मेघालय में सिख भाईचारे की सुरक्षा सुनिश्चित बनाई जाए

गत दिनों शिलांग में खासी और पंजाबी भाईचारे का हुआ विवाद दुर्भाग्यपूर्ण भी है और दुखद भी। शिलांग भारत के छोटे से राज्य मेघालय की राजधानी है, जो देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बसा हुआ है। यहां बड़ी संख्या में खासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनमें से ज्यादा इसाई हैं। इसके अलावा हिन्दू तथा मुस्लिम धर्म से संबंधित लोग भी यहां रहते हैं। सिखों, बौद्धियों और जैनियों की यहां कुछ प्रतिशत आबादी ही है। खासी कबीले के लोगों के अलावा यहां दर्जनों ही उत्तर-पूर्व के हिस्से के कबाइली लोग भी रहते हैं, इनमें नागा, मणिपुरी, कुकीज़ तथा मिज़ो आदि शामिल हैं। मेघालय में असमी, बंगाली, नेपाली, बिहारी और पंजाबी भी गत लम्बे समय से रह रहे हैं। शिलांग में सिख और विशेष तौर पर दलित सिख लगभग गत 200 वर्षों से बसे हुए हैं। ब्रिटिश शासन के समय इनको बड़ी संख्या में कार्य करने के लिए बुलाया गया था। सदियों से रह रहे इन लोगों का चाहे स्थानीय और विशेष तौर पर खासी समुदाय के साथ मेल-मिलाप बना रहा है परन्तु समय के बीतने से कुछ स्थानीय लोगों के हित इनसे टकराने शुरू हो गए हैं। इसीलिए कई दशकों से पंजाबी लाईन के क्षेत्र से जाने जाते यहां बसे अधिकतर सिख और पंजाबियों को इस क्षेत्र से निकालकर बाहरी क्षेत्रों में भेजे जाने की योजनाएं बनाई जाती रही हैं, क्योंकि पंजाबी लाईन का यह क्षेत्र बड़े महानगर के रूप में फैल चुके शिलांग के बीच आ चुका है। सरकार भी तथा स्थानीय लोग भी यहां अच्छे बाज़ार बनाना चाहते हैं और इसीलिए उनका पंजाबी तथा सिख भाईचारे से यह तनाव बना रहा है। पिछले वीरवार को जो घटना घटी, उसका कारण एक खासी लड़के का पंजाबी लाईन में रहती एक महिला के साथ विवाद होना था, जो बड़ा रूप धारण कर गया। दोनों ही गुटों के लोग एकत्रित हो गए, क्योंकि खासी भाईचारे की संख्या यहां बहुत बड़ी है। उनके वोटों से ही यहां विधायक चुना जाता है, जिस कारण सरकार-दरबार में उनकी अधिक पूछताछ है। जब इस मामूली विवाद ने बड़ा रूप धारण कर लिया तो बड़ी संख्या में खासी लोगों ने पंजाबी लाईन के क्षेत्र में रहते लोगों पर हमला कर दिया परन्तु पुलिस ने उनको पूरी शक्ति से रोका, जिस कारण दर्जनों ही व्यक्ति घायल हो गए। खासी लोगों द्वारा पेट्रोल बमों और हथियारों से हमले जारी रहे, जिस कारण अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में बड़ी दहशत फैल गई जो अभी भी जारी है। दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रतिनिधि भी प्राथमिक जानकारी लेने के लिए यहां पहुंचे हुए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी मेघालय के मुख्यमंत्री कर्नाड संगमा के साथ बातचीत की है। मुख्यमंत्री ने अब तक यह पूरा विश्वास दिलाया है कि इस स्थानीय घटना संबंधी पूरी विस्तृत जानकारी लेकर कड़े प्रबंधकीय कदम उठाये जायेंगे। मेघालय से संबंधित केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी सिखों को यह आश्वासन दिया है कि उनके हक पूरी तरह सुरक्षित रखे जायेंगे। उनकी हर तरह की सुरक्षा की जायेगी। उन्होंने इस संबंधी स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पंजाबी लाईन के क्षेत्र के गुरुद्वारा साहिब को भी किसी तरह का नुक्सान नहीं पहुंचाया गया और न ही इस घटना को किसी भी तरह का साम्प्रदायिक विवाद कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री कर्नाड संगमा ने इस संबंधी बहुत ही स्पष्ट रवैया धारण करते हुए यह कहा है कि यह घटना किसी भी तरह साम्प्रदायिक नहीं है, अपितु यह एक स्थानीय विवाद था, जिसको कुछ स्वार्थी गुटों द्वारा साम्प्रदायिक रंगत देने का प्रयास किया जा रहा है। हम केन्द्र सरकार को भी यह अपील करते हैं कि वह प्रांतीय सरकार के साथ पूरा तालमेल बनाकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित बनाये और भविष्य में भी उनसे संबंधित समस्याओं को सहानुभूति से विचार करके उनका कोई स्थायी हल निकाले, ताकि पुन: ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना न घटे, जिसका कि समूचे देश पर किसी भी सूरत में नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द