किसान आन्दोलन द्वारा हरे चारे व तूड़ी पर भी पाबंदी

फिरोज़पुर, 3 जून (मलकीयत सिंह): राष्ट्रीय किसान महां संघ द्वारा शुरू किया किसान अंदोलन दिन-ब-दिन ज़ोर पकड़ता जा रहा हैं। इस दस दिन बंद के आह्वान के आज तीसरे दिन किसानों द्वारा सब्जियों, दूध, फल आदि के साथ-साथ तूड़ी और हरे चारे पर भी पाबंदी लगा दी गई हैं, जिसके कारण हरा चरा और तूड़ी की लगती मंडियां भी बंद हो चुकी हैं। सब्ज़ी, दूध आदि ना मिलने के कारण लोगों ने दालों और सूखे दूध को पहल देनी शुरू कर दी हैं, जिसके कारण दालों की लागत में 50 प्रतिशत और सूखे दूध की लागत में 70 प्रतिशत का बढ़ावा हुआ हैं और आते दिनों में यह लागत कई गुणा बढ़ने की संभावना हैं। इस अंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव पंजाब सहित कई अन्य राज्यों के बड़े शहरों में साफ देखने को मिल रहा हैं। शहरों में पैकेटों वाला दूध भी आना बंद हो चुका हैं। चारों तरफ आहाकार मची पड़ी हैं और छोटे-छोटे बच्चे दूध को तरस रहे हैं। सितम जरीफी हैं कि कई जगहों पर कुछ दूध उत्पादकों ने इस अंदोलन का लाभ उठाते हुए 60 रुपए लीटर के हिसाब से बेचना शुरू कर दिया हैं। इसके साथ ही इस अंदोलन का असर सेना पर भी पड़ना शुरू हो गया हैं, जहां सेना को दूध, सब्जियां, फल आदि सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को यह वस्तुऐं ना मिलने के कारण उन्होंनें ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। सब्ज़ी मंडी के एक व्यापारी ने बताया कि फौज़ को सब्जी आदि सप्लाई करने वाले ठेकेदार के लिए सब्ज़ी का एक कैंटर माझे में से मंगवाया था, पर आंदोलनकारियों ने रास्ते में ही घेर लिया, जिसके कारण इन ठेकेदारों का तौबा हुई पड़ी हैं। बंद के आज तीसरे दिन बड़ी, छोटी सब्ज़ी मंडियां मुकम्मल बंद हो चुकी हैं। तूड़ी और हरा चारा बंद होने के कारण शहरों के अन्दर घरों में रखे हुए पशुओं को भी चारे की कमी खल रही हैं और लोग थोड़ी सी स्टोर की तूड़ी या फीड आदि मिलाकर पशुओं को खिला रहे हैं। चारा व तूड़ी का काम करने वालों का कहना हैं कि शहरों में लोगों के दुधारू पशु रखे हुए हैं, जो प्रतिदिन ही उनसे चारा, तूड़ी आदि खरीदते हैं, पर किसानों द्वारा चारा, तूड़ी आदि पर भी रोक लगा दी हैं, जिसके कारण वह रात को 2-3 बजे शहर में बिकने आती चारे की ट्रालियाें से अधिक मूल्य पर थोड़ा-बहुत ही चारा मिल रहा हैं। किसान अंदोलन को दूध व्यापारियों द्वारा समर्थन : दूध के सही दाम न मिलने के कारण किसान अंदोलन में बंद की दूध की सप्लाई के मद्देनज़र कई शहरों के दूध व्यापारियों ने किसानों को हिमायत देनी शुरू कर दी हैं। भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के महासचिव दर्शन सिंह नाला ने बताया कि उन्होंने इस अंदोलन के दौरान दूध उत्पादकों, जिनके पास दूध पड़ा था, को पिछले दो दिन बेचने की छूट दी थी, तांकि वह दूध ़खराब न हो और आज उनको दूध उत्पादकों द्वारा इस अंदोलन के लिए पूरा समर्थन दिया गया हैं। उन्होंनें कहा कि अगर फिर भी चोरी-छीपे दूध लाता पकड़ा गया तो वह दूध फैंकने की बजाए गरीबों में मुफ्त बांटा जाया करेगा। सब्ज़ी मंडी के पल्लेदार और रेहडियों वाले परेशान : सब्जी मंडी के पल्लेदार मजदूर और सब्ज़ी फलों की रेहड़ी वाले, जिनकी रोटी ही इस सब्जी मंडी से चलती हैं, पिछले तीन दिनों से बंद के आह्वान के कारण वह अपने घर का पालन पोषण करने से व्यर्थ हुए बैठे हैं। सब्जी और फलों की रेहड़ियां पिछले दिनों से खाली पड़ी हुई हैं। सब्जी मंडी में काम करते मजदूरों का कहना हैं कि वह जो सुबह-शाम कमाते हैं, उससे ही उनके घर में रोटी पकती हैं और इसके अलावा उनके पास कोई और रोज़गार ना होने के कारण पिछले तीन दिनों से परेशान हैं, अगर यह अंदोलन 10 दिन तक ऐसा ही चलता रहा तो एक-दो दिन तक उनके घरों के चुल्हे बुझ जाएगें।