी 10 दिन बंद रहेगी। आढ़तियों व व्यापारियों में भारी रोष, उगाही बंद : सब्ज़ी मंडियों में सब्ज़ी व फलों की बिक्री बंद होने के कारण आढ़तियों व व्यापारियों में भारी रोष पाया जा रहा है, जिनका कहना है कि इस आंदोलन में केवल किसानों को सब्ज़ी लाने पर पाबंदी की गई थी, परंतु अब किसान संगठनों द्वारा फलों व बाहरी राज्यों से आते प्याज़ आदि के वाहनों को भी उतरने नहीं दिया जा  रहा, यहां तक कि मंडी में फल बेचने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि मंडी बंद होने के कारण दुकानदारों, फड़ व रेहड़ी लगाने वाले जिनके साथ उधार का व्यवहार था, उन्हें फल, सब्ज़ी आदि न मिलने के कारण उधार की उगाही बंद हो गई है।