जीवन की सुरक्षा हेतु पर्यावरण संरक्षण ज़रूरी

लुधियाना, 4 जून (परमेशर सिंह/निजि संवाददाता) : हमारी धरती के इर्द-गिर्द जो नीला आकाश दिखाई देता है, वास्तव में यह अनंत दूरी तक फैला हुआ एक एक ब्रह्मांड है जिसमें प्रकृति द्वारा कई किस्मों की गैसें भरी हुई हैं, जिनमें बहुत-सी मानवीय और पशु-पक्षियों सहित धरती के समूचे जीवन चक्र के लिए बहुत आवश्यक है। इन गैसों में आक्सीजन और कार्बन डाईआक्साईड का नाम तो प्रत्येक मनुष्य ने सुना होता है परन्तु इस में अन्य गैसें भी हैं जैसे मिथेन, नाईट्रोआक्साईड, हाईड्रो फ्लोरोकारन, सल्फर हैक्साफ्लोराईड, नाईट्रोजन ट्राईफ्लोराईड आदि सहित ब्रह्मांड में फैले इन गैसों के समूह को ही हम पर्यावरण का नाम देते हैं। इन गैसों के सम्पर्क में आए असंतुलन के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। कार्बन डाईआक्साइड के अतिरिक्त पशुओं और खेती दौरान पैदा होती  मीथेन, नाईट्रोआक्साइड और गाड़ियों के धुएं के कारण पैदा होते कई अन्य ज़हरीली गैसें पर्यावरण के लिए कार्बन डाईआक्साईड से भी अधिक खतरनाक हैं, क्योंकि यह कार्बन से ज्यादा लम्बा समय पर्यावरण में मौजूद रहती हैं। इसीलिए वैज्ञानिक और पर्यावरण प्रेमी लोगों से अपील करते हैं कि जितना सम्भव हो पैट्रोल-डीज़ल वाली गाड़ियों का प्रयोग कम किया जाए। पर्यावरण की सुरक्षा का नाम लेते ही सबसे पहले जो वस्तु दिमाग में आती है, वे है जंगल, क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार कार्बनडाइआक्साईड को सबसे ज्यादा जंगल ही अवशोषित करते हैं। अफ्रीका महांद्वीप की स्थिति सबसे बुरी व यूरोप की सबसे अच्छी : जंगलात के मामले में सबसे कुप्रभाव अफ्रीकी महाद्वीप का है, जहां गत 20 वर्षों से जंगलात का क्षेत्र 749 मिलीयन हैक्टेयर से कम होकर 675 मिलीयन हैक्टेयर रह गया है। दक्षिणी अमरीका देश में भी जंगलों की कटाई बेहद तेज़ी से हुई विशेष तौर पर वैनजूएला में माफिया द्वारा गत दशकों में जंगलों की की तबाही ने हालत बेहद चिंताजनक बना दिए हैं। वन संरक्षण के मामले में सबसे अच्छी स्थिति यूरोपीय देशों की है, जहां 1990 में वनीय क्षेत्र 989 मिलियन हैक्टेयर से बढ़ा कर 1010 मिलियन हैक्टेयर तक कर दिया गया है।